पाकिस्तान से तनाव के बीच भारतीय सेना को मिला हथियार, रूसी टैंकों का बना चुकी है कब्रिस्‍तान

नई दिल्ली/ स्टॉकहोम

 पहलगाम आतंकी हमले के बीच आशंका है कि भारत और पाकिस्तान युद्ध में फंस सकते हैं। इन सबके बीच स्वीडिश कंपनी SAAB ने भारतीय सशस्त्र बलों को AT4 Anti-Armor वीपन सिस्टम की डिलीवरी की घोषणा की है। साब इंडिया ने कहा है कि उसने कामयाबी के साथ भारतीय सुरक्षा बलों को AT4 Anti-Armor सिस्टम सौंप दिया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट में SAAB इंडिया ने कहा है कि "हमें भारतीय सशस्त्र बलों को हमारे AT4 Anti-Armor हथियार प्रणाली की सफल डिलीवरी की घोषणा करते हुए गर्व हो रहा है। AT4 कम दूरी की लड़ाई के लिए एक भरोसेमंद सिंगल-शॉट समाधान के रूप में भारत के शस्त्रागार में शामिल हो गया है। भारत ने AT4CS AST वैरिएंट खरीदा है, जिसमें इमारतों, दुश्मनों के बंकरों और शहरी लड़ाई में इस्तेमाल किया जाता है।"

भारतीय सेना AT4 Anti-Armor से शहरी युद्ध के अलावा पहाड़ी इलाकों में बंकर बनाकर छिपे दुश्मनों पर सिंगल शॉट हमला कर सकती है। इसके अलावा इसे काफी कम स्थान से दागा जा सकता है। कई बार जवानों के पास हथियार चलाने के लिए काफी कम स्थान होता है या फिर इमारतों में छिपकर भी इसे फायर किया जा सकता है। भारत ने खास तौर पर आतंकवाद विरोधी अभियान चलाने के लिए इसे स्वीडिश कंपनी साब से खरीदा है और इस वक्त, जब पाकिस्तान के साथ तनाव बना हुआ है, AT4 Anti-Armor भारतीय सेना की लड़ाकू क्षमता को बढ़ाएगा।

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AT4 Anti-Armor सिस्टम की खासियत
AT4 Anti-Armor को जवान कंधे पर रखकर फायर कर सकते हैं। ये एक मानव-पोर्टेबल हथियार है, जिसका वजन सिर्फ 7.5 किलो होता है। ये एक ही शॉट के बाद डिस्पोजेबल हो जाते होते हैं। ये एक रिकॉइललेस हथियार है, जिसे एक ही सैनिक ऑपरेट कर सकते हैं। इसकी लंबाई सिर्फ एक मीटर होती है और इससे 300 मीटर की दूरी से दुश्मन पर सटीक हमला किया जा सकता है। एक बार दागने के बाद इसे फेंक दिया जाता है। इसमें प्री लोडेड हीट वारहेड होता है, जो टैंक, बख्तरबंद वाहन, बंकर या दीवार को भेदने के लिए डिजाइन किया गया है। इसे पैदल सेना के लिए डिजाइन किया गया है। यानि एक सैनिक छिपकर आराम से किसी टैंक को उड़ा सकता है। इसका इस्तेमाल काफी आसान होता है और फायर करने के लिए इसे कुछ ही सेकंड्स में तैयार किया जा सकता है। बख्तरबंद गाड़ियों, फोर्टिफाइड पोजिशन्स, और लो-फ्लाईंग हेलीकॉप्टरों के खिलाफ ये काफी असरदार है।

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भारत के अलावा इसका इस्तेमाल अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, यूक्रेन, जर्मनी और फ्रांसीसी सैनिक करते हैं। यूक्रेनी सैनिकों ने इससे रूसी टैंकों और बख्तरबंद वाहनों को काफी नुकसान पहुंचाया है। रूसी टैंकों को उड़ाने के लिए इसका जमकर इस्तेमाल किया गया है। हालांकि भारत इसका नया ग्राहक है, लेकिन भारतीय सेना लंबे समय से साब द्वारा डिजाइन किए गए कार्ल-गुस्ताफ शोल्डर-फायर हथियार सिस्टम का इस्तेमाल करती आ रही है। इसका उत्पादन भारत में भारत डायनेमिक्स करती है। AT4 में कार्ल-गुस्ताफ वाली सारी खूबियां हैं।

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AT4-CS एक हल्का, पोर्टेबल, पूरी तरह से डिस्पोजेबल एंटी-टैंक हथियार है जिसे भारतीय सेना और वायुसेना ने 2022 में प्रतिस्पर्धी प्रक्रिया के तहत चुना था। पता चला है कि करीब 2,000 यूनिट का ऑर्डर दिया गया था। इसका वजन करीब 9 किलोग्राम है और इसकी प्रभावी रेंज 200 मीटर है।

कार्ल गुस्ताफ़ का इस्तेमाल भारतीय सेना द्वारा 1976 से किया जा रहा है और यह कंधे से दागा जाने वाला मुख्य हथियार रहा है। कंपनी के अधिकारियों के अनुसार, भारतीय सेना कार्ल गुस्ताफ़ के लगभग सात अलग-अलग प्रकारों का इस्तेमाल कर रही है।

कार्ल गुस्ताफ़ के गोला-बारूद की रेंज अलग-अलग है, जिसकी अधिकतम रेंज 1,500 मीटर तक है। एंटी-टैंक गोला-बारूद की रेंज 500 मीटर है। कार्ल गुस्ताफ़ के पुराने संस्करण और पुराने गोला-बारूद का निर्माण भारत में ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड और अब नए बने रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा किया जाता है।

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