51 साल पहले आज ही के दिन भारत ने ‘स्माइलिंग बुद्धा’ मिशन को अंजाम दिया था, बना दुनिया की छठी परमाणु शक्ति

नई दिल्ली
51 साल पहले आज ही के दिन भारत ने 'स्माइलिंग बुद्धा' मिशन को अंजाम दिया था और दुनिया को अपनी ताकत का परिचय दिया। 18 मई 1974 में पोखरण-I के उस धमाके ने न सिर्फ भारत को दुनिया की छठी परमाणु शक्ति बनाया, बल्कि यह संदेश भी दिया कि विज्ञान और सुरक्षा के मामले में भारत किसी से पीछे नहीं रहने वाला। आज भारत न केवल एक जिम्मेदार परमाणु राष्ट्र बनकर उभरा है, बल्कि उसने सैन्य शक्ति, तकनीकी कौशल और रणनीतिक दूरदर्शिता से दुनिया को अपना लोहा भी मनवाया है। ‘स्माइलिंग बुद्धा’ पोखरण परीक्षण के लिए एक कोड नेम था। यह मिशन भारत के इतिहास का वह मोड़ था जब देश ने दुनिया को दिखा दिया कि हम न केवल सभ्यता और शांति के प्रतीक हैं, बल्कि जरूरत पड़ने पर सैन्य और तकनीकी ताकत भी रखते हैं। अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन के बाद भारत छठा ऐसा देश बना जिसके पास परमाणु हथियार विकसित करने की क्षमता थी।

ये भी पढ़ें :  Bijapur Naxal Attack : बीजापुर में नक्‍सलियों का हमला, प्रेशर आइईडी की चपेट में आने से सीएएफ जवान बलिदान

प्रतिबंधों के बावजूद परमाणु शक्ति के विकास की दास्तान
पोखरण-1 के बाद भारत पर अमेरिका समेत कई देशों ने प्रतिबंध लगाए, लेकिन DRDO, BARC और ISRO जैसे संस्थानों ने मिलकर देश को तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में अग्रसर किया। 11 और 13 मई 1998 को तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने पांच और परमाणु परीक्षण किए, जिनके साथ भारत ने खुद को एक "परमाणु हथियार संपन्न राष्ट्र" घोषित कर दिया। इसके साथ ही भारत ने दो प्रमुख सिद्धांत अपनाए। पहला- भारत पहले परमाणु हमला नहीं करेगा। दूसरा- भारत केवल न्यूनतम लेकिन विश्वसनीय शक्ति रखेगा।

ये भी पढ़ें :  देश के कुछ हिस्सों में जहां ठंड ने दस्तक दे दी है, वही चक्रवाती तूफान लाएगा तबाही, 55 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलेंगी हवाएं

अब कहां खड़ा है भारत?
स्वीडिश संस्थान SIPRI के अनुसार भारत के पास 2024 तक लगभग 160–170 परमाणु हथियार मौजूद हैं। इतना ही नहीं भारत अब थल, जल और नभ – तीनों माध्यमों से परमाणु हमले करने की पूर्ण क्षमता रखता है। थल में अग्नि-1 से लेकर अग्नि-5 तक लंबी दूरी की मिसाइलें हैं। जल में INS Arihant जैसी परमाणु-सक्षम सबमरीन और नभ में Mirage-2000 और Su-30MKI जैसे लड़ाकू विमान हैं।

अंतरराष्ट्रीय प्रभाव
भारत की परमाणु नीति अब भी ‘नो फर्स्ट यूज’ पर आधारित है, हालांकि पिछले कुछ वर्षों में इसके पुनर्मूल्यांकन की आवाजें उठी हैं। भारत की रणनीतिक ताकत ने उसे चीन और पाकिस्तान के विरुद्ध संतुलन देने वाली शक्ति बना दिया है।

ये भी पढ़ें :  अमित शाह ने किया दावा, 12 संगठनों ने अलगाववाद से नाता तोड़ लिया है, पीएम मोदी के 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' सपने की जीत

51 वर्षों के पांच निर्णायक मोड़
1974 में पोखरण-1 ने भारत की परमाणु शक्ति में पहली एंट्री दी। 1998 में पोखरण-2 टेस्टिंग से आधिकारिक रूप से परमाणु राष्ट्र की मान्यता मिली। 2003 में न्यूक्लियर डॉक्ट्रिन की नीति तय की गई। 2016 में परमाणु-सक्षम सबमरीन INS Arihant भारतीय सेना में शामिल हुआ। 2020 के बाद MIRV टेक्नोलॉजी और अग्नि-5 जैसी अत्याधुनिक मिसाइल तकनीक सेना के बेड़े में शामिल हुए।

Share

क्लिक करके इन्हें भी पढ़ें

Leave a Comment