देवनारायण मंदिर तोड़े जाने से गुर्जर समाज में उबाल, जनआक्रोश की लहर

अलवर

उमरैण में देवनारायण भगवान के प्राचीन मंदिर को वन विभाग द्वारा तोड़े जाने की घटना के बाद गुर्जर समाज में गहरा आक्रोश फैल गया है। समाज के लोगों ने इसे उनकी धार्मिक आस्था पर सीधा प्रहार बताया है और मंदिर के पुनर्निर्माण की मांग को लेकर चेतावनी दी है।

शनिवार शाम हुई इस घटना के बाद रविवार को उमरैण क्षेत्र में बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हुए। लोगों ने प्रशासन और सरकार पर देवस्थानों को लेकर संवेदनहीन रवैया अपनाने का आरोप लगाया। प्रदर्शनकारियों ने वन विभाग पर मनमानी करने और धार्मिक आस्था के साथ खिलवाड़ का गंभीर आरोप लगाया है।

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नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली भी मौके पर पहुंचे और स्थानीय निवासियों से मुलाकात की। यह इलाका उनके निर्वाचन क्षेत्र में आता है। उन्होंने भाजपा सरकार पर मंदिरों को लेकर दोहरी राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि जहां संतों ने वर्षों तक तपस्या की, उन स्थलों को नष्ट करना निंदनीय है। यह सरकार मंदिरों की हिमायत का दावा करती है, लेकिन हकीकत में उन्हें तोड़ रही है।

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उन्होंने यह भी कहा कि मंदिर की केवल मरम्मत हो रही थी लेकिन वन विभाग ने बिना किसी सूचना के उसे ढहा दिया। अब वही अधिकारी अपनी जेब से पुनर्निर्माण कराएं, वरना व्यापक आंदोलन होगा। स्थानीय समाजसेवी भविंदर पटेल ने सरकार पर विश्वासघात का आरोप लगाते हुए कहा कि यह हमारी आस्था पर हमला है। समाज इसे बर्दाश्त नहीं करेगा। हम सब मिलकर रणनीति बना रहे हैं और जल्द ही निर्णायक कदम उठाएंगे। यदि भाजपा इस मुद्दे पर चुप रही, तो पार्टी को भारी नुकसान झेलना पड़ेगा। प्रदर्शनकारियों ने यह भी कहा कि यदि प्रशासन ने समय रहते कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो भविष्य में ऐसी घटनाएं और बढ़ सकती हैं। उन्होंने वन विभाग की कार्रवाई को मनमाना करार देते हुए इसे आस्था पर चोट बताया।

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