EMI से पहले लोन चुकाने का मौका: समझिए फायदे और नुकसान

नई दिल्ली

अगर आपने एजुकेशन लोन लिया है या लेने की योजना बना रहे हैं, तो एक सवाल आपके मन में जरूर आया होगा, क्या पढ़ाई पूरी होने से पहले या EMI शुरू होने से पहले लोन की प्रीपेमेंट कर देना सही रहेगा? RBI और टैक्स नियमों के नजरिए से देखें तो यह फैसला उतना सीधा नहीं है जितना लगता है.

बैंक एजुकेशन लोन पर एक मोरेटोरियम पीरियड देते हैं, यानी उस दौरान आप चाहें तो EMI नहीं भरते, और आपकी पढ़ाई पर कोई आर्थिक दबाव नहीं पड़ता. लेकिन कुछ लोग इस अवधि में ही लोन चुकाना शुरू कर देते हैं ताकि ब्याज का बोझ कम हो जाए. आइए समझते हैं कि यह निर्णय कब फायदेमंद होता है और कब नुकसानदेह साबित हो सकता है.

ये भी पढ़ें :  छत्तीसगढ़ : राष्ट्रीय महाधिवेशन की तैयारियों का जायजा लेने पहुंचे कांग्रेस के राष्ट्रीय पदाधिकारी, भारत जोड़ो यात्रा को लेकर भी कही ये बड़ी बात...

प्रीपेमेंट से कितना और कैसे बचता है पैसा?
प्रीपेमेंट का सबसे बड़ा फायदा होता है, ब्याज की बचत. अगर आप मोरेटोरियम पीरियड में ही लोन की कुछ रकम चुका देते हैं, तो आपका प्रिंसिपल अमाउंट घटता है. चूंकि ब्याज इसी प्रिंसिपल पर लगता है, तो कुल मिलाकर आप लाखों रुपये तक का ब्याज बचा सकते हैं.

इसके अलावा, समय से पहले लोन चुकाने से आपका क्रेडिट स्कोर भी मजबूत होता है, जिससे भविष्य में होम लोन या पर्सनल लोन जैसी ज़रूरतों में आसानी होती है.

टैक्स में मिलने वाली छूट कहीं छिन न जाए!
लेकिन हर प्रीपेमेंट फायदे का सौदा नहीं होता. एजुकेशन लोन पर सेक्शन 80E के तहत सरकार आपको ब्याज पर टैक्स डिडक्शन देती है, यानी आप जितना ब्याज भरते हैं, उतनी रकम आपकी टैक्सेबल इनकम से घट जाती है.

ये भी पढ़ें :  बजट में सीमा शुल्क के लिए माफी योजना भी बनाई जा रही, हो सकती है घोषणा

अगर आपने लोन जल्दी चुका दिया, तो यह टैक्स छूट कम समय के लिए ही मिलेगी, या पूरी तरह से खत्म हो सकती है. इसलिए अगर आपकी इनकम टैक्स की सीमा में आती है, तो आपको प्रीपेमेंट से पहले टैक्स सलाह जरूर लेनी चाहिए.

कम ब्याज वाले लोन को चुकाना हमेशा बेहतर नहीं होता
अगर आपने एजुकेशन लोन कम ब्याज दर पर लिया है (जैसे 7% से कम), और आपके पास अतिरिक्त पैसा है, तो प्रीपेमेंट से बेहतर विकल्प हो सकता है निवेश.

म्यूचुअल फंड्स या सरकारी बॉन्ड्स में निवेश करके आप सालाना 10% या उससे ज़्यादा का रिटर्न कमा सकते हैं, जो लोन पर बचने वाले ब्याज से अधिक हो सकता है. यानी कम ब्याज दर पर लोन लेकर उस पैसे को समझदारी से निवेश किया जाए, तो आपका पैसा लोन की EMI से ज़्यादा तेजी से बढ़ सकता है.

ये भी पढ़ें :  दिल्ली हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: MCD कॉन्ट्रैक्ट शिक्षकों को सातवें वेतनमान के अनुसार वेतन देने के आदेश

तो क्या करना चाहिए?
अगर आप टैक्स स्लैब में नहीं आते और जल्द से जल्द कर्ज़ से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो एजुकेशन लोन की प्रीपेमेंट आपके लिए एक शानदार विकल्प है.

लेकिन अगर आप टैक्स बेनिफिट ले रहे हैं, या लोन की ब्याज दर बहुत कम है, तो प्रीपेमेंट करने से बेहतर है, उस पैसे को स्मार्टली इनवेस्ट करें और अपना फाइनेंशियल फ्यूचर मजबूत बनाएं.

Share

क्लिक करके इन्हें भी पढ़ें

Leave a Comment