भारत का डिजिटल ब्रह्मास्त्र: एक क्लिक में दुश्मन के रडार और सैटेलाइट निष्क्रिय

नई दिल्ली
 भारत की सेना अब सिर्फ बॉर्डर पर नहीं लड़ेगी, बल्कि साइबरस्पेस में भी दुश्मनों को घुटनों पर लाने की तैयारी पूरी कर चुकी है. इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ (IDS) ने Joint Doctrine for Cyberspace Operations जारी की है. इस डॉक्यूमेंट ने साफ कर दिया है कि भारत अब साइबर युद्ध में रक्षात्मक नहीं, आक्रामक रणनीति अपनाएगा. यानी अगर खतरे की आहट भी मिली, तो जवाब देने में भारत एक पल भी नहीं गंवाएगा.

क्या है भारत की नई साइबर डॉक्ट्रिन?

डॉक्ट्रिन के मुताबिक, भारत अब ‘Active Cyber Defence’ की नीति पर चलेगा. इसका मतलब यह हुआ कि सिर्फ डिफेंसिव पोजिशन में बैठकर फायरवॉल बढ़ाने का दौर गया. अब भारतीय साइबर फोर्स दुश्मन की हर हरकत पर नजर रखते हुए रियल टाइम काउंटर अटैक करेगी. जैसे ही हमला महसूस होगा, एक क्लिक में दुश्मन के रडार, सैटेलाइट, एयर डिफेंस सिस्टम, नेविगेशन नेटवर्क और कम्युनिकेशन चैनल ध्वस्त किए जा सकेंगे.

ये भी पढ़ें :  मई में सस्ता हुआ खाना, वेज और नॉन-वेज थाली इतनी हो गई सस्ती

अब तक भारत की विदेश और रक्षा नीति ‘No First Use’ के सिद्धांत पर आधारित रही है, यानी पहले हमला नहीं करेंगे. लेकिन साइबर डोमेन में यह सिद्धांत बदलता दिख रहा है. भारत अब इस डोमेन में ‘Proactive Defence with Pre-emptive Capabilities’ को जगह दे रहा है. इसका सीधा मतलब है- जो हमला करने आएगा, पहले उसी की साइबर ताकत को खत्म कर दो.

ये भी पढ़ें :  गणतंत्र दिवस समारोह की वजह से दिल्ली की हवाई सीमा बंद, सप्ताहभर बाधित रहेगी IndiGo की उड़ानम

दुश्‍मन को पंगु बना देगी साइबर कमांड

भारत ने तीन लेवल पर साइबर ऑपरेशंस तय किए हैं- डिफेंसिव, ऑफेंसिव और इंटेलिजेंस. सबसे ज्यादा जोर Offensive Cyberspace Operations पर है. इनमें दुश्मन की मिसाइल कमांड, एयर ट्रैफिक कंट्रोल, लॉजिस्टिक्स सप्लाई चेन और डिजिटल कम्युनिकेशन सिस्टम को निशाना बनाना शामिल है. यानी जंग शुरू होने से पहले ही जंग जीतने की तैयारी.

इस दिशा में भारत ने एक Unified Cyber Command की नींव रख दी है, जहां थल, जल, नभ – तीनों सेनाएं समन्वय के साथ साइबर हमलों की तैयारी करेंगी. NTRO, DRDO, CERT-IN, RAW और सेना की Signals Command अब एकीकृत तरीके से काम कर रही हैं.

ये भी पढ़ें :  धनखड़ के इस्तीफे से BJP की रणनीति पर असर, राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में लग सकती है देरी

चीन हो या पाक, कोई नहीं टिकेगा!

इस ब्रह्मास्त्र का सबसे बड़ा फायदा यह है कि भारत को अब पारंपरिक युद्ध के मोर्चे पर जान-माल की भारी कीमत नहीं चुकानी पड़ेगी. अब दुश्मन के हथियार मैदान में पहुंचें उससे पहले ही उसके नेटवर्क को पंगु किया जा सकता है.

चीन और पाकिस्तान जैसे देशों की साइबर घुसपैठ से निपटने के लिए यह नीति बेहद अहम है. क्योंकि ये देश बार-बार भारत के सैन्य और नागरिक नेटवर्क को निशाना बनाते रहे हैं. अब भारत सिर्फ बचाव नहीं करेगा, जवाब भी देगा. वो भी तेजी से, चुपचाप और बेहद असरदार तरीके से.

Share

क्लिक करके इन्हें भी पढ़ें

Leave a Comment