धरती आबा बिरसा मुंडा की 150 वीं जयंती पर जनजाति भागीदारी उत्सव से गूंजेगा लखनऊ

धरती आबा बिरसा मुंडा की 150 वीं जयंती पर जनजाति भागीदारी उत्सव से गूंजेगा लखनऊ

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करेंगे उत्सव का शुभारंभ, जनजातीय समाज को समर्पित होगा पूरा सप्ताह

13 से 18 नवम्बर तक इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान बनेगा जनजातीय संस्कृति का संगम स्थल

देशभर की जनजातियों के लोकनृत्य, लोकगीत और शिल्पकला से सजेगा छह दिवसीय महोत्सव

अरुणाचल प्रदेश बनेगा सह-आमंत्रित राज्य, पूर्वोत्तर भारत की झलक पेश करेगा विशेष मंडप

1090 चौराहे से निकलेगी भव्य सांस्कृतिक समागम शोभा यात्रा, जनजातीय रंगों से सजेगी राजधानी

मुखौटा प्रदर्शनी, धरती आबा नाटक, माटी कला और जनजातीय व्यंजनों का ‘जेवनार’ बनेंगे उत्सव के आकर्षण

शिल्प मेला से लेकर सांस्कृतिक संध्या तक, जनजातीय आत्मगौरव का होगा भव्य उत्सव

जनजातीय समाज के उत्थान और आत्मनिर्भरता के लिए संकल्पबद्ध है योगी सरकार

प्रधानमंत्री वन धन योजना से जनजातीय समुदायों को मिल रहा आजीविका सृजन का नया आधार

प्रदेश के 517 जनजाति बाहुल्य ग्रामों में ‘धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान’ से आया विकास का नया सवेरा

वनाधिकार अधिनियम 2006 के अंतर्गत बुक्सा, गोंड, बैगा, थारु और सहरिया जनजातियों को मिला आवास का अधिकार

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मुख्यमंत्री आवास योजना से अब वनवासी परिवारों के जीवन में आया स्थायित्व और सम्मान

एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों और जयप्रकाश नारायण सर्वोदय छात्रावासों से जनजातीय बच्चों को मिल रही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा

लखीमपुर-खीरी, बहराइच, सोनभद्र और ललितपुर में एकलव्य विद्यालय

09 राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालयों में जनजातीय छात्र-छात्राओं को मिल रही निःशुल्क शिक्षा, आवास, वस्त्र और पुस्तकें

थारु, बुक्सा, भोटिया, जौनसारी और राजी समेत प्रदेश की जनजातियाँ बन रही हैं ‘विकसित उत्तर प्रदेश’ की नई शक्ति

बलरामपुर के इमिलिया कोडर में थारू जनजाति संग्रहालय स्थापित, मीरजापुर, सोनभद्र और महराजगंज में नए संग्रहालयों की स्थापना प्रक्रियाधीन

लखनऊ
 धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में राजधानी लखनऊ में गुरुवार से 'जनजाति भागीदारी उत्सव' का भव्य शुभारंभ होगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस ऐतिहासिक आयोजन का उद्घाटन करेंगे। छह दिवसीय यह महोत्सव 13 से 18 नवंबर तक इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित होगा, जो देश की विविध जनजातीय संस्कृतियों का अद्वितीय संगम बनेगा। जनजातीय अस्मिता, कला, परंपरा और जीवन मूल्यों का यह उत्सव “एक भारत-श्रेष्ठ भारत” की भावना को नई ऊंचाई देगा।

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पूरे सप्ताह राजधानी लखनऊ जनजातीय रंगों से सजेगी। 1090 चौराहे से भव्य सांस्कृतिक शोभा यात्रा निकाली जाएगी, जिसमें देशभर की जनजातियों के लोकनृत्य, पारंपरिक परिधान, मुखौटे और वाद्ययंत्र झांकियों के रूप में दिखाई देंगे। अरुणाचल प्रदेश इस आयोजन का सह-आमंत्रित राज्य होगा और पूर्वोत्तर भारत की सांस्कृतिक झलक प्रस्तुत करेगा।

इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान के प्रांगण में जनजातीय शिल्प मेला, लोकनृत्य-लोकगीत प्रस्तुतियां, मुखौटा प्रदर्शनी, धरती आबा नाटक और माटी कला प्रदर्शन विशेष आकर्षण रहेंगे। साथ ही, जनजातीय व्यंजनों का “जेवनार” (फूड फेस्ट) भी आगंतुकों को वनवासी समाज की परंपरागत स्वाद संस्कृति से परिचित कराएगा। सुबह 11 बजे से मेला और प्रदर्शनी खुलेंगे, जबकि प्रतिदिन शाम 5 से 9 बजे तक सांस्कृतिक संध्या में देश के 18 राज्यों के 600 से अधिक कलाकार अपनी प्रस्तुतियां देंगे।

बता दें कि बीते साढ़े 08 वर्षों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जे जनजातीय समाज के समग्र उत्थान को अपनी प्राथमिकता में रखा है। प्रधानमंत्री वन धन योजना के तहत राज्य के जनजातीय समुदायों को आजीविका सृजन का नया आधार मिला है। प्रदेश के 517 जनजाति बाहुल्य ग्रामों में संचालित धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान से विकास और सशक्तिकरण की नई दिशा मिली है।

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इसी तरह, वनाधिकार अधिनियम 2006 के अंतर्गत बुक्सा, गोंड, बैगा, थारु और सहरिया जनजातियों को आवासीय अधिकार प्राप्त हुए हैं, जिससे मुख्यमंत्री आवास योजना के जरिए वनवासी परिवारों के जीवन में स्थायित्व और सम्मान का नया अध्याय जुड़ा है।

शिक्षा के क्षेत्र में राज्य सरकार ने जनजातीय बालकों के भविष्य को मजबूत आधार दिया है। एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय और जयप्रकाश नारायण सर्वोदय छात्रावासों के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की नई राह खुली है। लखीमपुर-खीरी, बहराइच, सोनभद्र और ललितपुर में एकलव्य विद्यालय संचालित हैं, जबकि नौ राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालयों में जनजातीय छात्र-छात्राओं को निःशुल्क आवास, वस्त्र, पुस्तकें और शिक्षा उपलब्ध कराई जा रही है।

राज्य की थारु, बुक्सा, भोटिया, जौनसारी और राजी जनजातियाँ आज विकसित उत्तर प्रदेश की नई शक्ति बनकर उभर रही हैं। बलरामपुर के इमिलिया कोडर में थारू जनजाति संग्रहालय स्थापित किया गया है, जबकि मीरजापुर, सोनभद्र और महराजगंज में नए जनजातीय संग्रहालयों की स्थापना प्रक्रिया में है।

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