रायपुर
प्रदेश में वन्य जीव संरक्षण और प्राणी उद्यानों के बेहतर रखरखाव को लेकर वन विभाग ने एक नई पहल शुरू करने की तैयारी की है। कर्नाटक और उत्तरप्रदेश की तर्ज पर अब छत्तीसगढ़ में भी नागरिकों के साथ विभिन्न संस्थाएं और सामाजिक संगठन वन्य प्राणियों को गोद ले सकेंगे।
इस योजना के माध्यम से वन्य प्राणियों की देखभाल, पोषण के साथ-साथ उनके आवास व स्वास्थ्य सुविधाओं को और बेहतर बनाने का लक्ष्य रखा गया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वन विभाग ने इस संबंध में विस्तृत प्रस्ताव तैयार कर लिया है, जिसे जल्द ही सरकार के स्वीकृति के लिए भेजा जा रहा है। अनुमति मिलते ही योजना को आधिकारिक रूप से लागू कर दिया जाएगा।
पहले चरण में राजधानी रायपुर स्थित जंगल सफारी और बिलासपुर के कानन पेंडारी चिड़ियाघर से कार्यक्रम की शुरुआत की जाएगी। इसके बाद जरूरत और परिस्थितियों के अनुरूप राज्य के अन्य चिड़ियाघरों तथा संरक्षित क्षेत्रों में भी इसे विस्तारित किया जाएगा।
वार्षिक दान दे सकेंगे
योजना के तहत नागरिक या संस्थाएं किसी भी वन्य प्राणी के संरक्षण के लिए वार्षिक दान दे सकेंगे। इस दान की न्यूनतम राशि और गोद लेने की शर्तें योजना के औपचारिक लॉन्च के बाद सार्वजनिक की जाएगी। अनुमान है कि राशि प्राणी के आहार और सेवा-सुविधाओं की लागत के आधार पर तय होगी, जिसमें शेर, बाघ जैसे बड़े प्राणियों के लिए अधिक और हिरण, पक्षी आदि श्रेणियों के लिए अपेक्षाकृत कम दान निर्धारित किया जाएगा।
वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार किसी भी प्राणी को गोद लेने का अर्थ केवल आर्थिक सहायता प्रदान करना होगा, इसमें प्राणी के स्वामित्व या उसके अधिकारों का हस्तांतरण शामिल नहीं होगा। गोद लेने वालों को विशेष अवसर पर प्राणी दर्शन की अनुमति, देखभाल संबंधी गतिविधियों की जानकारी और विभाग के कार्यक्रमों में आमंत्रण जैसे प्रोत्साहन भी प्रदान किए जाएंगे।
संबंधित बाड़े में होंगे नाम
विशेष बात यह है कि दान देने वाले नागरिकों और संस्थाओं के नाम संबंधित प्राणी के बाड़े के बाहर और चिड़ियाघर के प्रमुख सार्वजनिक स्थल पर पट्टिका के रूप में अंकित किए जाएंगे। इससे सामाजिक सहभागिता बढ़ेगी और वन्य प्राणियों के संरक्षण के प्रति जागरूकता भी मजबूत होगी।
वन विभाग का मानना है कि इस योजना के लागू होने से जहां संरक्षण कार्यों को आर्थिक मजबूती मिलेगी। वहीं आम नागरिकों में वन्य जीवों के प्रति भावनात्मक जुड़ाव भी बढ़ेगा। विभाग को उम्मीद है कि राज्य के उद्योग, शैक्षणिक संस्थान, सामाजिक संगठन और संवेदनशील नागरिक इस अभियान में उत्साहपूर्वक भागीदारी करेंगे।


