रमित खट्टर ने कांग्रेस जॉइन की, लेकिन कुछ घंटे बाद ही वह भाजपा में वापस लौट आए

चंडीगढ़
हरियाणा की राजनीति में गुरुवार का दिन बेहद रोचक घटनाक्रम वाला रहा। राज्य के पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर के भतीजे रमित खट्टर ने दोपहर में कांग्रेस जॉइन कर ली थी, लेकिन कुछ घंटे बाद ही यानी शाम ढलने तक वह भाजपा में वापस लौट आए। इस तरह उन्होंने आया राम गया राम की तर्ज पर एक दिन के अंदर ही दो दलों की सदस्यता ले ली। उन्होंने दोपहर में रोहतक के कांग्रेसी विधायक भारत भूषण बत्रा की मौजूदगी में कांगेस जॉइन की थी। इस खबर से भाजपा के खेमे में हलचल मच गई थी। कुछ घंटों के बाद खबर मिली कि रमित खट्टर भाजपा में लौट आए हैं। उनकी एंट्री भाजपा प्रत्याशी मनीष ग्रोवर ने पार्टी में कराई।

मनीष ग्रोवर रोहतक विधानसभा सीट से भाजपा के प्रत्याशी हैं और उनका मुकाबला कांग्रेस के भारत भूषण बत्रा से ही है। रमित खट्टर ने एक ही दिन में दो बार पालाबदल का कोई कारण नहीं बताया है। माना जा रहा है कि भाजपा खेमे की ओर से उनसे संपर्क किया गया और किसी तरह उन्हें वापसी के लिए राजी कर लिया गया। मनोहर लाल खट्टर अब भी राज्य में बड़े नेता हैं और सीएम नायब सिंह सैनी को उनका करीबी माना जाता है। ऐसे में उनके भतीजे का ही कांग्रेस में जाना पार्टी के लिए सांकेतिक रूप से झटका था। शायद इसीलिए रमित की वापसी के लिए नेतृत्व सक्रिय हुआ और उनकी कुछ घंटों के अंदर ही वापसी करा ली गई।

रमित खट्टर ने भाजपा में वापसी के बाद कहा कि वह कांग्रेस में गए ही नहीं थे। उन्होंने कहा, 'भारत भूषण बत्रा ने मेरे कंधे पर कांग्रेस का पटका रखा दिया था। उसकी तस्वीरें खीची गईं और फिर उन्हें फैला गया। मैं भाजपा के साथ हूं और मनोहर लाल जी के साथ हूं।' उनसे जब पूछा गया कि बत्रा ने तो कहा था कि आपने कांग्रेस जॉइन की है। इस पर रमित ने कहा कि ऐसा दावा गलत था। रमित भट्टाचार्य ने कहा कि देखें मैं यहीं पर हूं और आप लोगों के साथ हूं। यही नहीं मंच पर रमित खट्टर ने भाजपा प्रत्याशी मनीष ग्रोवर के पैर भी छुए। सूत्रों का कहना है कि एक स्थानीय नेता के माध्यम से रमित खट्टर ने कांग्रेस कैंडिडेट से संपर्क साधा था और फिर पार्टी जॉइन कर ली थी। रमित खट्टर का कोई अपना प्रभाव नहीं है, लेकिन पूर्व सीएम के भतीजे होने के चलते यह मामला चर्चित हो गया। इसी कारण से भाजपा ने उन्हें वापस लाने के प्रयास शुरू किए और कुछ घंटों में ही वापसी करा ली गई।

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किसके चलते बना 'आया राम गया राम' वाला जुमला
किसी नेता के जल्दी-जल्दी दल बदलने पर उसे आया राम गया राम की उपाधि दी जाती है। इसकी शुरुआत की भी एक दिलचस्प कहानी है और यह हरियाणा का ही वाकया है। दरअसल 1967 में हरियाणा की हसनपुर सीट से विधायक थे गया लाल। उन्होंने एक ही दिन में तीन बार पार्टी बदली। पहले तो उन्होंने कांग्रेस का हाथ छोड़कर जनता पार्टी का दामन थाम लिया। फिर थोड़ी देर में कांग्रेस में वापस आ गए। करीब 9 घंटे बाद उनका हृदय परिवर्तन हुआ और एक बार फिर जनता पार्टी में चले गए। यही नहीं कुछ दिनों के बाद उनकी कांग्रेस में फिर से वापसी हुई। इस तरह उनके दल बदल को आया राम गया राम कहा गया और फिर यह एक जुमला ही बन गया।

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