भारत की बढ़ती धाक और ट्रंप के दबाव में चीन के बदले सुर, विदेश सचिव के सामने आपसी समझ का राग

नई दिल्ली
भारत की दुनिया में लगातार बढ़ती धाक और डोनाल्ड ट्रंप के लगातार दबाव के बाद चीन बैकफुट में है। इसकी बानगी सोमवार को भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री से मुलाकात के बाद चीन के आपसी समझ वाले बयान से नजर आई। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि दोनों देशों को एक-दूसरे पर संदेह और अलगाव के बजाय आपसी समझ और आपसी समर्थन को लेकर प्रतिबद्धता दिखानी चाहिए।

विक्रम मिस्री भारत-चीन संबंधों को बेहतर बनाने के लिए चीनी अधिकारियों के साथ बातचीत करने के सिलसिले में दो दिवसीय यात्रा पर यहां आए हैं। वांग विदेश मंत्री होने के साथ-साथ सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के शक्तिशाली राजनीतिक ब्यूरो के सदस्य और भारत-चीन सीमा तंत्र के लिए चीन के विशेष प्रतिनिधि हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल भारतीय पक्ष के विशेष प्रतिनिधि हैं। मिस्री की यात्रा पिछले महीने विशेष प्रतिनिधि तंत्र के तहत वांग और डोभाल के बीच वार्ता के बाद हुई है।

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चीन ने क्या कहा
मिस्री के साथ बैठक में वांग ने कहा कि पिछले वर्ष रूस के कजान में राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच बैठक के बाद से दोनों पक्षों ने दोनों देशों के नेताओं के बीच बनी महत्वपूर्ण सहमति को गंभीरतापूर्वक क्रियान्वित किया है, सभी स्तरों पर सक्रिय बातचीत की है तथा चीन-भारत संबंधों में सुधार की प्रक्रिया को गति दी है।

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अवसर का लाभ उठाएं, मुलाकात होती रहेः चीन
सोमवार की बैठक को लेकर चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि वांग ने कहा कि दोनों पक्षों को अवसर का लाभ उठाना चाहिए, एक-दूसरे से मुलाकात करनी चाहिए, अधिक ठोस उपाय तलाशने चाहिए, तथा एक-दूसरे पर संदेह, एक दूसरे से अलगाव के बजाय आपसी समझ, आपसी समर्थन को लेकर प्रतिबद्धता दिखानी चाहिए।

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वांग ने कहा कि चीन-भारत संबंधों में सुधार व विकास दोनों देशों और उनके लोगों के मौलिक हितों में है, तथा ‘ग्लोबल साउथ’ देशों के वैध अधिकारों व हितों की रक्षा के लिए अनुकूल है। वांग ने कहा कि भारत और चीन के बीच अच्छे संबंध एशिया और दुनिया की दो प्राचीन सभ्यताओं की शांति, स्थिरता, विकास और समृद्धि में योगदान देने के लिए भी अनुकूल हैं।

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