जेएनयू के एक छात्र ने अमेरिका में पोस्टडॉक्टरल नियुक्ति रद्द होने के बाद अपने सोशल मीडिया पोस्ट हटाना किया शुरू

वाशिंगटन 
जेएनयू के एक छात्र ने अमेरिका में पोस्टडॉक्टरल नियुक्ति रद्द होने के बाद अपने सोशल मीडिया पोस्ट हटाना शुरू कर दिया है। अमेरिका के कड़े वीजा नियम और बढ़ती जांच के कारण भारतीय छात्रों में डर और चिंता बढ़ गई है। कई छात्र अब अपनी पुरानी पोस्ट्स और ऑनलाइन गतिविधियों को लेकर सतर्क हो गए हैं, ताकि वे अपने अमेरिका जाने के सपने को सुरक्षित रख सकें। स्कॉलर्स ने बताया कि अमेरिकी आव्रजन अधिकारियों द्वारा सोशल मीडिया की जांच बेहद सख्ती से की जाती है। उन्हें नहीं पता कि किस पोस्ट को अमेरिका अपमानजनक या संवेदनशील मान सकता है इसलिए वह कोई जोखिम लेना नहीं चाहते। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो द्वारा भेजे गए एक केबल में बताया गया है कि अमेरिका अब वीजा आवेदकों के सोशल मीडिया पर नजर रखेगा। यह कदम ट्रंप प्रशासन के आव्रजन-विरोधी रुख का हिस्सा है, जिसमें विदेशी छात्रों की नियुक्ति और वीजा पर रोक लगाई जा रही है।

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जेएनयू में चर्चा का विषय बना वीजा प्रतिबंध
जेएनयू परिसर में इस मुद्दे पर गहन चर्चा हो रही है। छात्र अब अपने अकादमिक भविष्य को लेकर चिंतित हैं और सोशल मीडिया पर अपनी अभिव्यक्ति को लेकर सतर्कता बरत रहे हैं। जेएनयू के राजनीतिक सिद्धांतकार अजय गुडवर्थी कहते हैं कि यह उदार विश्वविद्यालयों की स्वतंत्रता का क्षरण है। सरकारें अब ऐसे विचारों को दबा रही हैं जो उनके हितों के खिलाफ हों। यह छात्र छह महीने पहले अमेरिका में पोस्टडॉक्टरल पद के लिए आवेदन कर रहा था। कई विश्वविद्यालयों में उसने आवेदन किए थे और एक प्रोफेसर ने उसके काम में रुचि दिखाई थी। परंतु एक महीने बाद अचानक उसे सूचित किया गया कि फंड फ्रीज होने के कारण अब नियुक्ति संभव नहीं है। यह खबर सुनकर वह भावुक हो गया क्योंकि उसने अपने दोस्तों को भी अमेरिका में आवेदन करने के लिए प्रेरित किया था।

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अमेरिकी संस्थानों में बढ़ती राजनीतिक दमन की चर्चा
अमेरिका में कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों पर भी राजनीतिक दबाव बढ़ रहा है। हाल ही में हार्वर्ड विश्वविद्यालय को संघीय फंडिंग रोकने का सामना करना पड़ा क्योंकि उसने विविधता और समावेशन के कार्यक्रमों को बंद करने से इनकार किया। जेएनयू के छात्रों की चर्चा में यह बात बार-बार आती है कि ये घटनाएं अमेरिकी आधिपत्य के पतन का संकेत हैं।

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अमेरिकी अधिकारियों की शर्तें और छात्रों की झिझक
स्कॉलर्स ने बताया कि वीजा साक्षात्कार के दौरान छात्रों को इस बात पर भी सहमति देनी पड़ती है कि वे राजनीतिक विरोध या गतिविधियों में शामिल नहीं होंगे, वरना उनकी नियुक्ति रद्द कर दी जाएगी। कई छात्रों की नियुक्ति इसी वजह से रद्द भी हो चुकी है। इससे छात्र और अधिक डर के माहौल में आ गए हैं और वे अपनी अभिव्यक्ति पर कड़ी पाबंदी लगाते हैं।

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