महाराष्ट्र में फिलहाल सरकार गठन को लेकर रस्साकशी, नई सरकार के आगे बनते ही होगी चुनौती मराठा आरक्षण की

मुंबई
महाराष्ट्र में फिलहाल सरकार गठन को लेकर रस्साकशी चल रही है। भाजपा और एकनाथ शिंदे की शिवसेना के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर दावेदारी का दौर जारी है। जल्दी ही नए मुख्यमंत्री को लेकर फैसला हो सकता है, लेकिन नई सरकार को सत्ता में आते ही एक चुनौती का सामना करना होगा। यह चुनौती है, मराठा आरक्षण की। चुनाव में मराठा आरक्षण आंदोलन का कोई खास असर नहीं दिखा और सत्ताधारी दलों को बड़ी जीत के साथ वापसी का मौका मिला है। इसके बाद भी मराठा आरक्षण की मांग करने वाले नेता मनोज जारांगे पाटिल ने नए सिरे से आंदोलन का फैसला लिया है। उनका कहना है कि वह अब सामूहिक भूख हड़ताल करेंगे।

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जालना के अपने गांव अंतरवाली में मनोज जारांगे पाटिल ने यह ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि बीड़ जिले में इस भूख हड़ताल का आयोजन होगा। मनोज पाटिल ने अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा, 'अब चुनाव खत्म हो गया है। उसकी बात छोड़िए। अब यह सोचिए कि आपके समाज और आपके बच्चों का भविष्य क्या होगा। इसलिए आरक्षण की बात की जाए। सभी मराठाओं को अपने बच्चों के भविष्य के बारे में सोचना चाहिए। इसलिए सभी मराठा फिर से एकजुट हो जाएं और आमरण अनशन की तैयारी करें।' उन्होंने कहा कि नई सरकार के गठन के बाद मैं सामूहिक भूख हड़ताल का ऐलान करूंगा और उसकी तारीख के बारे में भी बताऊंगा।

वहीं चुनाव के नतीजों को लेकर मनोज जारांगे पाटिल ने कहा कि मैंने तो पहले ही कहा था कि आप जिसे मतदान करना चाहें कर दें। लेकिन मेरा समाज मेरे साथ है और मैंने भी अपनी भूमिका में कोई बदलाव नहीं किया है। उन्होंने कहा कि यह ध्यान रखना होगा कि मराठाओं से झूठे वादे न किए जाएं। पाटिल ने कहा कि भले ही वे सत्ता में वापस आ गए हैं, लेकिन हम फिर से भूख हड़ताल करेंगे। हमें अच्छे से पता है कि सरकार के पास जितनी ताकत है, वह उससे ही काम करेगी। मराठा समाज के लोगों ने विपक्ष और सत्तापक्ष दोनों की ही वोट दिया है। इसलिए दोनों तरफ के लोगों को मराठाओं के साथ खड़ा होना चाहिए।

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