वाशिंगटन
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीन के शी जिनपिंग की साउथ कोरिया में मुलाकात हो सकती है। एशिया-पैसिफिक समिट के दौरान यह मीटिंग होगी, जिसका एजेंडा भी डोनाल्ड ट्रंप ने स्पष्ट कर दिया है। उन्होंने कहा कि मैं शी जिनपिंग के साथ फेंटानिल पर बात करूंगा। इसी दवा की सप्लाई दोनों देशों के बीच विवाद का विषय बनी है और अमेरिका ने चीन पर टैरिफ लादे हैं। डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि मैं शी जिनपिंग के साथ मीटिंग में फेंटानिल दवा और किसानों के मसले पर बात करूंगा। दोनों की मीटिंग गुरुवार को होने की संभावना है।
ट्रंप प्रशासन का कहना है कि यदि चीन की ओर से फेंटानिल दवा में इस्तेमाल होने वाले केमिकल के निर्यात पर नियंत्रण लगता है तो फिर हम टैरिफ में कमी करेंगे। अमेरिकी प्रशासन ने कहा कि हम चीन पर लादे गए फेंटानिल टैरिफ में 20 फीसदी तक की कमी करेंगे। फिलहाल चीनी उत्पादों पर अमेरिका में 55 फीसदी टैक्स लग रहा है। डोनाल्ड ट्रंप ने यह भी स्पष्ट किया है कि मीटिंग में ताइवान का मसला नहीं उठेगा। उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि हम इस पर बात करेंगे।
फेंटेनाइल एक दर्द निवारक दवा है, जिसे नशे के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा रहा है। यह मॉर्फिन या हेरोइन की माफिक नशा करती है। यह पूरी तरह से प्रयोगशालाओं में बनाई जाती है, जिसमें कोई प्राकृतिक तत्व नहीं होता। आमतौर पर इसे दर्द निवारक दवा के रूप में लेने की सलाह दी जाती है, लेकिन इसकी ओवरडोज घातक है। अमेरिका में बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल दर्द जैसी समस्या से निजात पाने की बजाय नशे के लिए किए जाने की खबरें हैं। इसी के चलते अमेरिका चाहता है कि चीन उन केमिकल्स का निर्यात रोक दे, जिनसे यह दवा तैयार होती है। अमेरिका ने इसी चिंता के तहत चीन पर टैरिफ भी लादे हैं। अब यही दवा एक बार फिर से दोनों ताकतवर मुल्कों के बीच चर्चा का विषय होगी।
कैसे लोग हो जाते हैं फेंटेनाइल की लत का शिकार
फेंटेनाइल कई अन्य नशीली दवाओं की तुलना में अधिक शक्तिशाली है। इसकी थोड़ी सी मात्रा भी घातक ओवरडोज़ का कारण बन सकती है। ऐसा तब भी हो सकता है जब कोई व्यक्ति बिना जाने फेंटेनाइल ले ले, अगर इसे नकली प्रिस्क्रिप्शन गोलियों या अन्य अवैध दवाओं में मिलाया गया हो। फेंटेनाइल टेस्ट स्ट्रिप्स का उपयोग करने से फेंटेनाइल युक्त दवाओं के उपयोग के जोखिम को कम किया जा सकता है। इसका इस्तेमाल करने वाले लोगों को अकसर लत हो जाती है। इसके बार-बार उपयोग से मस्तिष्क की गतिविधि में परिवर्तन होता है जिसके कारण लोग हानिकारक प्रभावों का अनुभव होने पर भी इसका उपयोग जारी रखते हैं।


