कैश-कट्टा गेम ने बदला खेल! तेजस्वी की उम्मीदें टूटीं, NDA की जीत में नई टेंशन

नई दिल्ली 
बिहार विधानसभा चुनाव में वोटों की गिनती अभी जारी है। इस बीच ताजा रुझानों के मुताबिक राज्य में एक बार फिर से NDA की सरकार बननी तय हो गई है। ताजा रुझानों में NDA को 191 सीटें मिलती दिख रही हैं, जबकि विपक्षी महागठबंधन 50 के आंकड़े से नीचे पर सिमटता दिख रहा है। भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है। 101 सीटों पर लड़ी भाजपा ताजा रुझानों (12.20 बजे तक) के मुताबिक 86 सीटों पर आगे चल रही है, जबकि जेडीयू दूसरे नंबर की पार्टी बनती दिख रही है। जेडीयू अभी तक 76 सीटों पर आगे चल रही है। वहीं राजद 34 सीटों पर ही संघर्ष करती दिख रही है।
 
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विधान सभा चुनाव से पहले आचारसंहिता लागू होने के बावजूद नीतीश सरकार द्वारा राज्य की 1.7 करोड़ महिलाओं को 10,000 रुपये कैश उनके खातों में ट्रांसफर करने की स्कीम ने तुरूप के पत्ते की तरह काम किया और महिलाओं का वोट एकमुश्त NDA खेमे को मिला। विश्लेषकों का कहना है कि इस कैश स्कीम ने महिलाओं को अधिक से अधिक संख्या में वोट करने को प्रेरित किया। इस कैश स्कीम की वजह से पुरुषों की तुलना में महिलाओं का मतदान 8.15 फीसदी ज्यादा रहा। बता दें कि इस बार के मतदान में पुरुषों की हिस्सेदारी 62.98% रही जबकि महिलाओं की मतदान में भागीदारी 71.78% रही। राज्य में महिला मतदाताओं की संख्या 3.51 करोड़ है।

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PM मोदी का ‘कट्टा, दुनाली, रंगदारी’ राग
इसके अलावा चुनावी रैलियों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बड़ा असर डाला। उन्होंने अपनी लगभग सभी रैलियों में 'कट्टा, दुनाली, रंगदारी' जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया, जिसने मतदाताओं को जंगल राज की याद दिलाई। पीएम मोदी के भाषणों और चुनावी दांव से लोगों को लगने लगा कि अगर राज्य में राजद सरकार की वापसी हुई तो बिहार में फिर से कथित जंगलराज आ सकता है। लिहाजा, कट्टा दांव के इस भय ने मतदाताओं को राजद के खिलाफ लामबंद करने में अहम भूमिका निभाई और नतीजा सबके सामने है।

नीतीश का कहा पूरा, तेजस्वी का अभी वादा ही
हालांकि, चुनावी रण में तेजस्वी ने भी महिलाओं को हर महीने 2500 रुपये देने का वादा किया लेकिन एक की कथनी और दूसरे की करनी का अंतर समझ महिलाओं ने नीतीश पर ज्यादा भरोसा किया। तमाम एग्जिट पोल्स के सर्वे में भी ये बात सामने आई है कि NDA गठबंधन को 45 फीसदी से ज्यादा महिलाओं ने वोट दिया है, जबकि महागठबंधन को 40 फीसदी के करीब महिलाओं का वोट मिला है। यानी महागठबंधन पर NDA को पांच फीसदी की बढ़त हासिल थी।

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जीतकर भी भाजपा को क्यों टेंशन?
बहरहाल, चुनावी रुझान बता रहे हैं कि राज्य में एक बार फिर NDA सरकार बनने जा रही है लेकिन इसी के साथ भाजपा को एक टेंशन भी सताने लगी है। टेंशन मुख्यमंत्री को लेकर है। चूंकि भाजपा ने अभी तक खुलकर नहीं कहा है कि नीतीश कुमार ही उनकी तरफ से मुख्यमंत्री का चेहरा हैं, इसलिए थोड़ी शक की गुंजाइश बनी हुई है। भाजपा अब सबसे बड़ी पार्टी के रूप में ऊभरी है और गठबंधन में भी वह जेडीयू के मुकाबले आगे है। ऐसे में भाजपा की चाहत होगी कि वह अपना मुख्यमंत्री बनाए। अगर भाजपा ने इस चाहत को अमली जामा पहनाने की कोशिश की तो नीतीश कुमार नाराज हो सकते हैं। फिर वह विपक्षी खेमे में जाने से परहेज नहीं कर सकेंगे क्योंकि ऐसा उनका इतिहास भी रहा है।
रुझानों में NDA के किस दल की क्या स्थिति?

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हालांकि, राजनीतिक जानकारों का कहना है कि भाजपा फिलहाल यह रिस्क तब तक नहीं ले सकती है, जब तक कि उसे यह भरोसा न हो जाए कि वह बिना नीतीश के भी राज्य विधानसभा में बहुमत साबित कर देगी। दूसरी तरफ केंद्र सरकार पर असर पड़ सकता है और सबसे बड़ी बात भाजपा के खिलाफ नैरेटिव सेट हो सकता है। फिलहाल ताजा रुझानों के मुताबिक भाजपा को 86, चिराग की पार्टी LJPR को 21, हम को 5 और RLM को 4 सीटें मिलती दिख रही हैं, जो कुल मिलाकर 116 सीटें होती हैं, जबकि बहुमत के लिए 122 सीटों की दरकार होगी। यानी भाजपा जो बड़ा भाई बन चुकी है, उसे अपने दम पर सरकार बनाने के लिए मिशन कमल के तहत आधा दर्जन से ज्यादा सीटों का जुगाड़ करना होगा। बहरहाल, जहां मोदी-नीतीश की जोड़ी और उनके कैश और कट्टे के दांव ने युवा तेजस्वी के सपने चकनाचूक कर दिए हैं, वहीं भाजपा अंदरखाने एक नई टेंशन में आ गई है।

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