बीबी का ‘वर्जिनिटी टेस्ट’ कराने कोर्ट पहुंचा पति, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने दिया यह जवाब

 बिलासपुर
 छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने महिला को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि किसी भी महिला को वर्जिनिटी टेस्ट के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। ऐसा करना संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है। यह फैसला जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा ने एक आदमी की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।

पति ने अपनी पत्नी का वर्जिनिटी टेस्ट कराने की मांग की थी। वह साबित करना चाहता था कि उसकी पत्नी का किसी और के साथ अफेयर है।
अदालत ने क्या सुनाया फैसला?

कोर्ट ने कहा कि वर्जिनिटी टेस्ट की इजाजत देना महिला के मौलिक अधिकारों, प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों और उसकी निजी गरिमा के खिलाफ होगा। जज अरविंद कुमार वर्मा ने व्यक्ति द्वारा दायर आपराधिक याचिका के जवाब में यह टिप्पणी की।

आदमी का कहना था कि वो अपनी पत्नी का वर्जिनिटी टेस्ट कराना चाहता था क्योंकि वो यह साबित करना चाहता था कि उसका पत्नी के साथ किसी के साथ अफेयर है।

आदमी ने फैमिली कोर्ट के 15 अक्टूबर 2024 के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उसकी अर्जी खारिज कर दी गई थी। पत्नी ने आरोप लगाया था कि उसका पति नपुंसक है और वह उसके साथ रिश्ते बनाने से इनकार करता है। कोर्ट ने आदमी से कहा कि वह अपनी नपुंसकता के आरोप को गलत साबित करने के लिए मेडिकल टेस्ट करा सकता है।

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पत्नी ने आरोप लगाया था कि उसका पति नपुंसक है और उसने सहवास करने से इनकार कर दिया है। हाई कोर्ट ने कहा कि अगर याचिकाकर्ता यह साबित करना चाहता है कि नपुंसकता के आरोप निराधार हैं, तो वह संबंधित मेडिकल टेस्ट करा सकता है या कोई अन्य सबूत पेश कर सकता है। उसे पत्नी का कौमार्य परीक्षण कराने की अनुमति नहीं दी जा सकती। हाई कोर्ट द्वारा 9 जनवरी को पारित आदेश को हाल ही में उपलब्ध कराया गया।

हाई कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा अपनी पत्नी के कौमार्य परीक्षण की मांग करना असंवैधानिक है। यह संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन करता है, जिसमें महिलाओं के सम्मान का अधिकार शामिल है। भारत के संविधान का अनुच्छेद 21 न केवल जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी देता है, बल्कि सम्मान के साथ जीने का अधिकार भी देता है, जो महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है।

कोर्ट ने कहा कि किसी भी महिला को अपना कौमार्य परीक्षण कराने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। अनुच्छेद 21 के तहत दिया गया व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार अपरिवर्तनीय है और इसके साथ किसी भी तरह से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती।

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हाई कोर्ट ने कहा, "चाहे जो भी हो, लेकिन किसी भी मामले में प्रतिवादी को कौमार्य परीक्षण की अनुमति देना उसके मौलिक अधिकारों, प्राकृतिक न्याय के प्रमुख सिद्धांतों और एक महिला की शील के विरुद्ध होगा।

पीठ ने आगे कहा कि दोनों पक्षों द्वारा एक-दूसरे के खिलाफ लगाए गए आरोप साक्ष्य का विषय हैं। साक्ष्य के बाद ही कोई निष्कर्ष निकाला जा सकता है। हाई कोर्ट का विचार है कि फैमिली कोर्ट का आदेश न तो अवैध है और न ही विकृत है। इस जोड़े ने 30 अप्रैल 2023 को हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार विवाह किया। महिला कोरबा जिले में पति के पारिवारिक आवास पर साथ रहती थी।

याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि पत्नी ने कथित तौर पर अपने परिवार के सदस्यों से कहा कि उसका पति नपुंसक है। उसने अपने पति के साथ सहवास करने से इनकार कर दिया। उसने 2 जुलाई 2024 को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 144 के तहत रायगढ़ जिले के फैमिली कोर्ट में अपने पति से 20000 रुपए के भरण-पोषण की मांग करते हुए एक अंतरिम आवेदन दायर किया।

भरण-पोषण दावे के अंतरिम आवेदन के जवाब में याचिकाकर्ता ने अपनी पत्नी का कौमार्य परीक्षण कराने की मांग की। आरोप लगाया कि वह अपने देवर के साथ अवैध संबंध में थी। दावा किया कि उसने कभी अपनी पत्नी से शारीरिक संबंध नहीं बनाए।

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15 अक्टूबर 2024 को रायगढ़ की फैमिली कोर्ट ने पति के अनुरोध को खारिज कर दिया। इसके बाद पति ने हाई कोर्ट में आपराधिक याचिका दायर की। मामला फिलहाल फैमिली कोर्ट में साक्ष्य के स्तर पर है।

HC- नहीं दी जा सकती वर्जिनिटी टेस्ट की अनुमति

    हाई कोर्ट ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता यह साबित करना चाहता है कि नपुंसकता के आरोप निराधार हैं, तो वह संबंधित चिकित्सा टेस्ट करवा सकता है या कोई अन्य सबूत प्रस्तुत कर सकता है।
    हाल ही में उपलब्ध कराए गए 9 जनवरी को पारित हाई कोर्ट के आदेश में कहा गया है, "उसे संभवतः पत्नी का वर्जिनिटी टेस्ट करवाने और अपने साक्ष्य में कमी को पूरा करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

मामला क्या है?

इस कपल की शादी 2023 में हुई थी। पत्नी ने कथित तौर पर अपने परिवार के सदस्यों से कहा कि उसका पति नपुंसक है, और उसने वैवाहिक संबंध स्थापित करने से इनकार कर दिया। उसने अपने पति से ₹20,000 का भरण-पोषण मांगा।

याचिकाकर्ता ने जवाब दिया, फिर अपनी पत्नी का वर्जिनिटी टेस्ट कराने की मांग की और आरोप लगाया कि वह अपने देवर के साथ अवैध संबंध में है।

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