कोलकाता में पीली टैक्सियां गायब होने की कगार पर, ड्राइवरों ने जताई चिंता

कोलकाता
कभी कोलकाता शहर की पहचान और परिवहन का मुख्य साधन मानी जाने वाली पीली टैक्सियां अब लगभग गायब होने की कगार पर हैं। एक समय ऐसा था जब हावड़ा और सियालदह रेलवे स्टेशन के बाहर पीली टैक्सियों की लंबी कतारें यात्रियों का इंतजार करती नजर आती थीं लेकिन अब इनकी संख्या लगातार घटती जा रही है।

तेजी से घट रही टैक्सियों की संख्या
: पहले कोलकाता में 27,000 से 28,000 पीली टैक्सियां सड़कों पर दौड़ती थीं।
: अब यह संख्या घटकर 3000-4000 रह गई है।
: अगले एक महीने में लगभग 1,000 और टैक्सियां बंद होने की आशंका है।

ऑनलाइन कैब सेवाओं का बढ़ता दबदबा
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पीली टैक्सियों की घटती लोकप्रियता का मुख्य कारण ऑनलाइन ऐप-आधारित कैब सेवाएं हैं। ये कैब्स आधुनिक सुविधाओं से लैस हैं और यात्रियों को बेहतर अनुभव देती हैं।

: एयर कंडीशनिंग जैसी सुविधाएं ऑनलाइन कैब्स को अधिक पसंदीदा बना रही हैं।
: वहीं पीली टैक्सियां अभी भी पुरानी तकनीक और सीमित सुविधाओं के साथ काम कर रही हैं।
: ऐप बेस्ड कैब्स का किराया भी कई बार पीली टैक्सियों से कम होता है जिससे लोग इन्हें ज्यादा पसंद कर रहे हैं।

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ड्राइवरों की परेशानियां
पीली टैक्सी चलाने वाले ड्राइवर इस बदलाव से सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं।

: हजारों परिवार पीली टैक्सियों पर निर्भर हैं।
: कई ड्राइवरों ने सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया है।
: उनका कहना है कि अगर पीली टैक्सियां बंद हो गईं तो उनकी आजीविका खत्म हो जाएगी।

टैक्सी ड्राइवरों की मांगें
: ड्राइवर चाहते हैं कि सरकार पीली टैक्सियों को बचाने के लिए कोई ठोस कदम उठाए।
: उनका कहना है कि सरकार को पीली टैक्सियों के लिए आधुनिक तकनीक और सुविधाओं को लागू करना चाहिए।
: यदि पीली टैक्सियां बंद होती हैं तो सरकार को उनके लिए विकल्प तैयार करना चाहिए।

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पुरानी यादों का हिस्सा बनती पीली टैक्सियां
पीली टैक्सियां कभी कोलकाता की शान थीं और शहर के परिवहन का अहम हिस्सा थीं लेकिन अब ये सिर्फ पुरानी यादों का हिस्सा बनती जा रही हैं।

: आज पीली टैक्सी का उपयोग लोग केवल विशेष अनुभव या पुरानी यादों को ताजा करने के लिए कर रहे हैं।
: आधुनिक परिवहन साधनों ने पीली टैक्सियों के महत्व को कम कर दिया है।

बता दें कि कोलकाता की पीली टैक्सियां सिर्फ एक साधारण वाहन नहीं बल्कि शहर की संस्कृति और विरासत का हिस्सा हैं। इन्हें बचाने के लिए सरकार और टैक्सी ऑपरेटरों को मिलकर काम करना होगा। यदि ऐसा नहीं किया गया तो पीली टैक्सियां जल्द ही इतिहास का हिस्सा बन जाएंगी और हजारों परिवार अपनी आजीविका से हाथ धो बैठेंगे।

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