मुंबई
महाराष्ट्र में अगले हफ्ते विधानसभा चुनाव होने वाला है। इससे पहले भाजपा नेता और राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मुस्लिम धर्मगुरुओं की संस्था उलेमा कांउसिल की मांगों को मानने के लिए महाविकास अघाड़ी (एमवीए) की आलोचना की। एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि उलेमा काउंसिल ने एमवीए के सामने 15 मांगें रखी थीं, जिसे विपक्षी गठबंधन ने आसानी से मान लिया। एमवीएम पर जमकर निशाना साधते हुए फडणवीस ने कहा कि यह भूमि पूर्वजों की है न कि रजाकारों की।
उलेमा कउंसिल की मांग मानने पर फडणवीस ने एमवीए को घेरा
साक्षात्कार में एमवीए की आलोचना करते हुए महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा, "उलेमा काउंसिल ने उन्हें (एमवीए को) समर्थन देने की घोषणा की और अपनी 14 मांगों को उनके सामने रख दिया। उन्होंने (एमवीए) एक साधारण चिट्ठी के जरिए उनकी मांगों को मान लिया। अगर कोई अपनी मांग सामने रखता है, मुझे इससे कोई परेशानी नहीं है। मैं केवल यह सवाल करता हूं कि इनमें से कौन सी मांग स्वीकार्य है। यह मैं आपको बताऊंगा।" उन्होंने आगे कहा, "एक मांग यह है कि 2012 से लेकर 2024 तक दंगों में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ सभी मामले खारिज किए जाएं और वापस लिए जाएं। मैं यह पूछना चाहता हूं कि यह किस तरह की राजनीति है? अगर कोई भी पार्टी ऐसे दंगाइयों को साथ लेकर चुनाव लड़ना चाहती है तो हम बंटे रहेंगे और हमें मार दिया जाएगा।"
एमवीए पर लगाए आरोप
धर्मिक एकता पर भाजपा के रुख पर प्रकाश डालते हुए फडणवीस ने सीएम योगी के नारे को याद किया। उन्होंने कहा, "जब मुख्यमंत्री योगी ने कहा, बंटेंगे तो कटेंगे। वे हमें इतिहास की याद दिला रहे हैं। यह जमीन छत्रपति शिवाजी महाराज जैसे हमारे पूर्वजों की है न कि रजाकाकों की।" विपक्षी एमवीए के उलेमा काउंसिल जैसे समूहों के साथ कथित गठबंधन के जवाब में फडणवीस ने कहा, "अगर 1920 में कांग्रेस ने वंदे मातरम् का आधा भाग गाने की मांग न मानी होती तो आजादी का बीज न बोया गया होता।"
महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम ने महाविकास अघाड़ी पर राजनीति के लिए धर्म का विभाजन करने का आरोप लगाया। उन्होंने चेतावनी दी कि कांग्रेस की नीतियां का उद्देश्य ओबीसी समुदाय को विभाजित करना है। जब उनसे महायुति के सत्ता में आने के बाद सीएम चेहरे के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अभी तक कोई योजना नहीं बनाई गई है। उन्होंने महायुति की सरकार बनने पर जोर दिया और बताया कि तीनों पार्टियां (भाजपा, राकांपा और शिवसेना) एकसाथ बैठकर इसपर चर्चा करेगी।