हमास, हिजबुल्ला तबहा, अब हूती की बारी, बीच में आया ईरान तो छोड़ेगा नहीं इजरायल

तेल अवीव

लेबनान के अंदर घुसकर हिजबुल्लाह के टॉप कमांडर सैयद हसन नसरल्लाह को इजरायल की ओर से मार गिराने की पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है। सबसे ज्यादा हैरानी लोगों को इस तथ्य से हो रही है कि ईरान के ही एक जासूस ने इजरायल के लिए काम किया और नसरल्लाह का पता उसे बता दिया। फ्रांसीसी अखबार ले पैरिसियन की रिपोर्ट के अनुसार करीब डेढ़ घंटे पहले ईरानी दूत ने इजरायल को नसरल्लाह का पता बताया और फिर इजरायल ने उस इमारत को ही नेस्तनाबूद कर दिया, जहां वह अपने कमांडरों के साथ मीटिंग कर रहा था। कहा जा रहा है कि वह बंकर में छिपा था, लेकिन इमारत गिरने की दहशत से ही वह मारा गया।

आखिर इजरायल ने कैसे इतनी मजबूत तैयारी की थी कि तेहरान में हमास कमांडर इस्माइल हानियेह को मार गिराया और फिर लेबनान में हिजबुल्लाह के लीडर को मार डाला। यह अहम सवाल है। दरअसल 2006 में जब इजरायल की हिजबुल्लाह से जंग हुई थी तो यह 34 दिनों तक चली थी। इस युद्ध में हिजबुल्लाह के आगे इजरायल की स्थिति बहुत मजबूत नहीं थी। लेकिन यहीं से इजरायल ने सबक सीखा और 2006 के बाद से ही अगली जंग की प्लानिंग शुरू कर दी। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार इजरायल ने तब से ही जंग की तैयारी शुरू कर दी थी और खासतौर पर खुफिया मिशन पर उसका जोर था।

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लेबनान में हिजबुल्लाह के खिलाफ इजरायल का सैन्य अभियान जारी है। इजरायल ने हिजबुल्लाह नेता हसन नसरल्लाह को भी मार दिया। इसका खुलासा खुद इजरायली सेना ने किया। इस बीच भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने बताया कि इजरायल ने लेबनान में कैसे तैयारी के साथ हमला किया। उन्होंने कहा कि जो शेल कंपनी बनाई गई, वो ही इजरायल का मास्टरस्ट्रोक है।

'इजरायल का मास्टर स्ट्रोक'
आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने हिजबुल्लाह नेता हसन नसरल्लाह के खिलाफ इजरायली सैन्य अभियान पर कहा, 'जो शेल कंपनी बनाई गई है, वह इजरायल का मास्टरस्ट्रोक है। इसके लिए उसे सालों-साल की तैयारी की जरूरत है। इसका मतलब है कि वे इसके लिए तैयार थे और यही बात मायने रखती है। युद्ध उस तरह से शुरू नहीं होता जिस तरह से आप लड़ना शुरू करते हैं, यह उस दिन से शुरू होता है जिस दिन आप योजना बनाना शुरू करते हैं।'

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'हमास को खत्म करने पर अड़ गया इजरायल'
आर्मी चीफ ने एक अखबार से बात करते हुए कहा कि इजरायल ने हमास को अपना पहला टारगेट बनाया और उसे जड़ से खत्म करने पर अड़ गया। जनरल द्विवेदी ने विदेश मंत्री एस जयशंकर की एक किताब का हवाला देते हुए इजरायल की रणनीति की तुलना महाभारत के एक प्रसंग से की, जहां अर्जुन, अगर चक्रव्यूह में प्रवेश करते, तो जीवित बच सकते थे और अभिमन्यु भी बच जाता। इसी तरह, इजरायल ने हमास को पहले निपटाने का फैसला किया है।

खासतौर पर इजरायल ने यूनिट 8200 को तैनात किया। यह इजरायली सेना की ही एक यूनिट है, जो मोसाद के साथ मिलकर काम करती है। इसके तहत उसने साइबर वारफेयर पर काम किया। इसी एजेंसी की देन थी कि उसने हिजबुल्लाह पर पेजर और वॉकी-टॉकी ब्लास्ट के जरिए हमले कराए। इसी के तहत ईरान की इंटेलिजेंस यूनिट में घुसपैठ की गई और उसके 20 लोगों से सारी सूचना हासिल की गई। ईरान के परमाणु ठिकानों से लेकर हिजबुल्लाह, हमास के लीडर्स तक के बारे में पूरी जानकारी इजरायल को मिल गई।

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इजरायल के इस इंटेलिजेंस वारफेयर का पहला नतीजा 2008 में आया था। तब मोसाद ने सीआईए के साथ मिलकर हिजबुल्लाह के टॉप लीडर इमाद मुगनियाह को ढेर कर दिया था। इसके बाद 2020 में ईरानी कुद्स फोर्स के नेता कासिम सुलेमानी को अमेरिका ने मार गिराया था। सुलेमानी की लोकेशन की पूरी जानकारी इजरायली एजेंसी ने ही अमेरिका को दी थी, जिसे इराक में मारा गया था। इसी दौरान इजरायल नसरल्लाह को मार गिराने वाला था, लेकिन तब ऐसा नहीं किया। इसकी वजह थी कि इजरायल तब युद्ध नहीं चाहता था। अब इजरायल की वह 18 साल पुरानी तैयारी काम आ रही है। उसने 7 दिनों में हिजबुल्लाह के सात कमांडरों को मार गिराया है। इसके अलावा हमास के लीडर्स को भी उसने ढेर किया है।

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