स्तनपान बच्चों और माताओं का मानवाधिकार, नर्स को चाइल्ड केयर लीव देने से किया इनकार, हाईकोर्ट ने लगाई फटकार, दिया ये आदेश

बेंगलुरु

कर्नाटक हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और तंत्रिका विज्ञान संस्थान (NIMHANS) को अनिता जोसेफ नाम की नर्स को 120 दिन का चाइल्ड केयर लीव (CCL) देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि स्तनपान बच्चों और माताओं के लिए एक मानवाधिकार है। इसे दोनों के लाभ के लिए संरक्षित और प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। कोर्ट के इस फैसले से पहले CAT ने पहले ही NIMHANS को चाइल्ड केयर लीव देने का निर्देश दिया था, जिसके खिलाफ NIMHANS ने हाईकोर्ट में अपील की थी। कोर्ट ने अपने इस फैसले में कार्यरत माताओं और उनके बच्चों के अधिकारों को मान्यता देने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।

कोर्ट ने कही ये बात
कोर्ट ने कहा कि बच्चों को स्तनपान कराने और उनके साथ पर्याप्त समय बिताने का अधिकार माताओं को है। NIMHANS ने तर्क दिया कि ICU नर्स को छुट्टी देने से आवश्यक सेवाएं बाधित होंगी। न्यायालय ने इस तर्क को खारिज कर दिया और कहा कि एक नर्स की अनुपस्थिति से अत्यधिक कठिनाई कैसे होगी, यह समझ से परे है।

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ये है मामला
जानकारी के अनुसार, अनिता जोसेफ ICU में नर्स हैं। उसने अपने बच्चे की देखभाल के लिए जनवरी 2023 से मई 2023 तक सीसीएल के लिए आवेदन किया था। NIMHANS ने यह कहते हुए उनके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया कि ICU नर्स को 120 दिन की छुट्टी देने से आवश्यक सेवाएं बाधित होंगी। जोसेफ ने CAT का दरवाजा खटखटाया, जिसने उनके पक्ष में फैसला सुनाया। CAT ने बच्चे के शुरुआती वर्षों में स्तनपान और देखभाल के महत्व को स्वीकार किया। इस फैसले से असंतुष्ट NIMHANS ने ट्रिब्यूनल के आदेश को रद्द करने के लिए हाईकोर्ट का रुख किया।

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हाईकोर्ट ने दिया इस बात का हवाला
हाईकोर्ट ने बाल अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन, 1989 का हवाला दिया। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि बच्चे का सर्वोत्तम हित प्राथमिक विचार होना चाहिए। समाज का दायित्व है कि वह इस लक्ष्य को आगे बढ़ाने के लिए स्तनपान को बढ़ावा दे। कोर्ट ने कहा कि NIMHANS, संविधान के अनुच्छेद 12 के तहत राज्य का एक साधन होने के नाते, एक आदर्श नियोक्ता के रूप में कार्य करना चाहिए। मातृत्व और बाल देखभाल अवकाश के दावों पर उचित विचार किया जाना चाहिए। हाईखोर्ट ने टिप्पणी की, कैजुअल लीव एक नियमित बात है, जबकि मातृत्व अवकाश एक गंभीर मामला है। इसी तरह, मेडिकल लीव बीमारी की प्रकृति पर निर्भर करती है। चाइल्ड केयर लीव के महत्व को भी कम नहीं आंका जा सकता।

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