भारत की धरती के हो सकते हैं दो टुकड़े, वैज्ञानिकों का भारतीय टेक्टोनिक प्लेट पर बड़ा खुलासा

लंदन
 दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटियां रखने वाला हिमालय हमेशा से भूगर्भ वैज्ञानिकों को चकित करता रहा है। लेकिन इसकी आसमान छूती चोटियों से बहुत नीचे जमीन के अंदर एक हलचल चल रही है, जहां भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेटें धीमी गति से टकराव कर रही है। असल में 6 करोड़ साल पहले शुरू हुए इसी भूगर्भीय टकराव ने इन ऊंची चोटियों का निर्माण किया। हाल के शोध में वैज्ञानिकों ने पाया है कि भारतीय प्लेट टूट रही है। इसका मतलब है कि भारत की धरती दो टुकड़ों में बंट सकती है। ऐसे पहले अफ्रीका के साथ हुआ है, जब एशिया से अलग हो गया था। उसी दौरान भारतीय उपमहाद्वीप का हिस्सा एशिया में जुड़ा था।
भारतीय प्लेट टूट रही

ये भी पढ़ें :  3-4 सितंबर को जीएसटी काउंसिल बैठक, त्योहारों से पहले सस्ता हो सकता है सामान

यूरेशियन और भारतीय प्लेटों के टकराव के दौरान इसके व्यवहार पर वैज्ञानिकों ने लंबे समय से बहस की है। घनी समुद्री प्लेटों के उलट भारतीय प्लेट जैसी महाद्वीपीय प्लेटें पृथ्वी के मेंटल में डूबने का विरोध करती हैं। हालिया अध्ययन बताता है कि भारतीय प्लेट के कुछ हिस्से अलग हो सकते हैं। इस सिद्धांत को भूकंप की तरंगों और तिब्बती झरनों से मिले गैस के नमूनों के डेटा से समर्थन मिला है।

ये भी पढ़ें :  सुप्रीम कोर्ट की खरी-खरी अब हाईकोर्ट के जजों का भी परफॉर्मेंस ऑडिट का समय...

भूकंप के बारे में मिल सकती है जानकारी

हीलियम आइसोटोप्स ने संकेत दिया है कि प्लेट के अलग होने पर मेंटल चट्टानें उभर रही हैं। शोधकर्ताओं का मानना है कि गर्म मेंटल सामग्री अलगाव के चलते बनी खाली जगह को भर सकती है। यूट्रेक्ट यूनिवर्सिटी के जियोडायनमिसिस्ट डोव वैन ने कहा, 'हमें नहीं पता कि महाद्वीप इस तरह का व्यवहार कर सकते हैं।' ये निष्कर्ष क्षेत्र में टेक्टोनिक गतिविधि और भूकंप के जोखिमों के बारे में नई जानकारी प्रदान कर सकते हैं।

भारतीय प्लेट में कई दरारें

ये भी पढ़ें :  जम्मू-कश्मीर को फिर राज्य बनाए केंद्र सरकार? सुप्रीम कोर्ट में 8 अगस्त को अहम सुनवाई

भूवैज्ञानिकों का मानना है कि भारतीय प्लेट में अलग-अलग मोटाई और संरचना के कारण कई बार दरारें आई हैं। भूटान के पास एक प्रमुख क्षेत्र में दरार के सबूत मिले हैं, जिसमें संभवतः मेंटल चट्टानें खाली जगह में बह रही हैं। भूकंप की तरंगों की मैपिंग करके वैज्ञानिकों ने सतह के नीचे अलग-अलग धब्बों की पहचान की, जिससे पता चलता है कि प्लेट के कुछ हिस्से अलग हो गए हैं। शोधकर्ता अब इस बात की खोज कर रहे हैं कि प्लेट के टूटने से इस क्षेत्र में भूकंप कैसे आ सकते हैं।

Share

क्लिक करके इन्हें भी पढ़ें

Leave a Comment