क्या भारत के लिए एक जयशंकर काफी? विदेश मंत्री ने पीएम मोदी का नाम लेकर दिया करारा जवाब

नई दिल्ली

विदेश मंत्री एस जयशंकर अपनी वाकपटुता के लिए जाने जाते हैं। पुणे में एक कार्यक्रम वैश्विक राजनीति और रणनीति पर बात करते हुए जयशंकर ने भगवान श्री कृष्ण और भगवान हनुमान को दुनिया का सबसे महान रजानयिक बताया। इसी कार्यक्रम में जब उनसे पूछा गया कि क्या भारत के लिए एक जयशंकर काफी है या फिर हमें और जयशंकर की जरूरत है? इस सवाल का जवाब मुस्कराकर देते हुए जयशंकर ने कहा कि आपका सवाल ही गलत है।

विदेश मंत्री ने कहा, "आपका सवाल यह होना चाहिए कि एक मोदी हैं। क्योंकि असली फर्क नेता और उसके विजन, आत्मविश्वास से पड़ता है। देश अपने नेताओं के विजन से पहचाने जाते हैं। उनके उस विजन को अमल में लाने वाले कई लोग होते हैं, लेकिन आखिरकार नेता ही मुख्य होता है।"

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पुणे बुक फेस्टिवल में पश्चिमी राजनयिकों पर अपनी बात रखते हुए जयशंकर ने महाभारत और रामायण का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, "ज्यादातर किताबें पश्चिमी लोगों के द्वारा लिखी गई हैं… मैं यह पढ़-पढ़कर थक गया हूं कि वह बहुत रणनीतिक हैं, जबकि भारत के पास रणनीति और राजकौशल की कोई परंपरा नहीं है। हम अपनी आस्थाओं और संस्कृतियों के साथ बड़े हुए हैं लेकिन हम अपने ही शब्दों का इस्तेमाल नहीं करते… इसलिए दुनिया भी उन्हें नहीं जानती है।"

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उन्होंने कहा, "आम तौर पर हम महाभारत और रामायण को सत्ता, संघर्ष और परिवार की कहानी मानते हैं। हम इनकी रणनीति, युक्ति और गेम प्लान के बारे में स्पष्ट रूप से सोच नहीं पाते। दरअसल, एक बार जब मुझसे किसी ने पूछा था कि आपके हिसाब से सबसे महान राजनियक कौन हैं, तो मैंने कहा था कि भगवान श्रीकृष्ण और हनुमान। इनमें से एक महाभारत के महान राजनयिक हैं, तो दूसरे रामायण के।"

गठबंधन के दौर में है दुनिया: जयशंकर

वैश्विक स्तर पर मची उथल-पुथल को लेकर अपनी बात रखते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि आज की दुनिया गठबंधन की राजनीति जैसी है। उन्होंने कहा, "आज किसी के पास भी पूर्ण बहुमत नहीं है। किसी गठबंधन के पास भी पूर्ण बहुमत नहीं ह। ऐसे में रोज नए समीकरण बनते हैं, सौदे होते हैं, कोई ऊपर होता है, कोई नीचे, हर दिन कोई नया मुद्दा उभरकर सामने आता है। बहुध्रवीय दुनिया कई पार्टियों के जैसी है। कभी आप एक के साथ होते हैं, तो कभी दूसरे मुद्दे पर दूसरे के साथ… लेकिन इस सब बातों के बीच बस एक ही सिद्धांत है… मेरे देश की मदद करना, जो भी मेरे देश के हित में हो, मदद कर रहा हो… बस वही मेरा विकल्प है।"

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