मुख्य चुनाव आयुक्त को संविधान का कवच, विपक्ष के लिए हटाना मुश्किल

नई दिल्ली 
कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष और भारत के चुनाव आयोग के बीच बढ़ते तनाव के बीच जानकारी सामने आई है कि विपक्ष मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के खिलाफ पद से हटाने का नोटिस लाने पर विचार कर रहा है. यह चौंकाने वाला कदम विपक्ष के नेता राहुल गांधी की तरफ से चुनाव आयोग के कामकाज में बड़े पैमाने पर खामियों और 'वोट चोरी' के आरोपों के बाद उठाया जा सकता है. बिहार में वोटर लिस्ट के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन के बाद तनातनी ज्यादा बढ़ गई है. 

CEC को हटाने के क्या प्रावधान?
सबसे पहले यह समझना ज़रूरी है कि मुख्य चुनाव आयुक्त का पद एक बड़ी संवैधानिक अथॉरिटी है जिस पर भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने की अहम ज़िम्मेदारी है. इस पद की स्वतंत्रता और स्वायत्तता की रक्षा भारतीय लोकतंत्र के लिए जरूरी है, और इसीलिए भारत के संविधान में मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाने के लिए काफी जटिल प्रावधान हैं, जो सुप्रीम कोर्ट के जज को पद से हटाने की तरह हैं. 

मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाने से संबंधित प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 324(5) में दिए गए हैं. संविधान के अनुच्छेद 324(5) में कहा गया है कि मुख्य चुनाव आयुक्त को पद से उसी तरह और उसी आधार पर हटाया जा सकता है, जिस तरह सुप्रीम कोर्ट के जज को पद से हटाया जाता है. अनुच्छेद का यह क्लॉज मुख्य चुनाव आयुक्त और सुप्रीम कोर्ट के जज के बीच एक तरह से समानता स्थापित करता है, और यह तय करता है कि मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाने का 'तरीका' और 'आधार' संविधान में सुप्रीम कोर्ट के जज को हटाने के लिए निर्धारित नियमों की तरह होने चाहिए. नतीजन, मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाने की प्रक्रिया को समझने के लिए, सर्वोच्च न्यायालय के जज को हटाने के संवैधानिक और वैधानिक ढांचे को समझना जरूरी है. 

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SC के जजों को कैसे हटाया जाता है?
सर्वोच्च न्यायालय के जज को हटाने की प्रक्रिया, जो सीधे मुख्य चुनाव आयुक्त पर लागू होती है, भारत के संविधान के अनुच्छेद 124(4) में दर्ज है और न्यायाधीश (जांच) अधिनियम, 1968 के तहत आती है. संविधान के अनुच्छेद 124(4) में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के किसी भी जज को उनके पद से तब तक नहीं हटाया जा सकता, जब तक कि राष्ट्रपति का कोई आदेश न हो. यह आदेश तभी पारित हो सकता है, जब संसद के दोनों सदन (लोकसभा और राज्यसभा) एक ही सत्र में जज को हटाने के लिए एक प्रस्ताव पास करें. यह प्रस्ताव 'सिद्ध दुर्व्यवहार' या 'अक्षमता' के आधार पर पारित होना चाहिए. इसे पास करने के लिए दोनों सदनों में 'विशेष बहुमत' की जरूरत होती है. इसका मतलब है कि सदन की कुल सदस्यता का बहुमत और साथ ही उस सदन में उपस्थित और वोट डालने वाले सदस्यों के कम से कम दो-तिहाई सदस्यों का बहुमत होना चाहिए.

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यह अनुच्छेद किसी जज को हटाने के लिए जरूरी आधारों और उच्च संसदीय सीमा को तय करता है. संविधान में दर्ज दो आधार 'सिद्ध कदाचार' (Proved misbehaviour) या 'अक्षमता' (Incapacity) हैं. यहां, सिद्ध शब्द महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसका मतलब है कि किसी भी संसदीय मतदान से पहले जांच और पुष्टि होना जरूरी है. इसके अलावा, अनुच्छेद 124(4) लोकसभा और राज्यसभा दोनों में 'विशेष बहुमत' का प्रावधान करता है. इसका मतलब है कि सिर्फ उपस्थित और वोट देने वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत से काम नहीं चलेगा, बल्कि सदन की कुल सदस्य संख्या का बहुमत होना भी ज़रूरी है.

इस प्रक्रिया के अनुसार, मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाने की प्रक्रिया सिर्फ सिद्ध दुर्व्यवहार या अक्षमता के आधार पर ही शुरू की जा सकती है. पद से हटाने के किसी भी प्रस्ताव को अंतिम आदेश के लिए राष्ट्रपति के सामने पेश करने से पहले संसद के दोनों सदनों में विशेष बहुमत हासिल करना होगा.

दुर्व्यवहार या अक्षमता कैसे साबित होती है?
किसी जज पर लगे 'सिद्ध दुर्व्यवहार या अक्षमता' के आरोपों की जांच और उन्हें साबित करने की प्रक्रिया सिर्फ संसद के सदस्यों की मर्जी पर नहीं छोड़ी गई है, बल्कि इसके लिए न्यायाधीश (जांच) अधिनियम, 1968 बनाया गया है. चूंकि CEC को भी जज की तरह ही हटाया जाता है, इसलिए यह कानून बाकी पहलुओं को भी नियंत्रित करता है. संविधान में 'सिद्ध दुर्व्यवहार' कोई परिभाषा नहीं दी गई है, लेकिन इसमें जानबूझकर किया गया गलत काम, भ्रष्टाचार, नैतिक पतन से जुड़े अपराध या पद का दुरुपयोग शामिल हो सकता है. यह सिर्फ एक गलती नहीं, बल्कि बार-बार की गई लापरवाही या लापरवाही से भरा व्यवहार हो सकता है जो एक पैटर्न को दिखाता हो. इसी तरह 'अक्षमता' का मतलब शारीरिक या मानसिक रूप से इस हालत में होना कि व्यक्ति अपने सरकारी काम को ठीक से न कर पाए. इसे एक मेडिकल कंडीशन के तौर पर देखा जाता है.

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कैसे आता है पद से हटाने का प्रस्ताव
सिद्ध दुर्व्यवहार या अक्षमता के आधार पर किसी मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाने के लिए, सबसे पहले संसद के किसी भी सदन में मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाने का प्रस्ताव पेश किया जाना चाहिए. प्रस्ताव की सूचना पर लोकसभा के कम से कम 100 सदस्यों या राज्यसभा के कम से कम 50 सदस्यों के हस्ताक्षर होने चाहिए.

 

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