रायपुर.
पूर्व मंत्री और विधायक अजय चंद्राकर के दिल्ली दौरे से छत्तीसगढ़ के सियासत में उबाल आ गया. विधायक ने कहा कि मंत्री बनना, नहीं बनना कब बनना और कैसे बनना है. यह विशुद्ध रूप से मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है. इस बारे में मुझे ना कुछ बोलना है. ना ही कुछ कहना है. खाली विभाग जो है. वे विभाग मुख्यमंत्री के पास हैं. विधायक चंद्राकर ने दिल्ली में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, नितिन गडकरी सहित कई बड़े नेताओं से मुलाकात भी की है. चर्चा है की मंत्री के दो खाली पड़े पद में एक नाम अजय चंद्राकर का भी हो सकता है.
धान खरीदी को लेकर विधायक का बयान:
कांग्रेस के धान खरीदी केंद्रों को लेकर प्रेस वार्ता को लेकर विधायक अजय चंद्राकर ने कहा- कोई गंभीर बात वो नहीं बता सके हैं. सुचारू रूप से काम चल रहा है. वहीं धान खरीदी कम होने को लेकर कहा, धान की कटाई पूरी तरह हुई नहीं है. समय बढ़ाने के आवश्यकता नहीं पड़ेगी. निर्धारित समय में पूरी खरीदी हो जाएगी.
क्षेत्र की समस्याओं को लेकर गए थे दिल्ली
दिल्ली दौरे को लेकर विधायक अजय चंद्राकर ने कहा कि हम निर्वाचित जनप्रतिनिधि हैं, अपने क्षेत्र की समस्याओं को लेकर गए थे. कार्यकर्ताओं की समस्याओं को लेकर जा सकते हैं, जो केंद्र सरकार से संबंधित है. मैंने अपने सांसद से लेकर छत्तीसगढ़ के मंत्री तोखन साहू के साथ में क्षेत्र की जो समस्याएं थी, केंद्र सरकार के समक्ष उसके बारे में ही चर्चा हुई.
नगरीय निकायों में विकास को लेकर कांग्रेस पर पलटवार
बीजेपी की सरकार बनने के बाद निकायों में विकास नहीं होने के बयान पर विधायक अजय चंद्राकर ने कहा कि विकास जिसका होना है, उसका तो पूरा विकास हो गया. रायपुर में कितने तालाबो का सौंदर्यीकरण हुआ है देखिए. ये कांग्रेस का विकास है रायपुर में.
कांग्रेस के आंदोलन पर दिया बयान
अपराध और धान को लेकर कांग्रेस लगातार हमलावर है. इस सवाल पर विधायक चंद्राकर ने कहा कि कांग्रेस हमलावर रहेगी. एक प्रेस वार्ता लेकर एक बार क्रोध में उन्होंने आंदोलन किया. टोल नाका के लिए टोल नाका में 15 से 20 कांग्रेसी थे, कुछ पुलिस वाले थे. पहले जन समर्थन लेना चाहिए, उसके बाद करें. केवल समाचार पत्रों में, मीडिया भर में वे आंदोलित हैं. जमीन में कहीं कांग्रेस की उपस्थिति नहीं है.
कांग्रेस के सबसे अनुभवी नेता चरण दास महंत :
विधायक अजय चंद्राकर ने आगे कहा कि कांग्रेस के सबसे अनुभवी नेता हैं, चरण दास महंत. उनके अनुभव का ही कांग्रेस उपयोग करती, तो यह गति नहीं होती. जिस गति में आज कांग्रेस है.
0- ढाई एकड़ से कम रकबे वाले किसान: 20 प्रतिशत कृषक
0- ढाई से पांच एकड़ तक रकबे वाले किसान: 25 प्रतिशत कृषक
0- पांच एकड़ से 10 एकड़ तक रकबे वाले किसान: 25 प्रतिशत कृषक
0- 10 एकड़ से अधिक रकबे वाले किसान: 20 प्रतिशत कृषक