इच्छामृत्यु पर जनता की साफ ‘ना’! 53% वोटरों ने किया कानून खारिज

स्लोवेनिया

स्लोवेनिया के नागरिकों ने रविवार को एक जनमत संग्रह में उस कानून को खारिज कर दिया, जो लाइलाज बीमारी से पीड़ित लोगों को अपना जीवन समाप्त करने की अनुमति देता था। चुनाव प्राधिकारियों द्वारा जारी प्रारंभिक परिणामों में यह जानकारी सामने आई। लगभग पूरी हो चुकी मतगणना के अनुसार, करीब 53 प्रतिशत मतदाताओं ने इस कानून के खिलाफ मतदान किया जबकि लगभग 46 प्रतिशत ने इसके पक्ष में वोट दिया। चुनाव आयोग ने कहा कि मतदान लगभग 50 प्रतिशत रहा। इच्छामृत्यु के खिलाफ अभियान का नेतृत्व करने वाले रूढ़िवादी कार्यकर्ता एलेस प्रिम्क ने कहा, ‘‘करुणा की जीत हुई है।

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स्लोवेनिया ने जहर देकर मौत की नीति पर आधारित सरकार के स्वास्थ्य, पेंशन और सामाजिक सुधारों को अस्वीकार कर दिया है।'' यूरोपीय संघ के इस छोटे से देश की संसद ने यह कानून जुलाई में पारित किया था। पिछले वर्ष हुए एक गैर-बाध्यकारी जनमत संग्रह में लोगों ने इसका समर्थन किया था। हालांकि, प्रिम्क और अन्य विरोधियों ने 40,000 से अधिक हस्ताक्षर जमा कर फिर से मतदान कराने के लिए दबाव डाला। कानून के अनुसार, मानसिक रूप से सक्षम ऐसे लोग जिनके ठीक होने की कोई संभावना नहीं है या असहनीय दर्द झेल रहे हैं, उन्हें इच्छामृत्यु का अधिकार दिया जाना था। इसका मतलब था कि मरीज दो चिकित्सकों की मंजूरी के बाद स्वयं घातक दवा लेते। यह कानून मानसिक बीमारियों से पीड़ित लोगों पर लागू नहीं होता।

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इस कानून का समर्थन प्रधानमंत्री रॉबर्ट गोलोब की उदारवादी सरकार समेत कई पक्षों ने किया। समर्थकों ने तर्क दिया कि यह कानून लोगों को सम्मानपूर्वक जीवन और अपनी पीड़ा समाप्त करने का समय और तरीका स्वयं तय करने का अधिकार देता है। विरोध करने वालों में रूढ़िवादी समूह, कुछ चिकित्सक संघ और कैथोलिक चर्च शामिल थे। उनका कहना था कि यह कानून स्लोवेनिया के संविधान के खिलाफ है और सरकार को इसके बजाय बेहतर दर्दनाशक चिकित्सा सुविधाओं पर काम करना चाहिए। यूरोपीय संघ के कई अन्य देशों में ऐसे कानून पहले से लागू हैं, जिनमें स्लोवेनिया का पड़ोसी देश ऑस्ट्रिया भी शामिल है।

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