राजभर के बेटे के पुलिस पर बिगड़े बोल, कोई कॉलर पकड़ेगा तो उसका कलेजा निकाल देंगे: मंत्री दयाशंकर सिंह

बलिया

बलिया में बांसडीह विधानसभा प्रभारी उमापति राजभर की 5 मार्च को पुलिस द्वारा कथित पिटाई को लेकर यूपी के मंत्री और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्‍यक्ष ओेमप्रकाश राजभर के बेटे अरुण राजभर ने बयान दिया था। उन्‍होंने कहा था कि पीला गमछा लेकर चलने वालों से जिन लोगों तकलीफ हो रही है, जिनकी आंखें अगर काम नहीं कर रही हैं तो उनकी आंखें भी अब निकालने का काम सुभासपा कार्यकर्ता करेंगे। इस बयान पर योगी सरकार के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह का तीखा जवाब सामने आया है। बलिया में अरुण के बयान के बारे में पूछे जाने पर दयाशंकर सिंह ने कहा- 'अब कोई उत्‍तर प्रदेश पुलिस की आंख नहीं निकाल सकता। ये वो पुलिस नहीं है। यह योगी जी की पुलिस है। आप जानते हैं कि पहले समाजवादी पार्टी की सरकार थी तो वहां डीजीपी कार्यालय पर अपराधी जेल से आ-जाकर मिलते थे। पुलिस वालों को घसीटा जाता था लखनऊ में। आज की पुलिस का कोई कॉलर पकड़ेगा तो उसका कलेजा निकाल देंगे। आज पूरे देश में यूपी पुलिस की मिसाल दी जाती है। अपराधी जो पहले जिला चलाते थे। आज अपराधी या तो प्रदेश छोड़कर भाग गए हैं या इस दुनिया में नहीं है। ये यूपी पुलिस का कमाल है। जब एक अच्‍छा नेतृत्व मिलता है तो लोगों को न्‍याय मिलता है। आज योगी जी के नेतृत्‍व में हर व्‍यक्ति के लिए कानून का राज स्‍थापित है।'

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क्‍या कहा था अरुण राजभर ने

बता दें कि 5 मार्च को अरुण राजभर ने सुभासपा के बांसडीह विधानसभा के प्रभारी उमापति की पुलिस द्वारा कथित पिटाई को लेकर बयान दिया था। अरुण ने मीडिया से बातचीत में कह दिया था कि पीला गमछा लेकर चलने वालों से जिन लोगों तकलीफ हो रही है, जिनकी आंखें अगर काम नहीं कर रही हैं तो उनकी आंखें भी अब निकालने का काम सुभासपा कार्यकर्ता करेंगे। इसके साथ ही उन्‍होंने इस मामले में दरोगा, सिपाही और एसडीएम के स्‍टेनों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने पर सात मार्च को तहसील का घेराव करने की चेतावनी भी दी थी। हालांकि इस मामले में 5 मार्च को ही बांसडीह कोतवाली में तैनात एक दरोगा और एक सिपाही को सस्‍पेंड कर दिया गया था। हालांकि स्‍टेनों के खिलाफ कोई ऐक्‍शन नहीं हुआ था। उल्‍टे स्‍टेनो की तहरीर पर उमापति के खिलाफ केस भी दर्ज हो गया। स्‍टेनो पर फर्जी मुकदमा लिखवाने का आरोप लगाते हुए सुभासपा ने बांसगांव तहसील घेरने की बात कही थी लेकिन स्‍टेनों के खिलाफ ऐक्‍शन की बात पर सात मार्च का घेराव स्‍थगित कर दिया गया था।

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सात मार्च को तय कार्यक्रम के अनुसार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रदेश सरकार के मंत्री ओमप्रकाश राजभर यहां पहुंचे लेकिन धरना की बजाय पार्टी नेता के घर पहुंचे। वहां मिलकर पूरे घटनाक्रम की जानकारी ली। मंत्री ने कहा कि आरोपी दरोगा और सिपाही को निलम्बित किया जा चुका है। मुकदमा भी दर्ज हुआ है। एसओ के खिलाफ भी विभागीय जांच की जा रही है। बताया कि डीएम और एसपी से इस सम्बंध में हमारी बात हुई है। उन्होंने सभी दोषियों पर कार्रवाई का भरोसा दिया है। कहा कि कार्यकर्ताओं के सम्मान के साथ खिलवाड़ की इजाजत किसी को नहीं दी जाएगी। इसके लिए हम हर लड़ाई को तैयार हैं।
हुआ क्‍या था?

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सुभासपा के बांसडीह विस क्षेत्र के प्रभारी उमापति राजभर के अनुसार, मंगलवार को वे बांसडीह तहसील में गये थे। वहां एसडीएम (बांसडीह) के स्टेनो ने उनके पैर पर कार चढ़ा दी। इसे लेकर विवाद हुआ, जिसे आसपास मौजूद लोगों ने सलटा दिया। सुभासपा नेता का आरोप है कि स्टेनो ने कोतवाली में फोन कर दिया। इसके बाद वहां पहुंचे एसआई रंजीत विश्वकर्मा व शैलेश उसे तहसील से पकड़कर कोतवाली ले गये तथा एक कमरे में बंद कर कोतवाल संजय सिंह की मौजूदगी में पट्टे से पिटाई की। उमापति ने इस प्रकरण की जानकारी पार्टी नेताओं को दी तो विवाद ने तूल पकड़ लिया। पार्टी के शीर्ष नेता कार्यकर्ता के समर्थन में उतर आए। उन्‍होंने अल्टीमेटम दिया कि यदि आरोपी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई नहीं हुई तो सात मार्च को बांसडीह कोतवाली का घेराव करेंगे। इसमें पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रदेश सरकार के मंत्री ओमप्रकाश राजभर भी शामिल होंगे। मामले को तूल पकड़ता देख पुलिस अधिकारी ने आरोपी एसआई और सिपाही को सस्पेंड कर दिया।

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