आरएसएस चीफ मोहन भागवत के हालिया बयान पर संत समाज की प्रतिक्रिया आई

नई दिल्ली

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का हिंदू समाज को लेकर बयान चर्चा में है. अब देश के दो बड़े संतों का रिएक्शन आया है. तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा, मैं मोहन भागवत के बयान से बिल्कुल सहमत नहीं हूं. मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि मोहन भागवत हमारे अनुशासक नहीं हैं. बल्कि हम उनके अनुशासक हैं.

वहीं, उत्तराखंड में ज्योतिर्मठ पीठ के शंकरचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने भी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने मोहन भागवत पर राजनीतिक रूप से सुविधाजनक रुख अपनाने का आरोप लगाया. अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा, जब उन्हें सत्ता चाहिए थी, तब वे मंदिरों के बारे में बोलते रहे. अब जब उनके पास सत्ता है तो वे मंदिरों की तलाश ना करने की सलाह दे रहे हैं.

ये भी पढ़ें :  30 हजार भारतीय विदेश जाकर 'साइबर गुलामी' में फंस गए ! सबसे ज्यादा पंजाब के लोग

'अतीत में हिंदुओं पर अत्याचार हुए हैं'

अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का कहना था कि अतीत में आक्रमणकारियों द्वारा नष्ट किए गए मंदिरों की एक लिस्ट तैयार की जाए और हिंदू गौरव को बहाल करने के लिए स्ट्रक्चर का पुरातात्विक सर्वे किया जाए. उन्होंने कहा, अतीत में हिंदुओं पर बहुत अत्याचार हुए हैं. उनके धार्मिक स्थलों को नष्ट कर दिया गया है. अगर अब हिंदू समाज अपने मंदिरों का जीर्णोद्वार और संरक्षण करना चाहता है तो इसमें गलत क्या है?

मोहन भागवत ने क्या कहा था?

दरअसल, आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने हाल ही में नए मंदिर-मस्जिद विवादों के उभरने पर चिंता जाहिर की थी. उन्होंने कहा था कि राम मंदिर के निर्माण के बाद कुछ लोगों को लगता है कि वे नई जगहों पर इसी तरह के मुद्दों को उठाकर हिंदुओं के नेता बन सकते हैं. यह स्वीकार्य नहीं है.

ये भी पढ़ें :  आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने 'विकसित भारत की दिशा' सम्मेलन में अपने विचार रखे, रक्षा को लेकर चर्चा की

मोहन भागवत ने आगे कहा था कि राम मंदिर का निर्माण इसलिए किया गया क्योंकि यह सभी हिंदुओं की आस्था का विषय था. उन्होंने किसी विशेष स्थान का जिक्र किए बिना कहा, 'हर दिन एक नया मामला (विवाद) उठाया जा रहा है. इसकी इजाजत कैसे दी जा सकती है? यह जारी नहीं रह सकता. भारत को यह दिखाने की जरूरत है कि हम एक साथ रह सकते हैं.'

ये भी पढ़ें :  भारत को 'राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा के दिन मिली थी सच्ची आजादी', बोले RSS चीफ मोहन भागवत

हालांकि, आरएसएस प्रमुख ने किसी विशेष विवाद का जिक्र नहीं किया. उन्होंने कहा कि बाहर से आए कुछ समूह अपने साथ कट्टरता लेकर आए हैं और वे चाहते हैं कि उनका पुराना शासन वापस आए. उन्होंने कहा, लेकिन अब देश संविधान के अनुसार चलता है. इस व्यवस्था में लोग अपने प्रतिनिधि चुनते हैं, जो सरकार चलाते हैं. आधिपत्य के दिन चले गए हैं. मुगल बादशाह औरंगजेब का शासन इसी तरह की दृढ़ता से जाना जाता था. हालांकि उनके वंशज बहादुर शाह जफर ने 1857 में गोहत्या पर प्रतिबंध लगा दिया था.

 

Share

क्लिक करके इन्हें भी पढ़ें

Leave a Comment