जयपुर
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को राजस्थान की जोजरी नदी में औद्योगिक कचरे के गिराए जाने के मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए केस दर्ज कराने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि यह न्यायालय जोजरी नदी के मामले में स्वतः संज्ञान ले रहा है, जहां कपड़े और टाइल फैक्ट्रियों से निकलने वाला भारी मात्रा में औद्योगिक कचरा नदी में गिराया जा रहा है, जिससे सैकड़ों गांव प्रभावित हो रहे हैं और इंसानों व जानवरों के लिए पीने का पानी अनुपयोगी हो गया है।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ ने इसे लेकर कहा कि वस्त्र और अन्य कारखानों से निकलने वाला औद्योगिक कचरा नदी में गिर रहा है, जिससे सैकड़ों गांव प्रभावित हो रहे हैं। पीठ ने बताया कि इस हानिकारक कचरे के कारण वहां का पीने का पानी न केवल इंसानों के लिए बल्कि जानवरों के लिए भी पीने लायक नहीं है।
अदालत ने कहा कि यह स्थिति लोगों के स्वास्थ्य और अन्य पारिस्थितिकी तंत्र पर भी गंभीर असर डाल रही है। पीठ ने निर्देश दिया कि इस मामले को आगे की कार्रवाई के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखा जाए।
गौरतलब है कि जोजरी एक मौसमी नदी है जो कि नागौर के पास पंडालू से निकलकर जोधपुर से होते हुए लूणी नदी में मिलती है। बीते कई साल से जोधपुर, बालोतरा, जालौर और पाली जिलों में स्थित टैक्सटाइल कंपनियों का दूषित पानी जोजरी में छोड़ा जा रहा है, जिससे इसके आसपास के 50 से ज्यादा गांव इससे प्रभावित हो रहे हैं।
हाल ही में बालोतरा के डोली गांव से शुरू हुए जोजरी बचाओ आंदोलन में पहुंचे हनुमान बेनीवाल ने भी हालातों पर चिंता जताते हुए कहा था कि जोधपुर और पाली की औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला जहरीला रासायनिक पानी पिछले डेढ़-दो दशकों से डोली, अराबा, कल्याणपुर समेत लगभग 60-70 गांवों में तबाही मचा रहा है। खेत बंजर हो चुके हैं, पेयजल दूषित हो गया है, लेकिन हालात जस के तस हैं।
सुप्रीम कोर्ट की ओर से जोजरी नदी को लेकर आए ये आदेश जोजरी नदी बचाने के लिए संघर्षरत लोगों के लिए राहत लेकर आए हैं।