रावलपिंडी की वह सुबह: जब एक फैसले ने पाकिस्तान की दिशा बदल दी

नई दिल्ली गुलाबी ठंड दस्तक दे चुकी थी। सुबह की ठंडी हवा में धुंध तैरने लगी थी। रावलपिंडी स्थित गॉर्डन कॉलेज के गेट के बाहर सैकड़ों छात्र इकट्ठा थे। हाथों में तख्तियां थीं। इनमें लिखा था- रोटी, आजादी और इन्साफ! और दिलों में उबाल। कोई एक बोलता – 'अय्यूब खान हाय-हाय!', तो बाकी भीड़ एक स्वर में जवाब देती 'जम्हूरियत जिंदाबाद!' यह 7 नवंबर 1968 की सुबह थी, जब पाकिस्तान की गलियों में पहली बार सत्ता के खिलाफ एक जनसैलाब उमड़ा था।  महज गुस्से की आवाज नहीं थे, बल्कि एक…

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