त्रेता युग में रावण का वध प्रभु श्रीराम ने किया था. रावण लंका का राजा और सबसे बड़ा शिव जी का भक्त था. उसने तीनों लोकों पर विजय प्राप्त कर ली थी, इसीलिए उसको त्रिलोक विजेता कहा जाता था. रावण बहुत ज्ञानी था, लेकिन धर्म शास्त्रों के अनुसार, अपने पिछले जन्म में रावण राक्षस नहीं था. धर्म शास्त्रों और मान्यताओं के अनुसार, चलिए जानते हैं कि रावण अपने पूर्व जन्म में कौन था और उसे असुर योनि कैसे प्राप्त हुई? पौराणिक कथाओंं और मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु के दो…
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