नेशनल डेस्क, कोल्हापुर
‘शिवाजी विश्वविद्यालय’ का नाम बदलकर ‘छत्रपति शिवाजी महाराज विश्वविद्यालय’ किए जाने की मांग को लेकर हिंदू जनजागृति समिति और हिंदू राष्ट्र समन्वय समिति के संयुक्त तत्वावधान में आज जिला कलेक्टर कार्यालय पर विशाल मोर्चा निकाला गया। इस मोर्चे में १० हजार हिंदुओं ने एकजुट होकर अपनी मांग को प्रखर रूप से रखा।
मोर्चा दसरा चौक से प्रारंभ हुआ और लक्ष्मीपुरी, वीनस कॉर्नर, ‘बी’ न्यूज कार्यालय होते हुए जिला कलेक्टर कार्यालय पहुंचा। वहां प्रशासन को ज्ञापन सौंपा गया।
इस मोर्चे में केवल नाम परिवर्तन की मांग ही नहीं उठी, बल्कि औरंगजेब की कब्र के रखरखाव एवं उसे बढ़ावा देने का भी कड़ा विरोध किया गया। शासन द्वारा इस कब्र के लिए दिया जाने वाला निधि तुरंत बंद किया जाए और इस कब्र को हटाया जाए, ऐसी भी मांग की गई।
हिंदुत्वनिष्ठों एवं मान्यवरों की प्रभावशाली उपस्थिति
इस मोर्चे में हिंदू संगठनों के प्रमुख नेता, विभिन्न आध्यात्मिक संप्रदायों के संत-महंत एवं छत्रपति शिवाजी महाराज के मावलों के वंशज शामिल हुए। सनातन संस्था की धर्मप्रचारक सद्गुरु स्वाती खाडये, निपाणी के पूज्य प्राणलिंग स्वामीजी, तेलंगाना के विधायक टी. राजासिंह, श्री शिवप्रतिष्ठान हिंदुस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष रावसाहेब देसाई, हिंदू राष्ट्र समन्वय समिति के राष्ट्रीय संयोजक सुनील घनवट, छत्रपति ग्रुप के संस्थापक प्रमोददादा पाटिल, वीर शिवा काशीद, सरदार मालुसरे एवं सरसेनापति हंबीरराव मोहिते के वंशजों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
प्रमुख वक्ताओं के ओजस्वी विचार
टी. राजासिंह, भाजपा विधायक, तेलंगाना– “आज हम केवल विश्वविद्यालय के नाम परिवर्तन के लिए नहीं, बल्कि हिंदू अस्मिता और स्वाभिमान की रक्षा के लिए एकत्र हुए हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज की ‘छत्रपति’ उपाधि का विरोध करने वाले प्रगतिशील और सेक्युलरवादी ताकतों को हिंदुओं की संगठित शक्ति का सामना करना पड़ेगा।”
सुनील घनवट, हिंदू राष्ट्र समन्वय समिति– “शिवजयंती के दिन भी हमें ‘छत्रपति शिवाजी महाराज विश्वविद्यालय’ नाम देने की मांग करनी पड़ रही है, यह दुर्भाग्यपूर्ण है। पंडित नेहरू और महात्मा गांधी को उपाधियां दी जा सकती हैं, तो फिर शिवाजी महाराज की ‘छत्रपति’ उपाधि से समस्या क्यों? यदि यह नाम परिवर्तन नहीं हुआ, तो हम संपूर्ण महाराष्ट्र में तीव्र आंदोलन छेड़ेंगे।”
अभय वर्तक, सनातन संस्था– “विद्यार्थियों में जब तक छत्रपति शिवराय के सही विचार स्थापित नहीं होंगे, तब तक यह संघर्ष जारी रहेगा। डिविजनल विचारधारा के लोग विश्वविद्यालय को ‘जेएनयू’ जैसा बनाना चाहते हैं, लेकिन कोल्हापुर ऐसा कभी सहन नहीं करेगा।”
मोर्चे की विशेषताएँ-
१. इस मोर्चे में कोल्हापुर, सातारा, सांगली, बेलगाम आदि स्थानों से बड़ी संख्या में हिंदू भगवा ध्वज के साथ शामिल हुए।
२. शिवराय के मावलों के वंशज, विभिन्न हिंदुत्ववादी संगठन, व्यापारी संघ एवं युवा मंडलों ने सक्रिय भागीदारी की।
३. ढोल-ताशा पथक, मर्दानी खेल पथक, शिवकालीन युद्ध कौशल पथक, टाल-मृदंग पथक एवं पारंपरिक पोशाक में महिलाओं की रणरागिणी टोली ने मोर्चे में जोश भर दिया।
४. “शिवाजी विश्वविद्यालय नहीं, छत्रपति शिवाजी महाराज विश्वविद्यालय कहो” जैसे गगनभेदी नारे गूंज उठे।