छत्तीसगढ़ में 8 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण, 2 नक्सली 50 हजार के ईनामी, पुलिस को थी लंबे समय से तलाश

दंतेवाड़ा
 छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में नक्सल उन्मूलन के तहत चल रहे लोन वर्राटू अभियान का असर एक बार फिर देखने को मिला है। इस अभियान से प्रेरित होकर आठ नक्सलियों ने मुख्यधारा में लौटते हुए सरेंडर किया है। इन नक्सलियों में दो ऐसे भी शामिल हैं, जिन पर प्रशासन ने 50-50 हजार रुपये का इनाम घोषित किया था।
एसपी ऑफिस में किया सरेंडर

ये सभी नक्सली विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय थे और लंबे समय से संगठन से जुड़े हुए थे। इन्होंने दंतेवाड़ा स्थित पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचकर सरेंडर किया। इस दौरान पुलिस और सीआरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
सीआरपीएफ की भूमिका

 इस सफलता में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) की भूमिका को अहम माना जा रहा है। सुरक्षा बलों की सतत कार्रवाई, जनसंपर्क और पुनर्वास नीतियों के चलते नक्सलियों में संगठन छोड़ने की प्रवृत्ति लगातार बढ़ रही है।

बता दें, सरेंडर करने वाले नक्सलियों को शासन की पुनर्वास नीति के तहत जरूरी सहायता दी जाएगी और उन्हें समाज की मुख्यधारा में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। यह कदम नक्सलवाद से प्रभावित क्षेत्र में शांति बहाली की दिशा में एक और सकारात्मक संकेत माना जा रहा है।
एनकाउंटर में 3 नक्सलियों की मौत

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छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा और बीजापुर जिलों की सीमा पर शनिवार की सुबह सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ शुरू हुई। यह मुठभेड़ सुबह करीब 7 बजे शुरू हुई, जो रुक-रुककर अभी भी जारी है। इस दौरान तीन नक्सलियों के मारे जाने की खबर सामने आई है।

हथियार के साथ आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को सरकार देगी लाखों रूपए, एलएमजी के बदले 5 लाख और एके-47 पर 4 लाख रुपये

छत्तीसगढ़ नक्सलवादी आत्मसमर्पण/पीड़ित राहत-पुनर्वास नीति 2025” को लागू करना वास्तव में छत्तीसगढ़ सरकार की राज्य में शांति बहाली, विकास और सामाजिक समरसता की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय का कहना है कि जो हथियार छोड़ेंगे, उन्हें भय नहीं, बल्कि सम्मान मिलेगा। वर्षों से जंगल-जंगल भटक रहे युवा, जो किसी भ्रम या दबाववश नक्सली संगठन में शामिल हो गए हैं, उनके लिए यह नीति एक नया जीवन शुरू करने का द्वार है। आत्मसमर्पण कर वे न केवल खुद का, बल्कि अपने परिवार और समाज का भविष्य भी सुरक्षित कर सकते हैं।

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नई नीति में हथियारों के साथ आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को सरकार ने लाखों रूपए की मुआवजा राशि देने का प्रावधान किया है। एलएमजी के साथ आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली को 5 लाख रुपये मुआवजा के तौर मिलेगा। इसी तरह एके-47/त्रिची असॉल्ट रायफल पर 4 लाख रुपये, मोर्टार पर 2.50 लाख रुपये, एसएलआर/ इंसास रायफल पर 2 लाख रुपये, एक्स 95 असाल्ट रायफल/एमपी-9 टेक्टिल पर 1.50 लाख रूपए, थ्री नाट थ्री रायफल पर 1 लाख रूपए, एक्स-कैलिबर पर 75 हजार रूपए, और यूबीजीएल अटेचमेंट पर 40 हजार रूपए, 315/12 बोर बंदुक पर 30 हजार रूपए, ग्लॉक पिस्टल पर 30 हजार रूपए के साथ ही अन्य छोटे हथियारों जैसे कार्बाइन, रिवॉल्वर, वायरलेस, डेटोनेटर आदि पर भी मुआवजा राशि का प्रावधान है।

हर आत्मसमर्पणकर्ता नक्सली को, भले ही उसके पास हथियार हों या न हों, उसे 50 हजार रूपए की नगद प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। यदि कोई आत्मसमर्पित नक्सली, नक्सलियों द्वारा छिपाए गए आईईडी या विस्फोटकों की सूचना देकर उन्हें बरामद कराता है, तो उसे 15,000 से 25,000 तक की अतिरिक्त राशि दी जाएगी। बड़े हथियार डंप या विस्फोटक सामग्री की जानकारी देने पर एक लाख तक का इनाम मिलेगा। आत्मसमर्पणकर्ता यदि विवाह करने के इच्छुक हैं तो उसको एक लाख की विवाह अनुदान राशि भी दी जाएगी। यदि पति और पत्नी दोनों आत्मसमर्पित नक्सली हैं, तो उन्हें एक इकाई मानते हुए यह लाभ दिया जाएगा।

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छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा घोषित इनामी सूची में शामिल नक्सली के आत्मसमर्पण पर उन्हें पूरी इनामी राशि नियमों के अनुसार प्रदान की जाएगी। राज्य सरकार की इस नीति के साथ-साथ भारत सरकार की पुनर्वास योजनाओं का लाभ भी आत्मसमर्पित नक्सलियों को मिलेगा। इस नीति में यह सुनिश्चित किया गया है कि उन्हें समाज में दोबारा स्थापित होने के लिए हरसंभव मदद मिले। आत्मसमर्पणकर्ता को सिर्फ प्रोत्साहन राशि, मुआवजा, ईनाम ही न मिले बल्किे उसे इसके साथ शिक्षा, पसंद के अनुसार रोजगार-व्यवसाय के लिए कौशल प्रशिक्षण, स्वरोजगार और सामाजिक सम्मान भी मिेले।

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय का कहना है कि हिंसा किसी समाधान का रास्ता नहीं है। हिंसा का रास्ता छोड़कर विकास की मुख्यधारा में शामिल होने वाले नक्सलियों के सुरक्षित भविष्य और स्वरोजगार के लिए हमारी सरकार हरसंभव मदद देगी।

 

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