कांग्रेस सरकार ने प्रदेश में धर्मांतरण को बढ़ावा देने के लिए ‘रासुका’ लगा दिया है – अरुण साव

 

उर्वशी मिश्रा, रायपुर, 15 जनवरी, 2023

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार द्वारा लगाए गए रासुका यानि राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को लेकर अब प्रदेश की सियासत लगातार गर्म होती जा रही है । भारतीय जनता पार्टी शुरू से ही इस कानून का विरोध कर रही है, एक बार फिर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव, पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस लेकर कांग्रेस सरकार पर जमकर प्रहार किया है ।

 

प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री डाॅ. रमन सिंह ने कहा कि
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने एक बार फिर से आपातकाल लगाने की साजिश रची है। अपने साम्प्रदायिक तुष्टीकरण की राजनीति के तहत उसने प्रदेश में धर्मांतरण को बढ़ावा देने के लिए ‘रासुका’ लगा दिया है। अत्यधिक असामान्य परिस्थितियों में उठाये जाने वाले इस कदम ने कांग्रेस की विभाजनकारी राजनीति की पोल खोल दी है। आप सभी जानते हैं कि भाजपा द्वारा पूर्व में कानून-व्यवस्था की खराब स्थिति के बारे में लगातार मामला उठाया जाता रहा है, तब कांग्रेस यह डींगें हांकती थी कि प्रदेश में सब कुछ समान्य है और कानून-व्यवस्था बेहतर है। अब आखिर क्या ऐसी परिस्थितियां पैदा हो गयी यह गंभीर कदम उठाना पड़ा। क्या कांग्रेस सरकार खुद भी अब यह मानती है कि प्रदेश की कानून-व्यस्था उसके नियंत्रण से बाहर चला गया है और लॉ एंड आर्डर मेंटेन रखने के अपने मूल दायित्व को निभाने में सरकार विफल हुई है? कांग्रेस स्पष्ट तौर पर छत्तीसगढ़ में तुष्टीकरण और धर्मांतरण के एजेंडे पर काम कर रही है। किसी सरकार का काम धर्म और संस्कृति को कुचलना तथा धर्मान्तरण को बढ़ावा देना नहीं होता, लेकिन छत्तीसगढ़ में कांग्रेस धर्मांतरण के पक्ष में अपने अधिकार का सीधे दुरुपयोग कर रही है। वह मिशनरियों के हाथ में खेल रही है।

 

छत्तीसगढ़ में अघोषित आपातकाल

बीजेपी नेताओं ने कहा कि छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल ने अघोषित आपातकाल लागू करने की शुरुआत लोकतांत्रिक आंदोलनों को कुचलने के लिए कानून बना कर काफी पहले कर दी थी लेकिन इससे जनता के सभी वर्गों का आक्रोश दोगुना हो गया। इससे घबराकर उन्होंने रासुका के बहाने आपातकाल जैसी अलोकतांत्रिक स्थिति का निर्माण कर दिया है। जब राज्य सरकार मान रही है कि उससे राज्य की कानून व्यवस्थाए नहीं संभल रही है तो उसे अपनी विफलता स्वीकार करते हुए कुर्सी छोड़ देना चाहिए।

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‘मिशनरी के सामने समर्पण’ – बीजेपी नेता

बीजेपी नेताओं ने कहा कि छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने वास्तव में मिशनरी के सामने समर्पण कर दिया है। प्रत्यक्ष प्रमाण है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दिल्ली जाकर ईसाई धर्म के नेताओं के सामने सफाई दे आये हैं कि वे उनके साथ खड़े हैं। मुख्यमंत्री का यह कृत्य साबित कर रहा है कि वे उनके के प्रभाव में हैं। क्या कारण है? कारण स्पष्ट है कि सोनिया गांधी के दबाव में या फिर सोनिया गांधी को प्रसन्न करने के लिए यह पक्षपात किया जा रहा है। मुख्यमंत्री अपना सिंहासन बचाने के लिए ईसाई मिशनरी की शरण में हैं।

आदिवासी संस्कृति कुचलने की साजिश

बीजेपी के नेताओं ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रासुका के जरिये आदिवासी संस्कृति को कुचलने का घृणित षड्यंत्र रचा है। वे चाहते हैं कि आदिवासी संस्कृति समाप्त हो जाये। आदिवासी समाज ईसाई समुदाय में कन्वर्ट हो जाये और चर्च के प्रभाव में आ जाए। ऐसा लगता है कि सुनियोजित षड्यंत्र के तहत ही आदिवासी समाज में धर्मांतरण के जरिये विखंडन और वर्ग संघर्ष का खाका तैयार किया गया है। आदिवासी संस्कृति के विरुद्ध भूपेश बघेल के बेहद खतरनाक इरादों को यह रासुका व्यक्त कर रहा है। अपनी संस्कृति को बचाने में लगे आदिवासियों के संघर्ष को कुचलने के लिए उन्हें बेवजह जेल में डालने का इंतजाम किया गया है। ताकि आदिवासी समाज को धर्मांतरण का विरोध करने से रोका जा सके।

विभिन्न आंदोलनों का दमन

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बीजेपी नेताओं ने कहा कि भूपेश बघेल सरकार द्वारा रासुका के दुरूपयोग के पीछे जो कारण हैं, उनमें एक अहम वजह यह है कि हर मोर्चे पर पूरी तरह विफल सरकार के खिलाफ जबरदस्त विरोध और असंतोष फैला हुआ है। सभी वर्ग इस सरकार की वादाखिलाफी के विरुद्ध आंदोलित हैं। कर्मचारियों से लेकर, शिक्षित बेरोजगार युवा सड़क पर उतर रहे हैं। धरना दे रहे हैं। प्रदर्शन कर रहे हैं। सरकार भयभीत है। विरोध के सभी स्वर कुचलने तैयार है। इसीलिए पूरे प्रदेश में रासुका लागू किया है कि कहीं भी किसी भी प्रदर्शन में सरकार का लोकतांत्रिक तरीके से विरोध करने वालों को जेल में ठूंस दिया जाए। भूपेश बघेल रासुका के दम पर चुनाव जीतना चाहते हैं। आज अनियमित कर्मचारी, संविदा कर्मचारी, स्वास्थ्य कर्मचारी, पंचायत कर्मचारी से लेकर भर्ती के लिए युवा सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। ऐसा कोई वर्ग नहीं है जो इस सरकार से जरा सा भी संतुष्ट हो। इसलिए भूपेश बघेल ने तानाशाही फरमान जारी किया है।

बीजेपी के सवाल –

1. आखिर ऐसी क्या परिस्थिति पैदा हुई थी जिसके कारण रासुका लगाना पड़ा? जनता को इन परिस्थितियों की जानकारी क्यों नहीं दी गयी?

2. कोई संवेदनशील रिपोर्ट अगर है तो उसे जनता से साझा क्यों नहीं किया गया?

3. 1 जनवरी 2023 से यह आदेश प्रभावशील है, जबकि मीडिया में भी यह 12 जनवरी को आया। आखिर इतने बड़े फैसले को जनता से छिपा कर क्यों रखा गया? आखिर किस बात की परदेदारी है?

4. इसाई मिशनरियों से सीएम बघेल की दिल्ली में हुई मुलाकात के बाद यह कदम उठाये गए हैं। क्या अपने आलाकमान के साथ मिलकर कांग्रेस कोई बड़ी साजिश रच रही है?

5. सुकमा के एसपी और बस्तर के कमिश्नर जब इसाई मिशनरियों के खिलाफ सरकार को चेतावनी दे रहे थे, तब यही बघेल सरकार अशांति की किसी आशंका से इनकार कर रही थी, अब आदिवासी जब अपनी संस्कृति बचाने के लिए जागरूक हुए हैं, तो कांग्रेस बौखला क्यों रही है?

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6. प्रदेश में कबीरधाम में मजहबी तत्वों को प्रश्रय देने के कारण पहली बार दंगे हुए, पहली बार कर्फ्यू लगा। अनेक बार बस्तर के आदिवासी बन्धु भी शिकायत करते रहे हैं, तब मजहबी उपद्रवियों के खिलाफ इन्हें ऐसे किसी कदम की आवश्यकता नहीं हुई?

7. आखिर धर्मान्तरण और अपनी संस्कृति को नष्ट करने के विरुद्ध जब आदिवासी बंधु खड़े हुए हैं, तभी ऐसे कानून क्यों लगाये गए? क्या इस कानून की आड़ में समूचे आदिवासी क्षेत्र का ईसाईकरण करना चाहती है कांग्रेस?

8. इससे पहले रायपुर में भी मिशनरियों के लिए पक्षपात का मामला सामने आया था जब जबरन मतांतरण कर रहे उपद्रवी को छोड़ कर वह मामला उठाने वाले छत्तीसगढ़ी कार्यकर्ताओं पर ही मुकदमा कर जेल भेज दिया था शासन ने जबकि संविधान जलाने की धमकी देने वाले मिशनरी को छोड़ दिया गया था। क्या रासुका भी ऐसे ही पक्षपात के लिए लाया गया है?

भाजपा का यह स्पष्ट मानना है कि धर्मांतरण का अर्थ राष्ट्रांतरण होता है। पहले कांग्रेस ने इसी आधार पर देश के टुकड़े किये, उसके बाद पूर्वोत्तर भारत में मतांतरण की गतिविधियों के कारण लम्बे समय तक अलगाववाद रहा। अल्पसंख्यकों के वोट की लिप्सा में और चर्च के अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का आलाकमान के माध्यम से खिलौना बन रही है कांग्रेस सरकार?

बीजेपी नेताओं ने कहा कि भाजपा की यह स्पष्ट मांग है कि रासुका लगाने की पूरी परिस्थिति पर कांग्रेस सरकार श्वेत पत्र लाये, साथ ही इसका भी जवाब दे कि उसने इस फैसले को छिपाए क्यों रखा? साथ ही तत्काल प्रभाव से इस नव आपातकाल को खत्म करे और प्रदेश में शान्ति-व्यवस्था को कायम रखे। लोकतंत्र की ह्त्या की कोशिश, इस नए आपातकाल के खिलाफ भी भाजपा के कार्यकर्तागण संघर्ष करने तैयार है। पत्रकार वार्ता में पूर्व मंत्री व प्रदेश प्रवक्ता राजेश मूणत व प्रदेश मीडिया प्रभारी अमित चिमनानी मौजूद रहें।

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