ऑनलाइन फ्रॉड से बचने के लिए दूरसंचार विभाग ने पेश किया एक टूल

नई दिल्ली

देश में बढ़ रहे साइबर अपराधों ने सरकार को भी चिंता में डाला है। इससे निपटने के लिए सरकारी स्‍तरों पर काम तेज किए गए हैं। भारत सरकार के दूरसंचार विभाग यानी डीओटी ने एक टूल पेश किया है। इसका नाम है फाइनेंशल फ्रॉड रिस्‍क डिटेक्‍टर यानी एफआरआई। रिपोर्ट्स के अनुसार, यह टूल डिजिटल इंटेलिजेंस प्‍लेटफॉर्म का हिस्‍सा है जिसका मकसद ऐसे मोबाइल नंबरों को आइडेंटिफाइ करना है जो साइबर धोखाधड़ी से जुड़े हो सकते हैं। कहा जा रहा है कि ऐसे नंबरों को बहुत जल्‍द फाइनेंशल इंस्‍टीट्यूशंस के साथ जैसे बैंक आदि से शेयर किया जाएगा। इसका फायदा यह होगा कि किसी ऑनलाइन पेमेंट से पहले यूजर को यह मालूम चल जाएगा कि जिस नंबर पर पर पेमेंट करने जा रहे हैं, कितना रिस्‍की है।

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तीन कैटिगरी में बांटे जाएंगे मोबाइल नंबर
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, एफआरआई के अंतर्गत आने वाले मोबाइल नंबरों को तीन कैटिगरी में बांटा जाएगा। मीडियम, हाई या वेरिहाई। वेरिहाई का मतलब ऐसे मोबाइल नंबरों से है, जिन पर पेमेंट करने पर धोखाधड़ी की संभावना बहुत अधिक है। सवाल हो सकता है कि नंबर आइडेंटिफाई कैसे किए जाएंगे। दरअसल, सरकार को उसके अलग-अलग पोर्टलों पर लोगों की कंप्‍लेंट मिल रही हैं, जिनमें ऐसे मोबाइल नंबरों की शिकायत है जिनके जरिए धोखाधड़ी की गई। ये नंबर चक्षु प्‍लेटफॉर्म, एनसीआरपी यानी साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल आदि पर रिपोर्ट किए गए हैं। इसके अलावा बैंकों के पास भी ऐसी शिकायतें आती हैं, जिनमें ग्राहक अपने साथ हुई धोखाधड़ी के बारे में बताते हैं और मोबाइल नंबरों का जिक्र करते हैं।

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PhonePe इस्‍तेमाल कर रहा नया टूल
रिपोर्टों के अनुसार, फोनपे ने एफआरआई टूल का इस्‍तेमाल करना शुरू कर दिया है। यह ऐप ऐसे नंबरों पर ट्रांजैक्‍शंस को रोकता है जिन्‍हें हाई रिस्‍क कैटिगरी में रखा गया है। ऐसे नंबर जो मीडियम रिस्‍की होते हैं उन पर पेमेंट करने वालों को अलर्ट भेजा जाता है। रिपोर्टों के अनुसार, अब पेटीएम, गूगलपे जैसे यूपीआई प्‍लेटफॉर्म्‍स ने एफआरआई सिस्‍टम को इंटीग्रेट करना शुरू कर दिया है।

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रिपोर्ट के अनुसार, यूपीआई सर्विस प्राेवाइडर तो इस टूल का इस्‍तेमाल करेंगे ही, NBFC भी इस टूल की मदद से लोगों को आगाह करेंगी। दूरसंचार विभाग चाहता है कि एफआरआई टूल का इस्‍तेमाल हर जगह किया जाएगा ताकि ऑनलाइन धोखाधड़ी को कम करने में मदद मिले। इससे देश का डिजिटल इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर और मजबूत व‍ सिक्‍योर होगा। दावा है कि यह टूल, रियल टाइम में काम करता है और जैसे-जैसे फ्रॉड से जुड़े नंबर सामने आते हैं उन्‍हें बैंकों और यूपीआई प्‍लेटफॉर्म्‍स के साथ शेयर किया जाता है।

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