उपराष्ट्रपति चुनाव: 786 के नंबर गेम में NDA की कितनी हैसियत?

नई दिल्ली 
जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया है। उनके इस्तीफे को राष्ट्रपति ने स्वीकार कर लिया है और इस संबंध में होम मिनिस्ट्री की ओर से नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है। अब उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए इलेक्शन कमिशन अपनी प्रक्रिया कभी भी शुरू कर सकता है। संविधान के अनुसार उपराष्ट्रपति के इस्तीफे, निधन या फिर किसी अन्य कारण से पद पर न रहने की स्थिति में जल्दी से जल्दी चुनाव कराया जाना चाहिए। ऐसे में कभी भी चुनाव आयोग की ओर से इलेक्शन का नोटिफिकेशन जारी हो सकता है। अब बात करते हैं उपराष्ट्रपति पद का चुनाव होने की स्थिति में नंबर गेम की। यदि समीकरणों की बात करें तो एनडीए सीधे तौर पर भारी है।

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एनडीए को विपक्ष की मान-मनौव्वल के बिना ही आसानी से जीत मिल सकती है, लेकिन वह चाहेगा कि विपक्षी दलों को साथ लेकर सर्वसम्मति से राज्यसभा का नया चेयरमैन लाया जाए। फिर भी चुनाव हुआ तो एनडीए आसानी से अपने कैंडिडेट को जिताने की स्थिति में है। उपराष्ट्रपति के चुनाव में राज्यसभा और लोकसभा के सांसद वोट डालते हैं। इसके अलावा राज्यसभा के नामित सदस्य भी वोटिंग कर सकते हैं। कुल 543 सदस्यों वाली लोकसभा में बशीरहाट की एक सीट ही खाली है। इस तरह 542 मेंबर हैं। वहीं 245 सदस्यों की राज्यसभा में 5 सीटें खाली हैं और 240 मेंबर हैं।

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इस तरह दोनों सदनों की कुल क्षमता फिलहाल 786 सदस्यों की है। यदि सभी सदस्य वोट डालते हैं तो किसी कैंडिडेट को जीतने के लिए 394 सदस्यों का वोट चाहिए होगा। लोकसभा में एनडीए के पास 293 सदस्य हैं। इसके अलावा राज्यसभा में भी उसके पास 129 मेंबर हैं। इस तरह दोनों सदनों को मिलाकर कुल 422 नंबर एनडीए का बनता है। यह संख्या जीत के लिए पर्याप्त है। संविधान के आर्टिकल 68 के क्लॉज 2 के अनुसार उपराष्ट्रपति का चुनाव जल्द से जल्द होना चाहिए। उपराष्ट्रपति का कार्यकाल 5 साल का होता है। जगदीप धनखड़ से पहले किसी ने इस तरह से इस्तीफा नहीं दिया है।

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बिहार कनेक्शन वाले इस नेता को उम्मीदवार बनाने के कयास
इस बीच चर्चा है कि राज्यसभा के वाइस चेयरमैन हरिवंश को एनडीए कैंडिडेट बनाय जा सकता है। उन्हें पीएम नरेंद्र मोदी का भरोसा हासिल है। इसके अलावा बिहार से कनेक्शन है और जेडीयू के वह नेता हैं। इसीलिए कयास जोरों पर हैं कि उन्हें ही उपराष्ट्रपति बनाया जा सकता है।

 

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