मध्य प्रदेश बीजेपी में बढ़ी अंदरूनी कलह, सदन में विधायकों ने सरकार पर साधा निशाना

 भोपाल

मध्य प्रदेश बीजेपी में सब ठीक है? ये सवाल, बीजेपी विधायकों के सवाल से ही खड़े हो रहे हैं। दरअसल, विधानसभा के सत्र में जिस तरह के सवाल बीजेपी के विधायकों ने उठाए, उसकी उम्मीद तो सरकार को नहीं थी। एक दर्जन से अधिक विधायकों ने सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर सत्तापक्ष की मुश्किलें बढ़ा दी। इस दौरान कानून व्यवस्था लेकर सरकारी योजनाओं का लाभ हितग्राहियों तक न पहुंचना, जैसे मुद्दे को प्रमुखता से उठाया गया।

विपक्षी की तरह सवाल किए बीजेपी विधायक

सदन में बीजेपी विधायक, सत्ता पक्ष में विपक्षी MLA की तरह सवाल कर रहे थे। विधायकों के तेवर देख सरकार पूरी तरह से बैक फुट पर आ गई। वहीं विपक्षी विधायक फ्रंट फुट पर सियासी बल्लेबाजी करने लगे, और तीखे सवाल पूछने लगे। कांग्रेस विधायक सचिन यादव ने तो यहां तक कह दिया कि बीजेपी के अपने ही विधायक संतुष्ट नहीं हैं, तो साफ है सरकार जमीनी स्तर पर काम नहीं कर रही।

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कांग्रेस विधायक ने आरोप लगाया कि सरकारी योजनाएं सिर्फ कागजों तक ही सीमित है। आम आदमी को इसका लाभ नहीं मिल रहा है। वहीं कांग्रेस विधायक के आरोपों पर प्रेदेश मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने पलटवार किया। उन्होंने कहा कि बीजेपी एक लोकतांत्रिक पार्टी है। यही कारण है इसके विधायक जनता के मुद्दों को उठाते हैं और आगे भी उठाते रहेंगे। आशीष अग्रवाल ने कांग्रेस सकारात्मक राजनीति करने और जनहित में सहयोग करने की सलाह दी।

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बीजेपी के इन विधायकों ने उठाए सवाल

बता दें कि सदन में सवाल उठाने वाले बीजेपी विधायकों में वरिष्ठ नेता गोपाल भार्गव भी है। उन्होंने आदिवासियों को दिए गए पट्टों पर कब्जे का मुद्दा उठाया है। उमाकांत शर्मा ने सरकारी जमीनों पर बढ़ते अतिक्रमण और उनके न हटाए जाने पर चिंता जताई। वहीं गायत्री राजे पवार ने उज्जैन की शिप्रा नदी में फैक्ट्रियों के दूषित पानी का मामला उठाकर सरकार को सकते में डाल दिया।

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इन विधायकों के अलावे संजय पाठक ने खाद वितरण में अनियमितताओं, आशीष शर्मा ने लव जेहाद की बढ़ती घटनाओं, रमेश खटीक ने बिजली बिलों में ब्याज माफी न होने, नीना वर्मा ने शांति समितियों के गठन में देरी और भूपेंद्र सिंह ने गिरते भूजल स्तर पर ठोस नीति की मांग कर सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया।

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