तोप-गोलों का युग खत्म! जापान नेवी ने पेश की सुपरफास्ट रेलगन, 8000 KM/घंटा की रफ्तार से फायर

टोक्यो
 जापान ने अपनी नेवी के जहाज से पहली बार इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेलगन फायरिंग का सफल टेस्ट कर इतिहास रच दिया है. समुद्र में तैनात टारगेट शिप पर दागे गए इस ‘शॉक वेपन’ ने साफ कर दिया कि परंपरागत तोप-गोलों का जमाना अब धीरे-धीरे पीछे छूट रहा है. जापान के रक्षा मंत्रालय की अधिग्रहण, तकनीक और लॉजिस्टिक्स एजेंसी (ATLA) ने खुलासा किया कि जून से जुलाई के बीच टेस्ट शिप JS Asuka से रेलगन के ट्रायल किए गए. चार तस्वीरें जारी करते हुए ATLA ने लिखा, ‘यह पहली बार है जब किसी वारशिप से रेलगन का टेस्ट किया गया और वह भी सीधे एक असली जहाज पर.’

क्या है रेलगन?

रेलगन बारूद नहीं, बल्कि बिजली की ताकत से गोला दागती है. प्रोजेक्टाइल को इतनी गति मिलती है कि वह परंपरागत तोपों से कहीं अधिक दूरी और शक्ति के साथ टारगेट भेदता है. जापान की यह रेलगन करीब Mach 6.5 की स्पीड यानी आवाज की रफ्तार से साढ़े छह गुना (8,000 किलोमीटर प्रति घंटा) तक प्रोजेक्टाइल दाग सकती है. खास बात यह कि 120 लगातार फायरिंग के बाद भी बैरल की स्पीड में गिरावट दर्ज नहीं हुई.

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चीन और अमेरिका भी इस टेक पर लगे

चीन भी इसी तकनीक पर तेजी से काम कर रहा है और उसके पास सतत फायरिंग के सफल टेस्ट की खबरें आई हैं, लेकिन वह इसे अब तक तैनात नहीं कर पाया है. अमेरिका ने भी एक समय रेलगन प्रोजेक्ट पर अरबों डॉलर खर्च किए, लेकिन 2021 में तकनीकी चुनौतियों और लागत के चलते इसे बंद कर दिया. वहीं जापान अब इस हथियार को वास्तविक तैनाती की दिशा में सबसे आगे निकल आया है.

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क्यों इतनी खास है यह तकनीक?

डिफेंस एक्सपर्ट मसाशी मुरानो ने जापान टाइम्स को बताया कि हाई-स्पीड एंटी-शिप मिसाइलों को परंपरागत मिसाइलों से इंटरसेप्ट करना बेहद मुश्किल है. रेलगन इस चुनौती का जवाब हो सकता है. इसके दागे प्रोजेक्टाइल न सिर्फ बेहद तेज होते हैं, बल्कि पारंपरिक मिसाइलों की तुलना में सस्ते भी हैं. जहां एयर डिफेंस मिसाइल की एक शॉट की कीमत करोड़ों-करोड़ होती है, वहीं रेलगन अपेक्षाकृत किफायती है.

इसके अलावा, रेलगन से एंटी-एयर वॉरफेयर के लिए ‘एयरबर्स्ट म्युनिशन’ भी विकसित किए जा रहे हैं, जो हवा में ही फटकर घातक टुकड़े छोड़ते हैं. यह मिसाइलों और ड्रोन जैसे खतरों से निपटने में बेहद कारगर हो सकता है.

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जापान रेलगन को सिर्फ नौसैनिक प्लेटफॉर्म तक सीमित नहीं रखना चाहता. योजना है कि इसे जमीन पर भी तैनात किया जाए, ताकि दुश्मन के आर्टिलरी यूनिट्स को निशाना बनाया जा सके और तटीय सुरक्षा को मजबूत किया जा सके. ATLA अब प्रोजेक्टाइल की उड़ान स्थिरता, फायर-कंट्रोल सिस्टम और सतत फायरिंग क्षमता को बेहतर बनाने पर काम कर रहा है. हालांकि, अभी तक इसकी अधिकतम रेंज और रैपिड फायर की क्षमता उजागर नहीं की गई है.

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