1 अक्टूबर से प्रभावी: ट्रंप ने दवाओं पर 100% और ट्रकों पर 50% तक टैक्स बढ़ाया

नई दिल्ली

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अपनी व्यापारिक नीतियों को लेकर सुर्खियों में हैं। इस बार उन्होंने सीधे दवा उद्योग को निशाना बनाते हुए विदेशी फार्मा कंपनियों पर बड़ा फैसला सुनाया है, जो भारत समेत कई विकासशील और विकसित देशों को प्रभावित कर सकता है।

ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर एलान किया कि 1 अक्टूबर 2025 से अमेरिका में किसी भी ब्रांडेड या पेटेंटेड दवा उत्पाद पर 100% टैरिफ लगाया जाएगा – अगर वह अमेरिका में निर्मित नहीं हो रही है। यानी, कोई कंपनी यदि अमेरिका में फार्मा मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित नहीं कर रही है, तो उसे इस भारी-भरकम टैक्स का सामना करना पड़ेगा।

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दवा कंपनियों पर सीधा असर
यह फैसला उन देशों के लिए झटका है जो अमेरिका को बड़ी मात्रा में दवा उत्पाद निर्यात करते हैं। भारत, जो विश्व के सबसे बड़े जेनेरिक दवा उत्पादकों में से एक है, उसके लिए यह निर्णय न सिर्फ आर्थिक, बल्कि रणनीतिक मोर्चे पर भी चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

ट्रंप ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि कोई कंपनी अमेरिका में निर्माण कार्य वास्तव में शुरू कर चुकी है, तो उस पर टैरिफ लागू नहीं होगा। “IS BUILDING” का मतलब केवल योजनाएं बनाना नहीं, बल्कि निर्माण स्थल पर वास्तविक कार्य होना चाहिए।

फर्नीचर और घरेलू सामान पर भी टैरिफ
ट्रंप की आक्रामक टैरिफ नीति सिर्फ दवा उद्योग तक सीमित नहीं रही। उन्होंने ऐलान किया कि:
-किचन कैबिनेट्स और बाथरूम वैनिटीज पर 50% टैरिफ
-अपहोल्स्टर्ड फर्नीचर (गद्देदार फर्नीचर) पर 30% टैरिफ
-भारी ट्रकों और अन्य घरेलू उत्पादों पर भी उच्च टैरिफ लगाए जाएंगे।
ट्रंप का कहना है कि विदेशी कंपनियों ने अमेरिकी बाजार में जरूरत से ज्यादा सामान भर दिया है, जिससे स्थानीय निर्माण उद्योग पर सीधा असर पड़ा है। टैरिफ लगाना अब जरूरी हो गया है ताकि अमेरिका फिर से अपनी उत्पादन क्षमता हासिल कर सके।

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कई देशों पर नई टैरिफ दरें
ट्रंप ने अगस्त में भी कई देशों पर टैरिफ बढ़ाए थे, जो अब लागू हो चुके हैं:
भारत: 50% टैरिफ
रूस: 25% अतिरिक्त जुर्माना
ब्राज़ील: 50% टैरिफ
दक्षिण अफ्रीका: 30% टैरिफ
वियतनाम: 20% टैरिफ
जापान व दक्षिण कोरिया: 15% टैरिफ

अमेरिका फर्स्ट की वापसी?
ट्रंप की इन घोषणाओं को उनकी पुरानी रणनीति America First का विस्तार माना जा रहा है। वे पहले भी टैरिफ को हथियार की तरह इस्तेमाल करते रहे हैं – चाहे वह चीन के साथ ट्रेड वॉर हो या यूरोपीय उत्पादों पर शुल्क। इस नई घोषणा से अमेरिका में फार्मा इंडस्ट्री को तो बढ़ावा मिलेगा, लेकिन वैश्विक व्यापार संतुलन पर इसका गहरा असर पड़ेगा।

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