इंदौर जू में नए साल में आएगा ब्लैक टाइगर, मेलानिस्टिक और व्हाइट टाइगर की मेटिंग से उम्मीद

इंदौर
दुनिया भर में रहस्य बने दुर्लभ ब्लैक टाइगर भविष्य में पूरी तरह काले नजर आ सकते हैं. जिनकी उत्पत्ति के लिए इंदौर में दुर्लभ काले और सफेद टाइगर के मेल से देश के पहले पूरी तरह काले दुर्लभ टाइगर की उत्पत्ति के लिए वंशावली खंगाली जा रही है. लंबे समय से ब्लैक टाइगर दुनिया भर के लिए रहस्य बने हुए हैं खास बात यह है कि अपने शरीर पर गहरे काले रंग की पट्टिका वाले ब्लैक मेलेनिस्टिक टाइगर सिर्फ भारत में ही पाए जाते हैं, जो फिलहाल नंदनकानन अभ्यारण के अलावा इंदौर के चिड़ियाघर में मौजूद हैं.

टाइगर स्टेट मध्य प्रदेश में नए साल 2026 में एक नया मेहमान जन्म ले सकता है। प्रदेश के लिए यह पहला मौका होगा जब मेलानिस्टिक टाइगर (ब्लैकधारी वाला बाघ) का जन्म होगा। दरअसल इसके लिए इंदौर के कमला नेहरू प्राणी संग्रहालय में कुछ समय पहले मेलानिस्टिक टाइगर की व्हाइट फीमेल टाइगर से मेटिंग कराई है। इसके बाद एक्सपर्ट्स ने उम्मीद जताई है कि इंदौर जू में पूरी तरह काले रंग के टाइगर का जन्म हो सकता है।

खास बात यह कि देश में संभवत: यह पशु मेटिंग में एक तरह अलग प्रयोग है। यह देश का एकमात्र ऐसा टाइगर हो सकता है जिसका रंग पूरी तरह से काला होगा। देश में उड़ीसा के नंदन कानन चिड़ियाघर के अलावा इंदौर जू में ऐसा दुर्लभ टाइगर मौजूद है, जिसकी धारियां काले रंग की है। जिसे मेलानिस्टिक टाइगर (काला बाघ) कहा जाता है।

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ब्लैक टाइगर की कोई विशिष्ट प्रजाति या भौगोलिक उप प्रजाति नहीं है, बल्कि यह दुर्लभ रंग वाला टाइगर होता है. जिनकी त्वचा बाल और फर आदि में गहरे काले पिगमेंट की मात्रा ज्यादा होती है, जिससे उसका रंग काला हो जाता है. प्राणी विज्ञान के अनुसार, मिलेनिज्म एक जेनेटिक म्यूटेशन है जो स्तनधारी सरीसृप और कीड़ों की अलग-अलग संततियों में देखने को मिलता है, लेकिन खास बात यह है कि दुनिया भर में सिर्फ भारत के टाइगर में ही इस तरह का म्यूटेशन दिखाई देता है.

इंदौर ही नहीं पूरे मध्यप्रदेश में अलग मामला जू प्रभारी डॉ.उत्तम यादव के मुताबिक यह उम्मीद की जा रही है कि आने वाले कुछ ही माह में इंदौर के चिड़ियाघर में देश का पहला काले रंग का बाघ जन्म ले। इन दोनों अलग-अलग प्रजातियों के टाइगर के बीच सितंबर में मेटिंग हुई थी।

इसमें ब्लैक टाइगर का जीन डोमिनेटिंग जीन रहता है। इसमें गर्भकाल 300 से 310 दिनों के बीच का होता है। अभी मादा व्हाइट टाइगर की बदलती प्रकृति से पूरे संकेत हैं कि नया मेहमान कंसिव हो चुका है।

अगर सबकुछ अच्छा रहा तो संभव है कि 2026 में मप्र में पहली बार मेलानिस्टिक टाइगर प्रजाति का नया मेहमान इंदौर में जन्म ले। यह सिर्फ इंदौर ही नहीं बल्कि मप्र में एक अलग मामला होगा।

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ऐसे होते हैं मेलानिस्टिक टाइगर मेलानिस्टिक टाइगर के शरीर पर चौड़ी और मोटी काली धारियां होती हैं। ये धारियां गहरी और फैली हुई होती हैं जिससे बाघ पूरी तरह ब्लैक नजर आता है। सामान्य रूप से टाइगर के शरीर पर येलो या चॉकलेटी रंग की धारियां नजर आती है।

चिड़ियाघर प्रबंधन के मुताबिक मेलानिस्टिक टाइगर इंदौर जू में आकर्षण का केंद्र है जो अपनी खास कुदरती संरचना के चलते सभी का ध्यान आकर्षित करता है।

वंशावली और हेटेरो जेनेसिस प्रक्रिया का पालन
इंदौर प्राणी उद्यान के प्राणी विशेषज्ञ डॉ उत्तम यादव बताते हैं कि, ''देश के पहले पूरी तरह ब्लैक टाइगर की उत्पत्ति हो सके इसके लिए यहां पहली बार ब्लैक मेलोनेस्टिक टाइगर का व्हाइट टाइगर से क्रॉस कराया गया है. इसी तरह प्राणी उद्यान में मौजूद येलो टाइगर की भी क्रॉस ब्रीडिंग कराई गई है, जिससे कि दुर्लभ रंगों वाले शावकों को प्राप्त किया जा सके.''

फिलहाल यहां दुर्लभ प्रजाति के जो टाइगर मौजूद हैं जिनके बीच F1-f2 जेनरेशन के लिहाज से क्रॉस कराने के बाद 100 प्रतिशत काले ब्लैक मेलेनिस्टिक टाइगर की उत्पत्ति के प्रयास हो रहे हैं. माना जा रहा है कि अगले कुछ माह में यहां जो टाइगर जन्म लेंगे उनमें देश का पहला पूरी तरह से ब्लैक टाइगर भी जन्म ले सकता है. ब्लैक के अलावा व्हाइट और पीले रंग के शावकों का भी जन्म होगा.

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डॉ यादव के मुताबिक, ''इंदौर में जो ब्लैक टाइगर हैं वह फिलहाल 70% ब्लैक हैं लेकिन आने वाली जनरेशन में प्रयास किया जा रहे हैं कि जो भी ब्लैक टाइगर पैदा हों, उसका रंग 100 फीसदी काला हो, जो अपने आप में दुर्लभ होकर देश का पहले पूरी तरह ब्लैक टाइगर के रूप में जन्म ले सके.

क्या होती है पेडिग्री शीट
जिस प्रकार इंसानों में जेनेटिकली एकरूपता और एक दूसरे से अंतर होता है ठीक उसी प्रकार टाइगर में भी अलग-अलग जीन के मिलने से उन्नत प्रजाति विकसित होती है. जैसे परिवार के विभिन्न सदस्यों के बीच रिश्तों और वंश को अलग-अलग दर्शाने के लिए उपयोग किया जाता है. वंशावली के आधार पर ही संबंधित प्राणी के आनुवांशिक लक्षणों उनकी बीमारी और जीवन की स्थिति का आकलन किया जाता है.

यही वजह है कि इंसानों में ब्लड ग्रुप गोत्र जैसी अन्य व्यवस्था की तरह ही टाइगर में भी उन्नत नस्ल प्राप्त करने के लिए उनकी क्रॉसिंग में वंशावली का ध्यान रखना जरूरी है. अलग-अलग वंशावली की क्रॉसिंग से उत्पन्न होने वाले टाइगर अपने खास गुण और रंग के अलावा स्वस्थ्य शरीर वाले होते हैं. जबकि एक ही जीन की क्रॉसिंग से उत्पन्न प्राणियों की प्रजाति के बीमार होने के अलावा विलुप्त होने की आशंका ज्यादा रहती है.
 

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