ईरान-पाकिस्तान ने एक ही दिन में 5,500 से अधिक अफगान शरणार्थियों का जबरन निर्वासन किया

काबुल
 ईरान और पाकिस्तान से एक ही दिन में 5,500 से अधिक अफगान शरणार्थियों को जबरन अफगानिस्तान वापस भेजा गया। यह जानकारी तालिबान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने  दी। प्रवासियों से जुड़े मुद्दों के समाधान के लिए गठित उच्च आयोग की रिपोर्ट को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा करते हुए तालिबान के उप प्रवक्ता मुल्ला हमदुल्लाह फ़ित्रत ने बताया कि बुधवार को कुल 863 परिवारों के 5,591 लोग अफगानिस्तान लौटे। यह जानकारी पज्हवोक अफगान न्यूज ने दी। उन्होंने बताया कि लौटने वाले शरणार्थी हेरात के इस्लाम क़िला बॉर्डर, हेलमंद के बह्रमचा, निमरोज़ के पुल-ए-अब्रेशम, नंगरहार के तोरखम और कंधार के स्पिन बोल्डक सीमा मार्गों से देश में दाखिल हुए।

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फ़ित्रत के अनुसार, 1,311 परिवारों के 7,165 लोगों को उनके संबंधित इलाकों में भेजा गया, जबकि 849 परिवारों को मानवीय सहायता प्रदान की गई। इसके अलावा, दूरसंचार कंपनियों ने हाल ही में लौटे शरणार्थियों को 937 सिम कार्ड भी उपलब्ध कराए।

उन्होंने यह भी बताया कि  ईरान और पाकिस्तान से 3,005 अफगान शरणार्थियों को जबरन निर्वासित किया गया था।इस बीच, ईरान और पाकिस्तान से अफगान शरणार्थियों के निर्वासन का सिलसिला जारी है। काबुल के एक प्रवासी शिविर में रह रहे कई लौटे हुए शरणार्थियों ने पाकिस्तानी पुलिस द्वारा कथित दुर्व्यवहार की आलोचना की है और कहा है कि उनकी सारी संपत्ति वहीं छूट गई।

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अफगानिस्तान के टोलो न्यूज के अनुसार, पिछले सप्ताह लौटे शरणार्थियों ने तत्काल आश्रय, भूमि, आर्थिक सहायता और रोजगार के अवसरों की मांग उठाई थी।
पाकिस्तान से निर्वासित जमालुद्दीन ने टोलो न्यूज से कहा, “हमें जबरन निकाल दिया गया। हमारी कुछ संपत्ति वहीं रह गई। यहां न पैसा है, न रहने की जगह। सर्दी बढ़ रही है और हालात बेहद कठिन हैं।”
एक अन्य निर्वासित गुलज़ार ने कहा, “हमें बाहर निकाल दिया गया। वह देश हमारे लिए पराया था। अब हम अपने वतन लौटे हैं और इस्लामिक अमीरात से मदद की अपील करते हैं।”
कई लौटे हुए शरणार्थियों ने कहा कि पाकिस्तान में उनकी सारी संपत्ति नष्ट या छूट गई और उन्होंने तालिबान से आश्रय, आपात सहायता और रोजगार उपलब्ध कराने की मांग की।
ईरान से लौटे जन मोहम्मद ने कहा, “इस्लामिक अमीरात को इन लोगों की मदद करनी चाहिए। उनके पास रहने की कोई जगह नहीं है। मैं खुद जौज़जान प्रांत जा रहा हूं, लेकिन वहां भी ठहरने की कोई व्यवस्था नहीं है।”

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