इंजीनियरिंग दुनिया को बेहतर बनाने की कला है – राज्यपाल पटेल

भोपाल.
रीवा इंजीनियरिंग कॉलेज के हीरक जयंती में राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि इंजीनियरिंग दुनिया को बेहतर बनाने की कला है। शिक्षा, स्वास्थ्य तथा अधोसंरचना विकास में इंजीनियरों का बहुत बड़ा योगदान है। मानव को शिक्षा ही समर्थ और संस्कारवान बनाती है। रीवा इंजीनियरिंग कालेज बहुत गौरवशाली है। यहाँ अपनी प्रतिभा, योग्यता और परिश्रम से देश का नाम ऊँचा करने वाले कई पूर्व छात्र उपस्थित हैं। इनसे मार्गदर्शन और प्रेरणा लेकर नई पीढ़ी सफलता के शिखर छुएगी। हमारा देश तेजी से विकास कर रहा है। आज पूरी दुनिया में देश की प्रतिष्ठा दिनों दिन बढ़ रही है। 21वीं सदी भारत की सदी होने वाली है। इसे विकसित बनाने में हम जहाँ भी हैं वहाँ अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देकर देश के विकास में योगदान दें।

राज्यपाल पटेल ने कहा कि विन्ध्य की धरा सफेद बाघ की जननी, चिरहुलानाथ स्वामी और महामृत्युंजय भगवान की कृपा पात्र तथा स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की भूमि है। रीवा इंजीनियरिंग कॉलेज की 60 वर्ष की विकास गाथा सफलताओं से भरी है। उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा कि इंजीनियरिंग हर तरह के विकास का मूल है। रीवा में विकास के कई बड़े कार्य हुए हैं। इन सब में इंजीनियरों का सर्वाधिक योगदान रहा है। यह इंजीनियरिंग का ही चमत्कार है कि गुढ़ की पथरीली उजाड़ पहाड़ी में 750 मेगावाट क्षमता का सौर ऊर्जा संयंत्र सफलता की गाथा कह रहा है। रीवावासियों को गर्व है कि उनके सोलर प्लांट की बिजली से दिल्ली की मैट्रो ट्रेन दौड़ती है। विन्ध्य 40 मिलियन टन सीमेंट और 15 हजार मेगावाट बिजली का उत्पादन कर रहा है। विन्ध्य में इंजीनियरों के परिश्रम से अधोसंरचना का जो विकास हुआ है उसमें विन्ध्य के विकास की गाड़ी अब तेजी से दौड़ रही है। रीवा में पाँच साल में सिंचाई क्षमता तीन लाख से बढ़कर नौ लाख एकड़ हो जाएगी। इंजीनियरिंग कालेज के पूर्व छात्र मिलकर कालेज के विकास का रोडमैप बनाएंगे और इसे देश के सर्वश्रेष्ठ तकनीकी संस्थान के रूप में विकसित करेंगे।

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उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं आयुष मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि हमारे देश में प्राचीन काल से ही ज्ञान, विज्ञान, आध्यात्म और दर्शन की परंपरा रही है। इसी ज्ञान परंपरा को समाहित करके नई शिक्षा नीति बनाई गई है। हमारे देश में आज भी हजारों साल पुराने स्मारक स्थापत्य और विज्ञान की सफलता की कहानी कहते हुए विद्यमान हैं। भारत के एक इंजीनियर ने 13वीं शताब्दी में चीन में बीजिंग शहर और दुनिया के सबसे बड़े मंदिर कंबोडिया के अंकोरवाट मंदिर की डिजाइन बनाई थी। सूर्य ऊर्जा का सबसे बड़ा और अक्षय स्त्रोत है। इसीलिए हमारे देश में सूर्य की पूजा की जाती है। मंत्री परमार ने कहा कि रीवा इंजीनियरिंग कॉलेज के विकास के संबंध में जो प्रस्ताव मिले हैं उन पर दिसम्बर 2024 में आयोजित बैठक में निर्णय लिए जाएंगे।

राज्यपाल पटेल ने कॉलेज की स्मारिका के प्रथम पृष्ठ का डिजिटल विमोचन किया। राज्यपाल ने स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। समारोह में सांसद जनार्दन मिश्र विधायक मनगवां इंजीनियर नरेन्द्र प्रजापति, अध्यक्ष नगर निगम व्यंकटेश पाण्डेय तथा बड़ी संख्या में पूर्व छात्र, वर्तमान छात्र एवं पत्रकारगण उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. संदीप पाण्डेय ने किया।

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राज्यपाल ने इंजीनियरिंग कालेज के स्वागत द्वार तथा ओपन थियेटर का किया लोकार्पण
राज्यपाल ने इंजीनियरिंग कालेज के पूर्व विद्यार्थियों द्वारा निर्मित भव्य स्वागत द्वार का लोकार्पण किया। राज्यपाल ने कॉलेज के प्रवेश के द्वार के समीप ही बनाए गए मुक्ताकाश ओपन थियेटर का भी लोकार्पण किया। इस अवसर पर बाबा अलाउदीन खान के द्वारा स्थापित मैहर बैण्ड के कलाकारों ने मोहक धुन प्रस्तुत की। इसका निर्माण 55 लाख रुपए की लागत से कराया गया है। राज्यपाल पटेल ने इंजीनियरिंग कॉलेज में विद्यार्थियों द्वारा लगाई गई भविष्य के ज्ञान-विज्ञान की झलक देने वाली टेकफेस्ट प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। राज्यपाल ने प्रदर्शनी का अवलोकन करते हुए विद्यार्थियों से उनके द्वारा प्रदर्शित उपकरणों की जानकारी ली। इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल, उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं आयुष मंत्री इंदर सिंह परमार, सांसद जनार्दन मिश्र, विधायक इंजीनियर नरेन्द्र प्रजापति तथा अन्य जनप्रतिनिधिगण एवं अधिकारी उपस्थित रहे।

राज्यपाल ने बीहर रिवर फ्रंट का किया लोकार्पण
राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने रीवा शहर के मध्य से प्रवाहित बीहर नदी के तट पर बनाये गये बीहर रिवर फ्रंट का लोकार्पण किया। उन्होंने कहा कि बीहर रिवर फ्रंट रीवा के लिये अनुपम सौगात है। उन्होंने अनुष्ठानिक रीति से मंगलाचरण के बीच शिला पट्टिका का अनावरण कर रिवर फ्रंट जनता को समर्पित किया। राज्यपाल पटेल का का उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने रीवा के प्रसिद्ध सुपारी से निर्मित विन्घ्नहर्ता भगवान गणेश की प्रतिमा भेंट कर अभिनंदन किया।

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राज्यपाल को रिवर फ्रंट के विषय में जानकारी देते हुए बताया कि प्रथम चरण में नदी के एक किनारे में 1600 मीटर लम्बाई का रिवर फ्रंट का निर्माण कराया गया है। बीहर नदी के अविरल जल प्रवाह को देखकर राज्यपाल जी अविभूत हो गये। राज्यपाल ने पचमठा आश्रम पहुंचकर माँ बीहर की पूजा अर्चना कर आरती उतारी। उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने पचमठा के ऐतिहासिक व पौराणिक महत्व से राज्यपाल को अवगत कराया। उन्होंने बताया कि कैमोर पर्वत से निकली बीहर सलिला के तट पर स्थित रीवा पचमठा का इतिहास अति प्राचीन है। जगदगुरू शंकराचार्य जी ने धर्म दिग्विजय अभियान के दौरान यहां प्रवास किया था। आचार्य शंकर ने चारों दिशाओं में ज्योर्तिमठ, श्रृंगेरीमठ, गोवर्धनमठ तथा द्वारिकामठ की स्थापना की थी। उनकी परिकल्पना मध्यभारत में पाँचवे मठ की स्थापना की थी यह पाँचवा मठ है। पचमठा में चारों मठों की प्रतिकृति बनाकर इनका इतिहास प्रदर्शित किया गया है। राज्यपाल पटेल ने पचमठा आश्रम के अतिप्राचीन शिव मंदिर में पूजा अर्चना की।

उल्लेखनीय है कि बीहर रिवर फ्रंट के प्रथम चरण का निर्माण म.प्र. ग्रह निर्माण मंडल एवं अधोसंरचना विकास मंडल द्वारा 25 करोड़ रूपये की लागत से किया गया है। इसके तहत नदी के वांये तट में बाबा घाट से कोतवाली घाट तक 1600 मीटर लम्बे रिवर फ्रंट में ग्रेविटी बाल, पाथवे ग्रीन टी एरिया का निर्माण किया गया है।

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