सुनीता विलियम्स जून से ही अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में फंसी हुई हैं, अब बिगड़ने लगी तबीयत, घट रहा वजन?

नई दिल्ली
भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स जून से ही अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) में फंसी हुई हैं। बीते दिनों उनकी कुछ तस्वीरें सामने आईं जिनमें वह काफी पतली नजर आ रही थीं। इसे देखकर उनकी सेहत को लेकर लोगों को चिंता होने लगी। हालांकि, अब परेशान होने की जरूरत नहीं है। न्यू इंग्लैंड स्पोर्ट्स नेटवर्क (NESN) को दिए इंटरव्यू में उन्होंने खुद ही सारी बातें साफ कर दी हैं। सुनीता ने कहा, 'मुझे लगता है कि मेरा शरीर थोड़ा बदल गया है मगर वजन उतना ही है। ये बातें अफवाह हैं कि मेरा वजन कम हो रहा है। मैं बताना चाहती हूं कि मेरा वजन उतना ही है जितना यहां आने पर था।'

ये भी पढ़ें :  ऑनलाइन फ्रॉड के खिलाफ सरकार सख्त, 7.81 लाख सिम कार्ड, 2 लाख मोबाइल ब्‍लॉक

सुनीता विलियम्स ने कहा कि माइक्रोग्रैविटी के चलते उनके शरीर में कुछ बदलाव हुए हैं। ऐसी स्थिति में शारीरिक तरल पदार्थ ऊपर की ओर बढ़ने लगते हैं। इससे अक्सर अंतरिक्ष यात्रियों के चेहरे फूल जाते हैं और उनके शरीर के निचले हिस्से दुबले दिखाई देने लगते हैं। लंबे समय तक चलने वाले अंतरिक्ष अभियानों का हिस्सा बनने की कुछ अनूठी चुनौतियां हैं। उन्होंने इसे समझाते हुए कहा, 'यह ठीक उसी तरह है जैसे आपका शरीर पर्यावरण के साथ तालमेल बिठाता है।' भारहीन वातावरण में रहने के शारीरिक प्रभाव पड़ते हैं। इसका सामना करने के लिए खास तरह की फिटनेस डाइट लेनी होती है।

ये भी पढ़ें :  सीयूईटी इंटरनेशनल ने तंबाकू विज्ञापनों से जुड़े प्रस्तावित नियमों को लेकर चिंता जताई

सुनीता विलियम्स ने बताईं चुनौतियां
अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स ने इंटरव्यू में कहा, 'मेरी जांघें थोड़ी बड़ी हैं। मेरा शरीर थोड़ा अलग मालूम होता है। हड्डियों के घनत्व को बनाए रखने के लिए हम बहुत सारे उपाय करते हैं, कूल्हों और पैरों पर विशेष ध्यान देना होता है।' अगर अंतरिक्ष स्टेश में सुनीता के वर्कआउट की बात करें तो इसमें साइकिल चलाना, ट्रेडमिल दौड़ना और खास उपकरणों से प्रशिक्षण शामिल हैं। मालूम हो कि माइक्रोग्रैविटी में अंतरिक्ष यात्री हर महीने 1-2% हड्डी का द्रव्यमान खो देते हैं। विशेष रूप से रीढ़, कूल्हों और पैरों जैसी वजन सहने वाली हड्डियों पर असर पड़ता है। सवालों के जवाब देते हुए विलियम्स ने यह स्वीकार किया कि अस्थि घनत्व को पूरी तरह से रोकना चुनौती जरूर है।

Share

क्लिक करके इन्हें भी पढ़ें

Leave a Comment