दिल्ली के लड़के की खोज: बिना बोले बातें करेगा ‘AlterEgo’ डिवाइस

नई दिल्ली

साइंस फिक्शन फिल्मों में आपने देखा होगा कि किस तरह से लोग बिना बोले एक दूसरे से मन ही मन बात कर पाते हैं। अब ऐसा असल दुनिया में भी हो पाएगा। दरअसल दिल्ली में जन्मे और अमेरिका की MIT से पढ़े अर्णव कपूर ने एक हैरतअंगेज डिवाइस बनाया है, जिसकी मदद से लोग बिना एक शब्द भी बोले आपस में बात कर पाएंगे। इतना ही नहीं इस डिवाइस का इस्तेमाल करके इंसान मशीनों के साथ भी बात-चीत कर सकेंगे। यहां गौर करने वाली बात यह है कि इस डिवाइस की मदद से बातचीत करते हुए बात करने वालों को न तो हाथ-पैर हिलाने पड़ेंगे और न ही किसी तरह का भाव चहरे पर दिखाना होगा। अर्णव का यह डिवाइस बनाने का मकसद यही है कि जिन लोगों को बात करने में किसी भी वजह से तकलीफ होती है, वह इस डिवाइस को इस्तेमाल कर पाएं। हालांकि इसे इस्तेमाल हर कोई कर सकता है। चलिए अर्णव के AlterEgo नाम के इस डिवाइस के बारे में डिटेल में बात करते हैं।

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AlterEgo क्या है?
AlterEgo एक डिवाइस का नाम है जिसे कि सिर पर पहन कर किसी शख्स से बिना बोले बात की जा सकती है। इसका इस्तेमाल मशीनों के साथ बातचीत करने में भी किया जा सकता है। यह मशीन इंसान के दिमाग में चलने वाले विचारों को पकड़कर उन्हें शब्दों में बदल देता है। MIT के अनुसार, यह डिवाइस 'इंटरनल आर्टिक्यूलेशन ऑफ वर्ड्स' के सिद्धांत पर काम करता है। इसका मतलब है कि जब आप अपने मन में कुछ सोचते हैं, तो यह दिमाग में उठने वाली ऊर्जा या करंट को पकड़ पाता है। जिसे कि यह शब्दों में बदल सकता है। इस तकनीक खासियत है कि इसे इस्तेमाल करने के लिए शरीर में किसी तरह का कोई डिवाइस इम्पलांट नहीं करना पड़ता। इस डिवाइस की मदद से इंसान बिना एक भी शब्द बोले AI, कंप्यूटर और दूसरे लोगों से प्राकृतिक भाषा में बात कर सकता है।

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कौन हैं अर्णव कपूर?
अर्णव कपूर भारतीय मूल के शोधकर्ता हैं और उन्होंने AlterEgo प्रोजेक्ट को शुरू किया है। वह MIT यानी कि Massachusetts Institute of Technology से पढ़ाई कर चुके हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक फिलहाल अर्णव कैम्ब्रिज में AlterEgo प्रोजेक्ट का नेतृत्व कर रहे हैं और इस टेक्नोलॉजी को प्रोटोटाइप से इस्तेमाल के लायक एक कमर्शिलय प्रोजेक्ट बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

कैसे काम करता है AlterEgo?
AlterEgo की वेबसाइट के मुताबिक जब भी कोई शख्स कुछ सोचता है, तो उसके चेहरे और गले की मांसपेशियां हल्की सी हरकत करती हैं। इन बारीक हरकतों को हमारी आंखें नहीं देख सकती हैं। AlterEgo इन्हीं छोटे-छोटे न्यूरल सिग्नल्स को पकड़ता है और उन्हें कंप्यूटर की भाषा में बदल देता है। इससे जुड़ी एक वीडियो भी इंटरनेट पर मौजूद है जहां अर्णव कपूर से सवाल पूछे जा रहे हैं और वे बिना कुछ बोले तुरंत जवाब दे रहे हैं। इस टेक्नोलॉजी की खासियत है कि यह सिर्फ जानकारी भेजता नहीं है बल्कि उसे रिसीव भी कर सकता है। यही वजह है कि इस डिवाइस को पहने दो शख्स आपस में बिना बोले लंबी बातचीत कर सकते हैं।

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किस काम आएगा AlterEgo?
AlterEgo की वेबसाइट के मुताबिक AlterEgo का मकसद उन लोगों की मदद करना है जिन्हें बोलने में समस्या होती है। ALS यानी कि एमियोट्रॉफिक लेटरल स्क्लेरोसिस और MS यानी कि मल्टिपल स्क्लेरोसिस जैसी बीमारियों से पीड़ित लोग इसका सबसे ज्यादा फायदा उठा सकते हैं। हालांकि इसके और भी यूज केस हैं। आम लोग इसका इस्तेमाल रोजमर्रा के कामों में कंप्यूटिंग को आसान बनाने के लिए कर सकते हैं। अर्णव कपूर का यह आविष्कार न सिर्फ दिव्यांगों के लिए वरदान साबित हो सकता है बल्कि टेक्नोलॉजी की दुनिया का नया अध्याय भी शुरू कर सकता है। अगर अर्णव इसे कमर्शियल इस्तेमाल के लिए उपलब्ध करवा पाने में कामियाब होते हैं, तो इंसानों की बात करने का तरीका भी पूरी तरह से बदल सकता है।

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