नए साल से पहले मध्य प्रदेश के कर्मचारियों के लिए बड़ी खुशखबरी, प्रमोशन लिस्ट हुई तैयार

भोपाल
 मध्य प्रदेश सरकार द्वारा बनाए गए प्रमोशन के नए नियमों को लेकर मामला हाईकोर्ट में उलझा हुआ है. राज्य सरकार द्वारा 17 जून 2025 को जारी लोक सेवा पदोन्नति नियम 2025 जारी करते हुए कहा था कि पिछले 9 सालों से प्रमोशन बंद होने से सभी वर्गों के कर्मचारियों पर इसका विपरीत असर पड़ा है. कर्मचारी बिना प्रमोशन के ही रिटायर्ड हो रहे हैं. हाईकोर्ट में भी सरकार इस तथ्य को मजबूती से रख रही है, हालांकि इस मामले में दायर याचिका पर सुनवाई अब 16 अक्टूबर को होगी. माना जा रहा है कि हाईकोर्ट में इस मामले में फैसला अगले 3 माह में सुना सकती है. ऐसे में दिसंबर माह तक प्रदेश के कर्मचारियों को पदोन्नति का लाभ मिल सकता है.

2 दिन बाद कर दिए थे नियम जारी

प्रदेश की मोहन सरकार ने 17 जून को प्रमोशन के नए नियमों को जारी किया और इसके 2 दिन बाद नए नियम बनाकर इसे लागू भी कर दिया. लेकिन नियम जारी करने के पहले सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर विशेष अनुमति याचिका को वापस नहीं लिया साथ ही पुराने पदोन्नति नियम का लाभ ले चुके कर्मचारियों का प्रमोशन वापस नहीं लिया गया. इसलिए सरकार के नियम लागू करने के बाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई.

ये भी पढ़ें :  प्रदेश पुलिस के नए मुखिया बनने के बाद डीजीपी मकवाना जिलावार रिव्यू करेंगे, फिर थाना स्तर तक बदलाव किए जाएंगे

सुनवाई के दौरान सरकार से कहा गया कि वे प्रमोशन में आरक्षण के 2002 के पुराने नियम और 2025 के नए नियमों का अंतर स्पष्ट करें. यही वजह है कि अब इस मामले को लेकर सामान्य पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी कर्मचारी संस्था यानी सपाक्स सवाल उठा रही है कि नए नियम जारी करने का मतलब है कि पुराने नियम गलत थे. तो ऐसे में इसके तहत जिन कर्मचारियों को पदोन्नत किया गया है, उनका डिमोशन किया जाए और फिर सीनियरटी लिस्ट तैयार करें और इसके आधार पर प्रमोशन किया जाए.

ये भी पढ़ें :  महीने के आखिरी दिनों में प्रदेश में तेज गर्मी, ग्वालियर, इंदौर-उज्जैन संभाग सबसे गर्म

सरकार नहीं रख सकी थी अपना पक्ष

हालांकि मामले में 12 अगस्त को हुई सुनवाई के दौरान सरकार अपना पक्ष ठीक से प्रस्तुत नहीं कर सकी थी. सरकार के वकील महाधिवक्ता यह नहीं बता पाए थे कि प्रमोशन में आरक्षण के पुराने और नए नियमों में क्या अंतर है. इसके बाद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सीएम वैद्यनाथन की सेवाएं ली हैं, लेकिन 25 सितंबर को वे कोर्ट में प्रस्तुत नहीं हुए और इस वजह से अब कोर्ट की सुनवाई को 16 अक्टूबर तक आगे बढ़ा दिया गया है. सरकार की कोशिश है कि 9 सालों से बंद प्रमोशन जल्द शुरू हो जाए. हालांकि सुप्रीम कोर्ट में मामला अभी विचाराधीन है ऐसे में यदि प्रमोशन का लाभ दिया भी गया तो वह कोर्ट के अंतिम फैसले पर ही निर्भर करेगा.

ये भी पढ़ें :  CM डॉ मोहन की अध्यक्षता में वनाधिकार व पेसा कानून के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए गठित टास्क फोर्स का पुनर्गठन

विभागों को अंतिम आदेश का इंतजार

उधर कोर्ट का फैसला अभी नहीं आया हो, लेकिन विभागों ने प्रमोशन को लेकर अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं. माना जा रहा है कि प्रमोशन का लाभ प्रदेश के करीबन साढ़े 4 लाख कर्मचारियों को मिलेगा. इसके लिए कर्मचारियों की सीआर के आधार पर प्रस्ताव तैयार कर लिए हैं. हालांकि कोर्ट के फैसले के बाद ही इस पर कदम आगे बढ़ाए जाएंगे. माना जा रहा है कि अगले 3 माह में इस पर कोर्ट से मामला सुलझ सकता है और ऐसे में दिसंबर में कर्मचारियों को प्रमोशन मिल सकता है.

 

Share

Leave a Comment