लखनऊ
सीएम योगी आदित्यनाथ ने पंचायती राज विभाग के एक हालिया आदेश को लेकर कड़ा रुख अपनाया है, जिसमें ग्राम पंचायत की भूमि से अवैध कब्जा हटाने की प्रक्रिया को जाति व धर्म विशेष से जोड़कर निर्देशित किया गया था. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस आदेश को पूर्वाग्रह से प्रेरित और अस्वीकार्य मानते हुए उसे तत्काल प्रभाव से निरस्त करने का निर्देश दिया है. साथ ही इस आदेश के लिए जिम्मेदार संयुक्त निदेशक (पंचायती राज) सुरेंद्र नाथ सिंह को निलंबित कर दिया गया है.
पंचायती राज विभाग की ओर से जारी यह पत्र प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों, मंडलीय उपनिदेशकों और जिला पंचायत राज अधिकारियों को भेजा गया था. इसमें प्रदेश की 57,000 से अधिक ग्राम पंचायतों की सार्वजनिक भूमि, जैसे कि ग्राम सभा की भूमि, पोखरे, खलिहान, खाद गड्ढे, श्मशान भूमि आदि को अवैध कब्जे से मुक्त कराने का निर्देश दिया गया था. हालांकि, पत्र की भाषा में विशेष रूप से यादव जाति और मुस्लिम धर्म के लोगों द्वारा किए गए कथित कब्जे का उल्लेख किया गया, जिसे लेकर कई स्तरों पर आपत्ति दर्ज की गई.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले का संज्ञान लेते हुए संबंधित आदेश को न केवल संविधान की भावना के विरुद्ध बताया, बल्कि यह भी कहा कि सरकारी नीतियां किसी भी समुदाय या वर्ग के प्रति पूर्वाग्रह से प्रेरित नहीं हो सकतीं. मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि कानून का शासन सभी के लिए समान रूप से लागू होता है और किसी भी प्रकार की कार्रवाई पूरी तरह से तथ्यों, साक्ष्यों और नियमों के अनुसार होनी चाहिए न कि जातिगत या धार्मिक पहचान के आधार पर.
सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिया है कि भविष्य में इस प्रकार की भाषा, जो सामाजिक समरसता को प्रभावित कर सकती है, का प्रयोग किसी भी सरकारी पत्राचार में न किया जाए. मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को यह चेतावनी भी दी है कि शासन की ओर से कोई भी निर्णय लेते समय संवैधानिक मूल्यों, निष्पक्षता और प्रशासनिक मर्यादा का पूरी तरह से पालन किया जाना चाहिए.