स्वास्थ्य योजनाओं के क्रियान्वयन में अग्रणी बनने के लिए हर स्तर पर समन्वय और सक्रियता अनिवार्य: उप मुख्यमंत्री शुक्ल

भोपाल

उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने मंत्रालय स्थित सभाकक्ष में लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के अन्तर्गत 15वें वित्त आयोग एवं प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत – स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (पीएम-अभिम) के अंतर्गत संचालित निर्माण एवं विकास कार्यों की संभागवार वृहद समीक्षा की। बैठक में निर्माण कार्यों की प्रगति, बजट व्यय की स्थिति, गुणवत्ता, समय-सीमा, तकनीकी और प्रशासनिक सहयोग के महत्वपूर्ण विषयों पर गहन चर्चा कर उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने आवश्यक दिशा निर्देश दिये। उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने कहा कि केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजनाओं के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश अग्रणी राज्य बने, इसके लिए सभी स्तरों पर समन्वय और सक्रियता अनिवार्य है।

उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने कहा कि सभी कार्यों की सघन मॉनिटरिंग कर निर्धारित समय-सीमा में कार्य पूर्ण किए जाएं, ताकि आम नागरिकों को समय पर बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ मिल सके। उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने कहा कि संभागीय स्तर पर कार्यों की नियमित समीक्षा की जाए। हर 15 दिवस में राज्य स्तर पर कार्यों की प्रगति की समीक्षा होगी। इस अवसर पर प्रमुख सचिव लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा संदीप यादव, आयुक्त तरुण राठी, परियोजना संचालक नीरज कुमार सिंह सहित विभागीय वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

तकनीकी मैनपावर की करें समुचित व्यवस्था

उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने कहा कि तकनीकी सहयोग और कार्यों की गहन निगरानी हेतु आवश्यक तकनीकी मैनपावर की समुचित व्यवस्था की जाए और इसके लिए एक प्रभावी निगरानी तंत्र तैयार किया जाए। किसी भी स्तर पर कार्यों में अवरोध हो तो उसकी जानकारी तत्काल उच्च स्तर पर दी जाए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि किसी प्रकार की लापरवाही या अनावश्यक विलंब को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदेशवासियों को सुलभ, सशक्त और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना है और इसके लिए जो भी आवश्यक कदम उठाने होंगे, वे तत्परता से उठाए जाएंगे।

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15वें वित्त आयोग में मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य ढाँचे के सुदृढ़ीकरण के लिए 4 हजार 600 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई, जिसमें से अब तक 2 हजार 540 करोड़ रुपये की राशि राज्य को प्राप्त हुई है और 1 हजार 487 करोड़ रुपये का व्यय किया जा चुका है। भवनविहीन उप स्वास्थ्य केंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के निर्माण हेतु 1 हजार 649.17 करोड़ रुपये की स्वीकृति प्राप्त हुई, जिसमें 543.06 करोड़ रुपये जारी किए गए और 298.97 करोड़ रुपये का व्यय हुआ। ब्लॉक पब्लिक हेल्थ यूनिट्स हेतु 94.41 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गई, 57.98 करोड़ रुपये जारी हुए और 44.47 करोड़ रुपये खर्च किए गए।

उप स्वास्थ्य केंद्रों में डायग्नोस्टिक इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थापना के लिए 544.87 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत हुई, जिसमें 312.96 करोड़ रुपये जारी किए गए और 226.36 करोड़ रुपये का व्यय हुआ। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में डायग्नोस्टिक इंफ्रास्ट्रक्चर हेतु 577.34 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए, जिनमें से 331.56 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई और 219.60 करोड़ रुपये व्यय हुआ। ग्रामीण क्षेत्रों के उप स्वास्थ्य केंद्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में परिवर्तित करने हेतु 395.50 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत और पूर्णतः जारी की गई, जिसमें से 297.78 करोड़ रुपये का व्यय हुआ।

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शहरी क्षेत्रों में डायग्नोस्टिक सुविधाओं के विकास हेतु 144.28 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए, 54.34 करोड़ रुपये जारी हुए और 41.07 करोड़ रुपये व्यय किए गए। शहरी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों की स्थापना एवं संचालन हेतु 1 हजार 195.29 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई, जिसमें से 845.12 करोड़ रुपये जारी हुए और 359.08 करोड़ रुपये व्यय किए गए। 15वें वित्त आयोग के अंतर्गत प्रदेश की 2 हजार 37 स्वास्थ्य इकाइयों के लिए कुल 1 हजार 512.64 करोड़ रुपये की प्रशासकीय स्वीकृति जारी की गई, जिनमें से अब तक 347.99 करोड़ रुपये का व्यय हुआ है।

भवनविहीन 1790 उप स्वास्थ्य केंद्रों में से 118 कार्य पूर्ण हो चुके हैं, 1507 कार्य निर्माणाधीन हैं। यह कार्य स्वास्थ्य विभाग द्वारा किए जा रहे हैं। भवनविहीन 119 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में से 26 कार्य पूर्ण, 88 प्रगतिरत हैं। ये कार्य स्वास्थ्य विभाग, म.प्र. भवन विकास निगम तथा म.प्र. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण निर्माण निगम द्वारा किए जा रहे हैं। ब्लॉक पब्लिक हेल्थ यूनिट्स के 117 कार्यों में से 77 कार्य पूर्ण हो चुके हैं। ये कार्य पीआईयू, स्वास्थ्य विभाग, एमपीपीएचसी और एमपीबीडीसी द्वारा किए जा रहे हैं। 11 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में से 3 कार्य प्रगति पर हैं और 8 कार्य टेंडर स्तर पर हैं। अब तक भवनविहीन उप स्वास्थ्य केंद्र, पीएचसी, बीपीएचयू और सीएचसी के 221 कार्य पूर्ण हो चुके हैं, 1 हजार 616 कार्य प्रगति पर हैं और 30 कार्य टेंडर स्तर पर हैं। राज्य में इंटीग्रेटेड पब्लिक हेल्थ लैब्स की स्थापना हेतु कुल 47 इकाइयों को स्वीकृति दी गई है। इनमें से 23 कार्य पूर्ण हो चुके हैं, 17 कार्य प्रगति पर हैं।

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भोपाल संभाग में स्वीकृत 281 कार्यों में से 12 कार्य पूर्ण हो चुके हैं, 241 कार्य प्रगति पर हैं। ग्वालियर संभाग में 294 कार्य स्वीकृत हुए, 43 कार्य पूर्ण हैं और 189 प्रगति पर हैं। जबलपुर संभाग में 321 कार्यों में से 13 कार्य पूर्ण हैं और 292 कार्य प्रगति पर हैं। इंदौर संभाग में 331 कार्यों में से 23 कार्य पूर्ण हैं और 290 कार्य प्रगति पर हैं। रीवा संभाग में 277 कार्य स्वीकृत हुए हैं, इनमें 27 कार्य पूर्ण हैं 245 कार्य प्रगति पर हैं। सागर संभाग में स्वीकृत 200 कार्यों में से 21 पूर्ण 145 प्रगतिरत हैं और उज्जैन संभाग में स्वीकृत 230 कार्यों में से 7 पूर्ण 194 निर्माणाधीन है। इन सभी संभागों में कार्यों की तेज़ी से प्रगति की जा रही है।

 

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