डिंडौरी में हाथियों और बाघ की दहशत जिला प्रशासन भी सहमा, बंद कराने पड़े स्कूल और हाट बाजार

 डिंडौरी

 सामान्य वनमंडल के एक ही रेंज में मादा बाघ के साथ हाथियों के मूवमेंट ने वन विभाग की मुश्किलें बढ़ा दी है। मादा बाघ के रिहायशी क्षेत्र में मूवमेंट व हाथियों के द्वारा घरों व फसलों को नुकसान पहुंचाए जाने से ग्रामीण दहशत में है। वन्यजीवों के बढ़ते मूवमेंट को ध्यान में रखते हुए आस-पास के विद्यालयों में 25 से 29 नवंबर तक पांच दिन का अवकाश घोषित कर दिया गया है। वहीं इन वन्यजीवों पर लगातार नजर रखी जा रही है। इनकी निगरानी के लिए तीन रेंज का अमला तैनात किया गया है।

घर से ना निकलने की सलाह
खौफ के चलते ग्रामीण खेत, बाजार और स्कूलों से दूरी बना रहे हैं। वन अमला भी ग्रामीणों को घर से नहीं निकलने की समझाइश दे रहा है। बता दें, शुक्रवार से पश्चिम करंजिया वन परिक्षेत्र अंतर्गत ठाढ़ पथरा वन ग्राम में मादा बाघ का मूवमेंट बना हुआ है। शुक्रवार सुबह संभर पिता गुलौआ गौड़ के घर के सामने बछिया का शिकार किया था। इसके बाद वन विभाग ने ट्रैप कैमरा लगाया, जिसमें दूसरी बार यहां पहुंची मादा बाघ ट्रैप हुई। फोटो और वीडियो को देखने के बाद बताया गया कि बाघिन की उम्र तीन साल है।

हाथियों का उत्पात एक सप्ताह से जारी
ग्राम पंचायत पंडरी पानी व ढाढ़पथरा के गांवों अम्हादादर, झिरिया बहरा, इमली टोला व चकरार में हाथियों का उत्पात एक सप्ताह से जारी है। हाथी के दल ने अब ग्राम चकरार के किसानों के खेत की खड़ी फसल को खाकर चौपट करने के साथ शेष खड़ी फसलों को रौंद दिया। वहीं बाघिन की सतत मौजूदगी से ग्रामीण भय में हैं और सर्दी में भी रात जागरण कर रहे हैं।

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फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हाथी
जंगली हाथियों का दल लगातार चकरार, उद्दौर, आम्हा, पंडरीपानी, ख्हारखुदरा, चकमी, ठाढपथरा, इमली टोला सहित दर्जनों गांव में फसलों के साथ घरों को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं। शनिवार रात हाथियों ने चकरार में प्रमिला गौंड, दिनेश पिता धनेश्वर और दिनेश पिता सुखदेव सिंह नामक किसानों की फसल को क्षति पहुंचाई है।

कड़कड़ाती ठंड से दोगुनी मार
वर्तमान में जिन क्षेत्रों में हाथियों के दल ने आतंक मचा रखा है वहां के ग्रामीणों चैन सुकून छिन गया हैं। वनांचल के लोगों की मानें तो वे दिन किसी तरह से तो गुजार लेते हैं लेकिन रात होते ही उनके घरों पर हाथियों के हमले का डर सताने लगता हैं। ऐसे में अपनी जान की सलामती के लिए कच्चे मकानों को यूं ही भगवान भरोसे छोड़ मकानों की छतों पर कड़कड़ाती ठंड में तंबू तान रात काटने मजबूर हैं। शुक्रवार की रात में पंडरी पानी, कांदाटोला, केंद्रा बहरा व ठाढ़पथरा के लोगों ने हमले की आशंका से जहां छत में बैठकर जागरण किया वहीं कुछ युवाओं ने अपने घरों की निगरानी के लिए रतजगा किया। ग्रामीणों का कहना है कि हाथियों का दल दिन भर जंगल के आसपास रुका रहता हैं, लेकिन शाम होते ही आबादी में घुस रहें हैं ऐसे स्थिति में ग्रामीण बहुत भयभीत हैं।

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बाजारों में कराई गई मुनादी
हाथी और बाघिन के आतंक का वनांचल क्षेत्र ग्रामीणों के मन में फिलहाल डर बैठा हुआ है। फलस्वरूप अब लोग रात की बजाए दिन में भी सुरक्षा की दृष्टि से सूनसान इलाकों में जाने से बच रहें हैं। ग्रामीणों का मानना हैं कि जब तक इन वन्य प्राणियों का यहां से गमन नहीं हो जाता तब तक इस क्षेत्र में इनके हमले की आशंका बरकरार है। ऐसी स्थिति में वे किसी भी सूरत में जान जोखिम में डालकर कोई काम नहीं करना चाहते।

इसी क्रम में रविवार को ग्राम पंडरी पानी के साप्ताहिक बाजार में पंचायत द्वारा खतरे को भांपते हुए दुकानदार व ग्राहकों को सतर्क और जागरूक करने के उद्देश्य से कोटवार के माध्यम से मुनादी कराकर सचेत किया गया। पंचायत सचिव दिलीप कुमार मरावी ने बताया कि दो सप्ताह से लगातार इसी प्रकार मुनादी कराई जा रही हैं।

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रविवार को एक बार फिर मुनादी के बाद जहां सूर्यास्त के पहले दुकानदारों व बाजार करने आए लोग बाजार बंद कर घर की ओर चले गए। रविवार का साप्ताहिक बाजार आम दिनों की अपेक्षा समय से पहले दिन डूबने के पूर्व ही बंद हो गया।

मटके का पानी पी गई बाघिन
बाघिन ने दो दिन पूर्व शिकार करने के बाद पुनः शनिवार की रात आबादी के अंदर पहुंचकर गौशाला में बंधे पशुओं का शिकार करने का प्रयास किया। इस दरमियान बाघिन ने मटके में रखे पानी को पीकर अपनी प्यास बुझाई है। ग्रामीणों ने बताया कि वह सभी पास के मकान की छत पर वह सुरक्षित होने के लिहाज से बैठ रहे।

रात्रि में ज बाघिन ने गौशाला के नजदीक पहुंचकर पशुओं को ले जाने के चक्कर में झपट्टा मारी तो आहट और पशुओं द्वारा चिल्लाने की आवाज आने लगी। तब हमारे द्वारा टार्च के रोशनी और हल्ला मचाया गया। तब बाघिन वहां से हटकर अरहर के खेत में रात भर डेरा जमाएं रहीं और सुबह उजाला होने के पूर्व जंगल में चली गई।

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