प्रजनन दर में पिछड़ी देश की सबसे स्वच्छ राजधानी, 2047 में युवा से अधिक होंगे बुजुर्ग: रिपोर्ट

भोपाल 
1999 में बुजुर्गों के लिए बनी मप्र वृद्धजन नीति में 25 साल बाद सुधार की कवायद शुरू हो गई है। ऐसा इसलिए, क्योंकि मप्र समेत पूरे देश में प्रजनन दर घटती जा रही है। यानी धीरे-धीरे युवाओं की संख्या घट रही है 
मध्य प्रदेश की राजधानी को देश की सबसे स्वच्छ राजधानी का खिताब मिला है, कई मामलों में भोपाल देश में टॉप पर है, लेकिन प्रजनन दर के मामले में भोपाल देश ही नहीं बल्कि मध्य प्रदेश में भी सबसे पिछड़ा है. एक ओर जहां मध्य प्रदेश की प्रजनन दर 2.8 है, जो देश के औसत प्रजनन दर 2.3 से 0.5 अधिक है. वहीं भोपाल की प्रजनन दर 2.0 है, यानि यहां प्रति महिला दो बच्चे पैदा होते हैं.

प्रजनन दर के मामले में पन्ना जिला अव्वल

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 2019-2021 की रिपोर्ट के अनुसार "भोपाल में तेजी से प्रजनन दर घट रही है. प्रदेश में भोपाल इस मामले में सबसे निचले पायदान पर है. जबकि सबसे अधिक प्रजनन दर वाले जिलों में पन्ना है. वहां टीएफआर 4.1 है. इसी तरह शिवपुरी का 4.0, बड़वानी में 3.9, विदिशा में 3.9 और छतरपुर का टीएफआर 3.8 है.

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नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट

इसी तरह यदि प्रदेश में टाप 5 सबसे कम प्रजनन दर वाले जिलों की बात करें तो इनमें भोपाल टीएफआर 2.0, ग्वालियर का 2.1, मंदसौर का 2.2, इंदौर 2.2 और दतिया जिले में प्रजनन दर 2.3 है."

आइडियल फर्टिलिटी रेट से कम भोपाल की दर

बता दें कि प्रजनन दर यानि टोटल फर्टिलिटी रेट का आशय किसी क्षेत्र में प्रति एक हजार महिलाओं पर पैदा होने वाले बच्चों से है. इसका सीधा मतलब ये है कि संबंधित क्षेत्र की महिलाएं अपने प्रजनन काल में कितने बच्चों को जन्म देती हैं. इसी के आधार पर भविष्य की जनसंख्या का अनुमान लगाया जाता है.

भारत में टीआरएफ 2.1 एक आइडियल प्रजनन दर है, लेकिन भोपाल इससे भी पीछे है. हालांकि ये पहली बार नहीं है, इसके पहले किए गए फैमिली हेल्थ सर्वे में भी भोपाल का टीएफआर 2.1 था.

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साल 2047 तक सबसे अधिक होगी बजुर्गो की संख्या

मध्य प्रदेश में फर्टिलिटी रेट कम होने से बुजुर्गों की संख्या तेजी से बढ़ेगी. स्वास्थ्य एवं परिवार कलयाण मंत्रालय भारत सरकार के ताजा आंकड़ों के अनुसार वर्तमान में 20 से 29 साल के युवाओं की आबादी 1 करोड़ 54 लाख है, लेकिन आने वाले साल यानि वर्ष 2047 तक युवा आबादी बढ़ने की बजाय कम होने लगेगी.

जिलेवार फर्टिलिटी रेट 

इसके उलट वर्तमान में जहां 60 साल से अधिक आयु वर्ग के बुजुर्गों की संख्या 57 लाख के करीब है, वो साल 2045 तक बढ़कर 1 करोड़ 80 लाख से अधिक होगी. यानि 23 साल बाद मध्य प्रदेश की अधिकतर आबादी बुजुर्ग होगी.

मध्य प्रदेश के इन जिलों में कम हुई प्रजनन दर

यदि फैमिली हेल्थ सर्वे 2011-12 और 2019-21 की रिपोर्ट का विश्लेषण करें, तो भोपाल के मध्य प्रदेश में कई अन्य जिले भी हैं, जहां तेजी से फर्टिलिटी रेट घट रहा है, लेकिन यह आइडियल फर्टिलिटी रेट से अधिक है. इनमें पन्ना, शिवपुरी, बड़वानी, विदिशा और छतरपुर जिलों में टीएफआर तेजी से घट रहा है.

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जबकि अन्य जिलों में आंशिक गिरावट दर्ज की गई है. हालांकि इन 10 सालों में रीवा, सीधी, शाजापुर, सिवनी, धार और श्योपुर ऐसे जिले हैं, जहां टीएफआर में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है.

भोपाल में इसलिए तेजी से घट रही प्रजनन दर

नोडल अधिकारी डॉ. रचना दुबे ने बताया कि "मध्य प्रदेश में शहरी क्षेत्रों की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्रों में प्रजनन दर अधिक है. इसका कारण लोगों में जागरुकता और परिवार नियोजन जैसे प्रबंधों का अभाव है. डॉ. रचना दुबे ने बताया कि भोपाल जैसे शहर में परिवार नियोजन को लेकर बड़े स्तर पर काम होता है.

नसबंदी को लेकर यहां लोग ज्यादा जागरूक हैं. लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में नसबंदी को लेकर भी भ्रांतियां हैं, जिससे कई बार लोग परिवार नियोजन का सहारा नहीं लेते."

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