नई दिल्ली
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले इलेक्शन कमिशन ने SIR यानी गहन मतदाता पुनरीक्षण का अभियान शुरू किया था। इस पर खूब राजनीति हुई और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था। अदालत की ओर से SIR को क्लीन चिट दी गई और कहा गया कि यह थोड़ा पहले किया जा सकता था। अब इसी बात से सबक लेते हुए चुनाव आयोग नवंबर की शुरुआत से ही देशव्यापी SIR शुरू करने जा रहा है। इसके तहत सबसे पहले उन राज्यों में SIR होगा, जहां 2026 में ही चुनाव होने वाले हैं। इसके अलावा भी कुछ अन्य राज्यों में भी SIR शुरुआती दौर में ही होगा।
चुनाव आयोग की दो दिन की कॉन्फ्रेंस शुरू हुई है। इसमें यह आकलन भी किया गया कि देश में SIR की प्रक्रिया के लिए कितनी और कैसी तैयारी है। इसकी रिपोर्ट सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन आयुक्तों की ओर से पेश की गई। पूरा प्लान कॉन्फ्रेंस के समापन पर बताया जाएगा। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार SIR की प्रक्रिया देशव्यापी होगी, लेकिन इसे चरणबद्ध तरीके से पूरा किया जाएगा। पहले इसे असम, केरल, पुदुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में किया जाएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि इन राज्यों में अगले साल ही चुनाव होने हैं।
असम में तो NRC भी हो रही है। असम के निर्वाचन आयोग का कहना है कि एक बार NRC होने के बाद राज्य में SIR भी हो जाएगी। असम देश का इकलौता राज्य है, जहां NRC हुआ है। ऐसे में यह भी हो सकता है कि NRC पूरा होने का इंतजार हो और असम में SIR में थोड़ी देरी हो जाए। आगामी राष्ट्रव्यापी प्रक्रिया के लिए चुनाव आयोग मतदाताओं को केवल उस राज्य की ही नहीं, बल्कि किसी भी राज्य की अंतिम गहन पुनरीक्षण मतदाता सूची से अपने नामों के अंश प्रस्तुत करने की अनुमति दे सकता है, जहां वे वर्तमान में रहते हैं। बिहार एसआईआर प्रक्रिया के दौरान मतदाता केवल बिहार की अंतिम गहन पुनरीक्षण मतदाता सूची से ही अंश प्रस्तुत कर सकते थे।
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दूसरे शब्दों में मुंबई में मतदाता के रूप में पंजीकृत पश्चिम बंगाल का कोई प्रवासी श्रमिक महाराष्ट्र में नामांकित रह सकता है, बशर्ते वह अपना नाम दिखा सके। इसके अलावा वह किसी ऐसे मतदाता से संपर्क स्थापित कर सके, जिसका नाम 2002 की पश्चिम बंगाल मतदाता सूची में शामिल हो। पश्चिम बंगाल की मतदाता सूची का अंतिम गहन पुनरीक्षण 2002 में हुआ था और उस मतदाता को उस राज्य की मतदाता सूची में बने रहने के योग्य माना जाएगा, जहां वह वर्तमान में रह रहा है।