स्पेसएक्स को बचाने के लिए एलन मस्क ने बेच दी थी अपनी गाड़ी, उसने किया कमाल

नई दिल्ली.
दुनिया के सबसे बड़े रईस एलन मस्क की ऑटो कंपनी टेस्ला के बारे में तो पूरी दुनिया जानती है। यह दुनिया की सबसे वैल्यूएबल ऑटो कंपनी है। इसकी वैल्यू करीब $1.4 ट्रिलियन है जो ग्लोबल ऑटो इंडस्ट्री का करीब आधी है। लेकिन मस्क की एक और कंपनी स्पेसएक्स दुनिया की सबसे वैल्यूएबल स्टार्टअप कंपनी बन गई है। इसकी वैल्यू $350 अरब पहुंच गई है। मस्क ने इंसान को मंगल पर पहुंचाने का सपना देखा है और इसी मिशन के साथ उन्होंने साल 2002 में स्पेसएक्स की स्थापना की थी। मस्क रॉकेट बिजनस का ऐपल बनना चाहते हैं और यह काफी हद तक इसमें सफल रही है।

इस कंपनी के नाम कई रेकॉर्ड दर्ज हैं और यह स्पेस इंडस्ट्री में बड़ा नाम बनकर उभरी है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा आज अपने अंतरिक्षयात्रियों को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर पहुंचाने के लिए स्पेसएक्स के रॉकेट्स का सहारा ले रही है। लेकिन इसके लिए सफर आसान नहीं था। कंपनी को एक के बाद एक कई नाकामियों का सामना करना पड़ा। एक समय मस्क ने अपनी सारी जमा पूंजी इसमें झोंक दी थी। उन्होंने रूस से भी रॉकेट खरीदने की कोशिश की लेकिन बात नहीं बनी। मस्क का सारा पैसा खत्म हो गया था और उन्हें अपनी गाड़ी भी बेचनी पड़ी। लेकिन मस्क ने कभी हार नहीं मानी।

ये भी पढ़ें :  देश में पहली बार 1 करोड़ टीचर, लेकिन 1 लाख स्कूलों में सिर्फ एक-एक शिक्षक, 8 हजार स्कूलों में कोई स्टूडेंट नहीं

रूस में सहना पड़ा अपमान
अमेरिकी बिजनस कॉलमनिस्ट और लेखक एश्ली वेंस ने अपनी किताब 'Elon Musk: How the Billionaire CEO of SpaceX and Tesla is Shaping Our Future' में स्पेसएक्स से जुड़ी एक घटना का जिक्र किया है। यह उस समय की बात है जब स्पेसएक्स का गठन नहीं हुआ था। मस्क रॉकेट लॉन्च पर दो से तीन करोड़ डॉलर खर्च करना चाहते थे। लेकिन जानकारों का कहना था कि यह संभव नहीं है। रॉकेट लॉन्च पर कितना खर्च आता है, इसका पता लगाने के लिए मस्क ने रूस जाने की योजना बनाई। वह रूस से आईसीबीएम खरीदकर उसे अपने लॉन्च वीकल के तौर पर इस्तेमाल करना चाहते थे। रॉकेट और मिसाइल में एक ही तरह की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होता है।

इस काम के लिए मस्क ने जिम कैंट्रेल नाम के एक शख्स की मदद ली। कैंट्रेल पर जासूसी के आरोप लगे थे और साल 1996 में उन्हें रूस में हाउस अरेस्ट पर रखा गया था। इस कारण वह रूस नहीं जाना चाहते थे लेकिन मस्क ने उन्हें मना लिया। अक्टूबर 2001 में मस्क, कैंट्रेल और मस्क के कॉलेज के दोस्त एडियो रेसी मॉस्को पहुंचे। मस्क और उनकी टीम ने तीन बार रूसियों से बात की। लेकिन बात बन नहीं पा रही थी। एक मीटिंग के दौरान रूस के एक चीफ डिजाइनर ने कैंट्रेल और मस्क पर थूक दिया। कैंट्रेल कहते हैं, 'रूस के एक चीफ डिजाइनर ने मुझ पर और एलन पर थूक दिया था क्योंकि उसे लग रहा था कि हम बकवास लोग हैं।'

ये भी पढ़ें :  अयातुल्ला खामेनेई ने कहा- कैंसर जैसा ट्यूमर है इजरायल, अमेरिका के पट्टे से बंधे कुत्ते की तरह

कैसे किया कमाल

दरअसल मस्क ने रॉकेट के लिए दो करोड़ डॉलर रखे थे। उनको लगता था कि इससे तीन आईसीबीएम खरीदी जा सकती हैं। एक मीटिंग में मस्क ने रूसियों से पूछा कि एक आईसीबीएम की कीमत क्या होगी, इस पर जबाव मिला, 80 लाख डॉलर। मस्क ने कहा कि इतने में तो दो आ जाएंगी। रूसियों ने इस कीमत पर मिसाइल देने से साफ इनकार कर दिया। मस्क को लग गया था कि रूसी इस डील को लेकर गंभीर नहीं हैं या उनसे ज्यादा से ज्यादा पैसा ऐंठना चाहते हैं। यह फरवरी 2002 की बात है। मस्क बड़ा सपना लेकर रूस गए थे लेकिन वहां से खाली हाथ लौट आए। वह मायूस थे लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।

ये भी पढ़ें :  भारतीय जनता पार्टी 2047 तक विकसित भारत की कल्पना कर रही है - विजय शर्मा,राम मंदिर बनने के बाद देशवासियों का स्वाभिमान संतुष्ट हुआ और उनकी भावनाओं को उचित स्थान मिला है

मस्क ने इसके बाद खुद ही रॉकेट बनाने का फैसला किया। मस्क ने जून 2002 में स्पेसएक्स की स्थापना की। लेकिन सफलतापूर्वक अपना रॉकेट उड़ाने में कंपनी को छह साल लग गए। स्पेसएक्स साल 2008 में उस समय सुर्खियों में आई जब उसके रॉकेट ने सैटेलाइट को ऑर्बिट में पहुंचाया। वह ऐसा कारनामा करने वाली दुनिया की पहली निजी कंपनी थी। साल 2010 में उसके रॉकेट ने एक पेलोड को ऑर्बिट में स्थापित किया और फिर सुरक्षित पृथ्वी पर लौट आया। स्पेसएक्स की सफलता की वजह यह है कि वह रॉकेट में इस्तेमाल होने वाला 80% साजोसामान खुद बनाती है। इससे कंपनी को लागत कम करने में मदद मिलती है।

Share

क्लिक करके इन्हें भी पढ़ें

Leave a Comment