आध्यात्मिक डेस्क, न्यूज राइटर, 03 जुलाई, 2023
पूरे भारत में गुरु पूर्णिमा का विशेष महत्व है। गुरु पूर्णिमा को आषाढ़ पूर्णिमा और व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस वर्ष गुरु पूर्णिमा 3 जुलाई सोमवार यानी आज मनाई जा रही है। गुरु पूर्णिमा का यह पर्व महर्षि वेद व्यास को समर्पित है क्योंकि आज के दिन ही महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था। इस दिन शिष्य अपने गुरुओं की पूजा करते हैं। आइए जानते हैं कि गुरु पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है?
क्यों मनाई जाती है गुरु पूर्णिमा
आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन ही महर्षि वेद व्यास का आज से करीब 3000 वर्ष पूर्व जन्म हुआ था। मान्यता है कि उनके जन्म पर ही गुरु पूर्णिमा जैसे महान पर्व मनाने की परंपरा को शुरू किया गया। गुरु पूर्णिमा महोत्सव पूरी तरह से महर्षि वेदव्यास को समर्पित है। हिंदी पंचांग के अनुसार, हर साल आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाता है।
गुरु पूर्णिमा कथा
कहा जाता है कि महर्षि वेदव्यास ने अपने बाल्यकाल में अपने माता-पिता से प्रभु दर्शन की इच्छा प्रकट की, लेकिन माता सत्यवती ने वेदव्यास की इच्छा को ठुकरा दिया। तब वेदव्यास ने हठ करने लगे और उनके हठ पर माता ने उन्हें वन जाने की आज्ञा दे दी। साथ ही कहा कि जब घर का स्मरण आए तो लौट आना। इसके बाद वेदव्यास तपस्या हेतु वन चले गए और वन में जाकर उन्होंने कठिन तपस्या की।
इस तपस्या के पुण्य-प्रताप से वेदव्यास को संस्कृत भाषा में प्रवीणता हासिल हुई। तत्पश्चात उन्होंने चारों वेदों का विस्तार किया और महाभारत, अठारह महापुराणों सहित ब्रह्मसूत्र की रचना की। महर्षि वेद व्यास को चारों वेदों का ज्ञान था। यही कारण है कि इस दिन गुरु पूजने की परंपरा सदियों से चली आ रही है।
गुरु पूर्णिमा पर गुरुओं की कैसे करें उपासना
1. इस दिन केवल गुरु की ही नहीं अपितु परिवार में जो भी बड़ा है अर्थात माता-पिता, भाई-बहन, आदि को भी गुरु समान समझना चाहिए।
2. गुरु की कृपा से ही विद्यार्थी को विद्या आती है।
3. गुरु से मन्त्र प्राप्त करने के लिए भी यह दिन श्रेष्ठ है।
4. इस दिन गुरुजनों की सेवा करनी चाहिए। साथ ही भेंट ही देनी चाहिए।