नई दिल्ली
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत ऐहतियातन हिरासत में रखे गए ऐक्टिविस्ट सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि अंगमो ने राज्य और केंद्र की एजेंसियों पर मौलिक अधिकार हनन करने का आरोप लगाया है। सुप्रीम कोर्ट में की गई शिकायत में गीतांजलि ने आरोप लगाया है कि जब वह जोधपुर जेल में बंद अपने पति से मिलने जा रही थीं, तब खुफिया ब्यूरो और राजस्थान पुलिस के लोगों ने उनका पीछा किया और पति से मिलने के दौरान उन पर कड़ी निगरानी रखी।
दायर शिकायत में उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य और उसकी एजेंसियां उनके हर कदम पर नजर रखती हैं, हस्तक्षेप करती हैं और यहाँ तक कि उन्हें खिड़कियों पर पर्दे लगाकर गाड़ियों में ले जाती हैं। उन्होंने अदालत से सवाल किया कि क्या NSA के तहत प्रतिबंधित व्यक्ति के परिवार के सदस्य की व्यक्तिगत स्वतंत्रता और कहीं भी आने-जाने की आजादी का अधिकार समाप्त हो जाता है।
हवाई अड्डे पर उतरते ही रोक लिया
गीतांजलि ने सुप्रीम कोर्ट को विस्तार से बताया है कि कैसे इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) के अधिकारियों और राजस्थान पुलिस के अधिकारियों ने 7 अक्टूबर और 11 अक्टूबर को जोधपुर सेंट्रल जेल में अपने पति से मिलने जाने के दौरान उन्हें हवाई अड्डे पर उतरते ही रोक लिया था। उन्होंने एक हलफनामा दायर कर शिकायत की है कि दोनों यात्राओं के दौरान एजेंसियों के आचरण से भारत के एक स्वतंत्र नागरिक के रूप में उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता और मौलिक अधिकार प्रभावित हुए हैं।
पति से मुलाकात के दौरान मेरे साथ रहे
उन्होंने अदालत को बताया, "जैसे ही मैं प्लेन से उतरी और जोधपुर हवाई अड्डे से बाहर आई, वैसे ही आईबी और राजस्थान पुलिस के अधिकारी मेरे पास आ गए और मुझे अपनी कार में बैठने को कहा, जिसकी खिड़कियों पर सफेद पर्दे लगे थे। इससे सबकुछ ओझल हो गया। फिर वे मुझे मुलाकात के लिए जेल ले गए। ये अधिकारी मुझे जेल अधीक्षक के कार्यालय ले गए और पूरी मुलाकात के दौरान मेरे साथ रहे। हर मुलाकात से पहले, वे मुझसे मेरी यात्रा का विवरण और जोधपुर में मेरे ठहरने का समय पूछते थे।"
जोधपुर में किसी और से मिलने नहीं दिया
मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि गीतांजलि ने आरोप लगाया है कि जब वह पति सोनम वांगचुक से मिल रही थीं, तब पूरी मुलाकात के दौरान दो अधिकारी नजदीक में बैठे रहे और उनकी पूरी बात सुनते रहे। इतना ही नहीं अधिकारियों ने कानूनी सहायता के लिए पति के निर्देशों वाले नोट्स की तस्वीरें भी खींचीं। गीतांजलि ने आरोप लगाया है कि उन्हें जोधपुर में किसी और से मिलने नहीं दिया गया और जेल से निकलते ही उन्हें रेलवे स्टेशन तक ले जाया गया, जबकि ट्रेन खुलने में काफी समय था। उन्होंने कहा कि उनके एस्कॉर्ट भी उनके साथ ट्रेन में चढ़े और जोधपुर से आगे दो घंटे तक यात्रा करते रहे। बाद मेड़ता रोड जंक्शन पर उतर गए।
पिछले महीने हुई थी वांगचुक की गिरफ्तारी
बता दें कि सोनम वांगचुक को पिछले सितंबर में लेह में हुए हिंसक विरोध-प्रदर्शनों के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA), 1980 के तहत 26 सितंबर को हिरासत में ले लिया गया था। इसके बाद उन्हें जोधपुर सेंट्रल जेल में स्थानांतरित कर दिया गया है। इस हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हो गए थे। लद्दाख को राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर प्रदर्शन के दौरान हिंसा हुई थी। गीतांजलि ने सुप्रीम कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर रखी है। जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एन वी अंजारिया की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है।